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2019 में दुनियाभर में जंगलों में आग के अब तक 1.6 करोड़ मामले हुए हैं दर्ज

In 2019, 16 million cases of forest fires have been reported so far

In 2019, 16 million cases of forest fires have been reported so far.

इस साल देश में वन क्षेत्रों में आग लगने की घटनाओं के कारण वन संपदा को होने वाले नुकसान बड़े स्तर पर देखने को मिले हैं। अमेरिकी सरकार के उपग्रहों मॉडरेट रेज़ॉल्यूशन इमेजिंग स्प्रेक्टोमीटर (एमओडीआईएस) और सोमी नैशनल पोलर-ऑर्बिटिंग पार्टनरशिप (एसएनपीपी-वीआईआईआरएस) द्वारा लगातार निगरानी और अन्य व्यवस्थाओं के बावजूद नवंबर 2018 से फरवरी 2019 के बीच आग लगने की घटनाएं 4,225 से बढ़कर 14,107 हो गईं।

ये सभी आंकड़ें भारतीय वन सर्वेक्षण के हैं। 1 जनवरी 2019 से 26 फरवरी 2019 के बीच आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना और केरल में 558 आग की घटनाएं दर्ज हुईं, जो कुल आग की घटनाओं का 37% है।

भारतीय वन सर्वेक्षण के मुताबिक,

भारतीय वन सर्वेक्षण के मुताबिक,

भारतीय वन सर्वेक्षण के मुताबिक,

वन्य क्षेत्रों में आग लगने से मानव जीवन को भी नुकसान

वन्य क्षेत्रों में आग लगने से वन संपदा को तो नुकसान होता ही है लेकिन यह लोगों की जान लेने के साथ-साथ पर्यावरण पर भी बहुत बुरा असर डाल रही है। वन्य क्षेत्र हमारे लिए ऑक्सीजन बैंक की तरह हैं और जैसे-जैसे ये बैंक कम होते जाएंगे, स्थिति और भयावह होती जाएगी।

अगर इस मामले में दुनिया के सबसे अधिक जैव-विविधता वाले वन्य क्षेत्र अमेज़न जंगलों की बात करें, तो ब्राज़ील की स्पेस एजेंसी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस रिसर्च एजेंसी इस मामले में कहती है कि अमेज़न जंगल में इस साल आग लगने के 72,843 मामले (प्राकृतिक और मानव जनित) सामने आएं, जो 2018 की तुलना में 83% अधिक हैं।

अगर इस साल भारत और दुनियाभर में जंगलों में लगने वाली आग की बात की जाए तो उत्तराखंड, अमेज़न जंगल, दक्षिणी ब्राज़ील के केराडो सवाना, इंडोनेशिया के सुमात्रा व बॉर्नेयो में ओरंगुटान के घर जलना, दुनिया के सबसे बड़े उष्ण कटिबंधीय वेटलैंड पेंटानल के आसपास आग, कैलीफॉर्निया, आर्कटिक सर्कल और ऑस्ट्रेलिया समेत देश व दुनियाभर के कई हिस्सों में आग लगने की घटनाएं हुईं, जो इतिहास में दर्ज हो गई हैं।

भारत में बड़े पैमाने पर कहां-कहां लगी आग?

अमेज़न जंगल

इस साल उत्तराखंड में मई में चमोली, उत्तरकाशी, टिहरी, बागेश्वर समेत 13 ज़िलों में आग लगी, जिससे 900 हेक्टेयर वन्य क्षेत्र जलकर राख हो गएं। यह हाल तब है, जब उत्तराखंड में हर रेंज में मोबाइल क्रू स्टेशन एक्टिव हैं, जिससे तुरंत आग का पता चल जाता है।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इन ज़िलों में जिन-जिन क्षेत्रों में आग लगी थी, उसके कारण लोगों को नीचे उतरकर आना पड़ा क्योंकि धुएं के कारण लोगों को सांस लेना मुश्किल हो रहा था।

स्थानीय लोगों के मुताबिक, धुएं के कारण आँखों में जलन होने लगी थी। गौर करने वाली बात यह है कि इस समय चार धाम यात्रा भी चल रही होती है।

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक,

आग के कारण उत्तराखंड में हर साल बड़ी मात्रा में वन्य क्षेत्र नष्ट हो जाते हैं और यह मुख्यत: मई और जून में होता है।

एक आरटीआई के जवाब में उत्तराखंड सरकार ने बताया है,

2000 में उत्तराखंड के एक अलग राज्य बनने के बाद 44,000 हेक्टेयर वन्य क्षेत्र आग के कारण नष्ट हो गएं जो तकरीबन 61,000 फुटबॉल फील्ड्स के बराबर हैं।

