केंद्र सरकार ने बुधवार को निजी डेटा सुरक्षा बिल, 2019 को लोकसभा में पेश किया। बिल की व्यापक विवेचना के लिए इसे ज्वाइन्ट सेलेक्ट कमेटी को भेजा जायेगा। इस बिल के तहत सरकार को फेसबुक, गूगल समेत कई कंपनियों से कॉन्फिडेंशियल प्राइवेट डेटा और गैर-निजी डेटा के बारे में जानकारी इकट्ठा करने का अधिकार मिल जाएगा।
इस बिल का कॉंग्रेस और तृणमूल ने विरोध किया। उनका कहना है कि यह आम जनता की प्राइवेसी के अधिकार का हनन होगा। इन दोनों ही पार्टियों ने बिल को संयुक्त संसदीय समिति में भेजे जाने की वकालत की है। जबकि केंद्र सरकार इसे भारत की सुरक्षा के लिए एक ज़रूरी कदम बता रही है।
पक्ष-विपक्ष के मतभेद के बीच इस बिल से कई कंपनियों पर असर होगा, खासकर गूगल, फेसबुक, TikTok जैसी कंपनियों को कई मामलों में नुकसान भी हो सकता है। यहां तक कि एलेक्सा, गूगल होम जैसी सर्विस बंद भी हो सकती है।
आइए जानते हैं कि इस बिल में क्या हैं प्रावधान और ये किस तरह से आपको और विभिन्न कंपनियों को प्रभावित करेगी-
- अगर यह बिल पास हो जाता है तो सरकार गूगल, ट्विटर, एमेज़ॉन, फेसबुक, व्हाट्सऐप, फ्लिपकार्ट और एपल जैसी किसी भी इंटरनेट सोशल मीडिया प्रोवाइडर से डेटा हासिल कर सकेगी।
- इस बिल के तहत कंपनियां अपने उपभोक्ताओं से बायोमेट्रिक डेटा ( फिंगर प्रिंट स्कैनर, वॉइस कमांड टूल, फेस स्कैनर) का एक्सेस नहीं कर पाएगी।
- बायोमेट्रिक डेटा हासिल ना कर पाने की वजह से एलेक्सा, गूगल होम, गूगल ट्रांसलेट जैसे टूल्स और सर्विस बंद हो सकते हैं। इससे कई कंपनियों को बिजनेस में नुकसान हो सकता है।
- नए बिल के क्लॉज 92 में इस बात को स्पष्ट किया गया है। इसका असर डिजिटल कॉमर्स, ऑटोमोबाइल, डिजिटल हेल्थ केयर सहित कई सेक्टर पर पड़ेगा।
- मोबाइल फोन निर्माताओं को यूज़र्स का डेटा भारत में ही स्टोर करना होगा। इस प्रावधान को सुरक्षा के लिहाज़ से बेहतर माना जा रहा है लेकिन मोबाइल निर्माता कंपनियों पर इंफ्रास्ट्रक्चर का खर्चा बढ़ सकता है।
- बिल के क्लॉज 28 के अनुसार, प्रत्येक यूज़र को सोशल मीडिया पर अपनी पूरी जानकारी देनी होगी। इस KYC जैसे नियम से कई ऐसे यूज़र्स जो अपनी पहचान छुपाकर सोशल मीडिया पर उपस्थित हैं, उनको परेशानी हो सकती है। इस नियम से फेसबुक, व्हाट्सएप और TikTok सहित कई कंपनियां प्रभावित होंगी।
- “संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा”, जिसमें वित्तीय और बायोमेट्रिक डेटा शामिल हैं, को प्रोसेस के लिए भारत से बाहर स्थानांतरित किया जा सकता है लेकिन उन्हें स्थानीय रूप से संग्रहित करना ज़रूरी होगा। इस बिल में डेटा के स्थानीय भंडारण पर ज़ोर दिया गया है। इसके लिए देशभर में कई डेटा केंद्र बनाने होंगे।
- अगर डेटा किसी की सहमति के बगैर लिया गया तो दंड का भुगतान करना होगा।
- निजी डेटा की चोरी करने वाली कंपनियों पर सख्ती बरती जाएगी। ऐसा करने पर कंपनियों पर 15 करोड़ रुपए या वैश्विक कारोबार के चार फीसद तक के जुर्माने के साथ ही जेल का प्रावधान है।
- इस बिल के तहत सरकार किसी भी सरकारी एजेंसी को प्रस्तावित कानून के प्रावधानों के दायरे से छूट दे सकती है।