नागरिकता कानून के विरोध में भड़की आग खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। यह आग असम के बाद राजधानी दिल्ली में पहुंच गई है।जामिया इलाके में पुलिस और छात्रों के बीच जमकर झड़प हुई। पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे, जिससे कई स्टूडेंट्स को गंभीर रूप से चोटें आईं।
प्रदर्शन इतना आक्रामक हो गया कि लोगों ने तीन बसों को आग के हवाले कर दिया। यह घटना दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी इलाके में हुआ।
रविवार रात 10 बजे तक कई मट्रो स्टेशन बंद करने पड़े। इस दोतरफा जंग में पुलिस कर्मियों को भी चोटें आई हैं। मामला इतना गंभीर है कि जामिया इलाके में धारा 144 लगा दी गई है और पैरामिलिट्री फोर्सेस की कई टुकड़ियों की तैनाती कर दी गई है।
उधर नागरिकता कानून के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हो रहा है। रविवार को बेंगलुरू,पटना ,मुंबई और अलीगढ़ समेत देश के कई हिस्सों में हज़ारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर मार्च किया। दिल्ली की तरह ही पटना के गाँधी मैदान इलाके में प्रदर्शनकारियों ने कई वाहनों को आग लगा दी।
बिना अनुमति दिल्ली पुलिस घुसी लाइब्रेरी में, पीटा छात्रों को
जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में के चीफ प्रॉक्टर ने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस ज़बरन कैंपस में घुसी। वहां लाइब्रेरी में पढ़ रहे स्टूडेंट्स को जमकर पीटा।
वहीं विश्वविद्यालय वाइस चांसलर नज़मा अख्तर ने कहा,
जामिया के छात्रों ने आज के प्रदर्शन का आह्वान नहीं किया था। मुझे बताया गया है कि आस-पास की कॉलोनियों से जुलेना की तरफ मार्च करने की अपील की गई थी। वे प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़ गए और यूनिवर्सिटी का गेट तोड़कर अंदर घुस गए।
जो अंदर की तस्वीरें सामने आयीं हैं वो भयावह है, स्टूडेंट्स बेहोशी की हालत में ज़मीन पर गिरे नज़र आ रहे हैं। वाशरूम के अंदर के शीशे भी पूरी तरह टूट कर बिखरे पड़े हैं।
देर रात तक दिल्ली पुलिस मुख्यालय पर जुटे कई संस्थान के छात्र
दिल्ली पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के खिलाफ रात 12 बजे तक हज़ारों छात्र पुलिस मुख्यालय के बाहर जुटे हुए हैं। इनमे जामिया मिल्लिया इस्लामिया, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय समेत कई अन्य संस्थानों के छात्र पुलिस के करवाई के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
इनकी मांग है कि अधिकारी इनसे बात कर माफी मांगे। जामिया कैंपस से पुलिस की तैनाती हटाई जाए। कड़ाके की ठंड में भी देर रात तक ये छात्र मुख्यालय के बाहर जमे हैं।
दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे छात्र।
साभार -सोशल मिडिया
सवाल अब भी वही है कि
- आखिर नागरिकता कानून पर धधकती हुई आग कब ठंडी होगी?
- देश के हर हिस्से में पुलिस और स्टूडेंट्स के बीच की हिंसा कब थमेगी?
- इस हिंसा में हुए करोड़ो की सम्पत्ति का नुकसान का ज़िम्मेदार कौन है?
- आखिर सरकार इन छात्रों से संवाद करने की कोशिश क्यों नहीं कर रही है?