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बलात्कार की घटना का जाति-धर्म के आधार पर पोस्टमार्टम करने वाला समाज

Rape Case

Rape Should Be Stopped in all Possible ways.

फिर सब लोग जागेंगे, सोशल मीडिया पोस्ट से भर जाएगा, इंसाफ दो इंसाफ दो की आवाज़ गूंजेगी, कुछ लोग आंसू बहाएंगे, सरकार पर चिल्लायेंगे, नया कानून बनाने की बात करेंगे और फिर वापस किसी नए मुद्दे पर बात शुरू होगी। तब सब उसमें लग जाएंगे और देश में हो जाएगी फिर एक और बलात्कार की घटना।

घटना के बाद समाज द्वारा पोस्टमॉर्टम

कितना अजीब है ना? जब देखो तब ऐसी कोई ना कोई घटना कहीं से उभरकर, सीधे हमारे सामने आ जाती है और फिर हम उसका पोस्टमॉर्टम कुछ इस प्रकार करते हैं कि जिसके साथ यह दुर्घटना हुई,

इसके बाद हम सोचते हैं कि इस मुद्दे पर क्या बोलना है और कैसे बोलना है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लाइक्स हमारे पोस्ट को मिले। यह हमारी व्यक्तिगत छवि के और मज़बूत बनाने का भी एजेंडा हो सकता है। यह यथार्थ है आज के वास्तविक परिप्रेक्ष्य का, जहां हम कुछ भी करने के पूर्व संवेदनशील नहीं होते लेकिन इस मानसिक प्रवृति के साथ हम कार्य करते हैं कि किस प्रकार से लोगों को अपनी ओर खींच पाएं।

खैर, समस्या यह है कि क्या फेसबुक ट्विटर में पोस्ट करने और मोमबत्तियां निकालने से हमारी बेटियां सुरक्षित रह जाएंगी ? क्या हम जस्टिस के हैशटैग ट्विटर फेसबुक पर ट्रेंड कराने मात्र से अपनी बेटियों को सुरक्षित रख पाने में सफल हो जाएंगे? जवाब तो ‘नहीं’ में ही मिलेगा।

कड़े नियमों के बावजूद हो रहे हैं बलात्कार

अब तो कुछ मामले ऐसे हैं, जहां ना ही किसी बेटी ने छोटे कपड़े पहने थे और ना ही किसी और के साथ किसी संबंध में थी कि यह कहा जाए कि इन कारणों से ऐसा हुआ है। तो फिर ऐसी स्थिति में अब हमें क्या करना चाहिए?

संविधान के बनाये नियम और भारतीय कानून इस प्रकार के केस के में बहुत सख्त हैं। भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 375, 376 में कड़े प्रावधान भी हैं। इसलिए सरकार को आवश्यकता है कि

कहीं ना कहीं हमारी जीवन शैली में यह बात घर कर गई है कि लड़कियां मेधावी हो सकती हैं, लड़कियां कार्य भी लड़कों से अच्छा कर सकती हैं लेकिन शारीरिक रूप से लड़कियां लड़कों से अधिक सशक्त नहीं हैं। जब इस मनोवैज्ञानिक प्रवृति का खंडन हम प्रारम्भ से ही बेटियों के मन से कर देंगे तथा बेटियां भी आत्मरक्षा कौशल की धनी हो जाएंगी, तो निःसंदेह लोगों की मनोवृत्ति उनके प्रति ऐसे दुष्कृत्यों की नहीं होगी।

वहीं लड़कों को भी नैतिक शिक्षा प्रारम्भ से देकर हम उन्हें लड़कियों के प्रति सम्मान की भावना हेतु जागृत कर सकते हैं, जिससे ऐसी घटनाओं की संख्या कम से कम हो।

हमें ऐसा करने में अत्याधिक समय अवश्य लगेगा।

हमारे आज आवाज़ उठाने के कारण ही कल किसी नागरिक का सर शर्म से झुकने से बचेगा। अपनी जीवन शैली में एक बदलाव लाएं और बेटियों की सुरक्षा मज़बूत बनाएं। हमें चाहिए, दुष्कर्म मुक्त भारत, स्वच्छ मानसिकता वाला भारत।

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