नागरिकता संशोधन विधेयक- 2019 पहले लोकसभा और बाद में राज्यसभा से पास होते ही राष्ट्रपति के अनुमोदन के साथ कानून की शक्ल में तैयार है। जब इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया गया था, तभी से खासकर पूर्वोत्तर के राज्यों से विरोध प्रदर्शन की खबरें आ रही थीं।
राज्यसभा में पेश होने और राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद से नागरिकता कानून को लेकर ना सिर्फ पूर्वोत्तर के राज्यों, बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों से विरोध प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं।
असम के लोगों की चिंता यह है कि सरकार एनआरसी की सूचि से बाहर उन बांग्लादेशी हिन्दुओं को नागरिकता कानून के ज़रिये बचाने की कोशिश कर रही है। असम के लोगों की चिंता यह भी है कि अन्य देशों से आए शरणार्थियों के यहां बस जाने से असम की भाषाई अस्मिता, संस्कृति और सभ्यता नष्ट हो जाएगी।
आपको बता दें कि असम में स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा हमेशा से सुर्खियों में रहा है जिसके लिए 80 के दशक के आंदोलन के बाद असम समझौता बनाया गया। असम समझौते के मुताबिक 24 मार्च 1971 तक असम आए लोग ही यहां के नागरिक माने जाएंगे। वहीं, नागरिकता कानून 2019 के मुताबिक 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है।
इन सबके बीच गुरुवार को असम के सबसे बड़े शहर गुवाहाटी में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां तक चला दी, जिसमें दो लोग मारे गए। कई लोग पुलिस की गोली से ज़ख्मी भी बताए जा रहे हैं। विरोध की आग अब मेघालय तक पहुंच गई है। राजधानी शिलांग में नागरिकता कानून के खिलाफ रैलियां निकली गईं और व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन भी हुए। शहर के कई प्रमुख इलाकों से हिंसा और आगजनी की भी खबरें आई जिसके बाद प्रशासन द्वारा कर्फ्यू भी लगा दिया गया।
गुवाहाटी, डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया में भी नागरिकता कानून के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इन इलाकों के रेलवे स्टेशन, पोस्ट ऑफिस और यहां तक कि पंचायत भवन भी जला दिए गए।
प्रदर्शनकारियों ने छबुआ के भाजपा विधायक बिनोद हजारिका के घर को भी आग के हवाले कर दिया। कई इलाकों में पंचायतों के अधिकारियों ने इस्तीफे भी दे दिए। वहीं, बंगाल में भी नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन काफी उग्र हो चुका है। प्रदर्शनकारियों ने रेलवे स्टेशनों में तोड़फोड़ करने के साथ-साथ कई जगहों पर आग भी लगा दी।
दिल्ली में नागरिकता कानून को लेकर हो रहा है भारी विरोध
दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया के स्टूडेंट्स भी इस बिल को मुसलमानों के खिलाफ बताते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। नागरिकता कानून और एनआरसी के विरोध में सड़कों पर उतरे स्टूडेंट्स के साथ अब विश्वविद्यालय के टिचर्स भी प्रदर्शन कर रहे हैं।
जामिया शिक्षक संघ के महासचिव प्रोफेसर माजिद जमील का कहना है कि आज हिन्दुस्तान में जो कुछ भी हो रहा है, उसकी वजह से स्टूडेंट्स और टिचर्स सड़कों पर हैं। हम इसका विरोध करते हैं, क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यह हिन्दू या मुसलमान की बात नहीं है। प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स का तर्क है कि इस बिल के ज़रिये मुसलमानों को दोयम दर्जे़ का नागरिक बनाया जा रहा है।
गौरतलब है कि जामिया मिलिया इस्लामिया के स्टूडेंट्स ने शुक्रवार को विश्वविद्यालय परिसर से संसद तक मार्च का आवाहन किया था लेकिन पुलिस ने उन्हें बीच में ही रोक दिया था। स्टूडेंट्स का कहना है कि पुलिस ने उन पर जमकर लाठियां बरसाई और आंसू गैसे के गोले छोड़े। जबकि पुलिस का कहना है कि स्टूडेंट्स ने जब बैरिकेड तोड़ने की कोशिश की, तब उन्होंने उन पर बल का प्रयोग किया।
नागरिकता कानून के खिलाफ ना सिर्फ दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया, बल्कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भी स्टूडेंट्स का विरोध प्रदर्शन जारी है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स की मांग है कि सरकार जल्द से जल्द नागरिकता कानून और एसआरसी को वापस ले। गौरतलब है कि अलीगढ़ में प्रशासन द्वारा इंटरनेट सेवाओं को पूर तरह से बंद कर दिया गया है।
Students of #AMU on the streets on defence of the Indian Constitution! In solidarity! #RejectCAB #RejectNRC https://t.co/AEYiJM9lV7
— Swara Bhasker (@ReallySwara) December 14, 2019
इन सबके बीच अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी मामले पर बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर का ट्वीट भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने कहा है, “अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स एकजुट होकर भारतीय संविधान को बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।”
स्वरा भास्कर के इस ट्वीट को लोग काफी पसंद कर रहे हैं और उस पर अपनी प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं।
प्रदर्शनकारियों ने जमकर हंगामा किया जिससे ट्रेन सेवाएं और वाहनों की आवाजाही भी प्रभावित हुई। खबर लिखे जाने तक भी देश के विभिन्न इलाकों में नागरिकता कानून को लेकर विरोध जारी है। नॉर्थ इस्ट राज्यों के अलावा प्रदर्शनकारियों की यही मांग है कि एनआरसी और नागरिकता कानून को पूरी तरह से वापस लिया जाए। जबकि नॉर्थ इस्ट में सिर्फ नागरिकता कानून का ही विरोध किया जा रहा है।