इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक अपार गुप्ता ने Youth Ki Awaaz Summit 2019 के दौरान कहा कि पिछले एक हफ्ते में 93 बार सरकार द्वारा इंटरनेट बंद किया गया है, जो अब भी जारी है।
उन्होंने कहा कि इंटरनेट आज की तारीख में संचार का काफी ज़रूरी साधन है जिसके ज़रिये हम पूरे विश्व में किसी से भी संपर्क साध सकते हैं। Youth Ki Awaaz सम्मिट 2019 के दौरान दर्शकों की भारी उपस्थिति के बीच अपार ने एक किताब का ज़िक्र करते हुए कहा,
मैंने एक किताब पढ़ी थी जिसमें यह लिखा था कि अगर किसी भी देश को युद्ध में पराजित करना है, तो उसका इंटरनेट सबसे पहले बंद होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इंटरनेट शट डाउन का अर्थ है कि हम अपने कॉन्टैक्ट्स से कनेक्ट नहीं हो पा रहे हैं। अगला सवाल उन्होंने ऑडियंस से पूछा कि इंटरनेट क्या होता है? फिर उन्होंने पीपीटी स्लाइड के माध्यम से बताया कि इंटरनेट मतलब रोटी, कपड़ा और मकान। साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा कि इंटरनेट है तो आप हैं, वर्ना आप नहीं हैं।
इंटरनेट हमारा मौलिक अधिकार है
उन्होंने तमाम उदाहरण देते हुए कहा कि इंटरनेट आज की तारीख में हमारा मौलिक अधिकार है मगर सरकार जिस तरीके से इसका हनन कर रही है वह गलत है। इसी कड़ी में अपार ने धारा 144 का ज़िक्र करते हुए कहा कि जिस तरह से आज देश के कई हिस्सों में धारा 144 लगाया जा रहा है, वह भी असंवैधानिक है।
उन्होंने कहा कि सरकार बिना किसी कानूनी कार्य के इंटरनेट बंद नहीं कर सकती है। देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी इंटरनेट का बंद होना काफी ज़्यादा शॉकिंग है। इंटरनेट के फायदों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसके तीन फायदे हैं-
- पहला, कनेक्टिविटी ताकि लोग एक दूसरे को सूचित कर पाएं।
- दूसरा, प्रमाण को रिकॉर्ड करने की क्षमता रखना।
- तीसरा, समाज को आईना दिखाना।
उन्होंने अपनी स्पीच एक खास वाक्य के ज़रिये अंत किया,
हमारे स्मार्टफोन्स हमारे संवैधानिक हथियार हैं जिनका इस्तेमाल अवश्य ही करना चाहिए। चाहे सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए हो या सरकार के फेवर की बात हो। इंटरनेट बंद करना यानी कि ज़रूरी मुद्दों पर चर्चा का स्पेस खत्म करना।