फॉरेस्ट फायर अलर्ट सिस्टम की वेबसाइट के मुताबिक,

thehitavada की रिपोर्ट के मुताबिक,

2017 में मध्य प्रदेश में 13,809 हेक्टेयर वन्य क्षेत्र जलकर खाक हो गया और अक्टूबर 2018 से अब तक 20000 आग लगने की घटनाएं मध्य प्रदेश में दर्ज हो चुकी हैं। आग से सबसे ज़्यादा नुकसान जानवरों को होता है और वे जलकर मर जाते हैं। अगर वन्य क्षेत्र में आग से प्रभावित होने वाले राज्यों की बात की जाए तो मध्य प्रदेश इस मामले में शीर्ष राज्यों में शामिल है।

द हिंदू अखबार में अप्रैल 2019 में एक रिपोर्ट छपी थी, जिसमें बताया गया था कि ओडिशा में अचानक आग लगने की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है, जिसके कारण राज्य के फ्लोरा और फ्योना पर काफी अधिक प्रभाव पड़ा है। फ्लोरा और फ्योना का मतलब एक विशेष क्षेत्र में रहने वाले जीव-जंतुओं से है। ओडिशा में मार्च 2019 में ही 4495 फायर स्पॉट्स दर्ज किए गए थे।

वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की सोशल साइट रिसर्च गेट में छपी एक रिसर्च के मुताबिक,

उत्तर पूर्वी राज्यों के वन्य क्षेत्रों में हर साल 10,000 आग लगने की घटनाएं होती हैं और जैव-विविधता में धनी होने के कारण इस क्षेत्र पर काफी अधिक ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है।

ये सभी आंकड़ें भारत के हैं लेकिन अगर इस मसले पर दुनिया का रुख करें, तो हमें सबसे पहले अमेज़न वर्षा वन में लगी आग याद आती है लेकिन इसके अलावा भी दुनिया में बहुत बड़े जंगलों में आग लगने की घटनाएं हुईं, जिन्हें जानना बहुत ज़रूरी है।

अमेज़न वर्षा वन में आग-

कुछ सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2019 के शुरुआती आठ महीने में ब्राज़ील के जंगलों में आग की 72,843 घटनाएं हुईं, जो साल 2013 (39,759) से दोगुना है।

धरती के फेफड़ें कहे जाने वाले इस वर्षा वन में आग लगने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता ज़ाहिर की गई थी लेकिन ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो का इस मामले में रुख बहुत ही बुरा था।

स्थानीय पर्यावरणविदों का आरोप है कि राष्ट्रपति के पर्यावरण विरोधी बयानों के चलते जंगल साफ करने की गतिविधियां बढ़ी हैं। इस बीच, आग के कारण 228 मेगाटन के बराबर कार्बन डाई ऑक्साइड पैदा हुई, जो 2010 के बाद सर्वाधिक है। अगर 1998 से 2019 के बीच आंकड़ों की बात की जाए तो अमेज़न वन में सबसे ज़्यादा आग लगने की घटनाएं 2005 में हुईं।

द गार्डियन में छपे विश्लेषण के मुताबिक,

अमेज़न क्षेत्र में उन जगहों में तीन गुना अधिक आग की घटनाएं दर्ज की गईं, जहां भारी मात्रा में बीफ का उत्पादन होता है।

अफ्रीका महाद्वीप में आग लगने की घटनाएं

ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच फायर्स के मुताबिक, अफ्रीकी महाद्वीप के कॉन्गो में अगस्त के तीसरे हफ्ते में जंगलों में आग लगने के 1,10,000 केस दर्ज हुए, जबकि अंगोला में यह आंकड़ा 1,35,000, जांबिया में 73,000, तंजानिया में 24,000 और मोज़ाम्बिक में 40,000 रहा।

दक्षिणी ब्राज़ील के केराडो सवाना में आग

अमेज़न वर्षा वन में जब आग लगने की घटनाएं सामने आईं, तो पूरी दुनिया का ध्यान सिर्फ यहीं था लेकिन ब्राज़ील का एक हिस्सा केराडो सवाना है, जहां उसी अवधी में आग लगने की कई घटनाएं हुईं।

इस इलाके में काफी अधिक जैव विविधता है और यहां पौधों की 10000 से भी अधिक प्रजातियां हैं, जिनमें से आधे से अधिक दुनिया के किसी भी हिस्से में नहीं मिल सकती हैं।

केराडो दुनिया के लुप्त होने वाले इलाकों में से एक है और यह इलाका जगुआर, लोमड़ियों, सैंकड़ों पक्षियों की प्रजातियों के घर हैं। जब आग लगती है, तो इनका घर पूरी तरह से नष्ट हो जाता है और पशु-पक्षी भी जलकर नष्ट हो जाते हैं।

इंडोनेशिया के सुमात्रा और बॉर्नेयो में लगी आग से जले ओरंगुटान के घर

इंडोनेशिया के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक, सितंबर 2019 के अंत तक देश में 857,756 हेक्टेयर (21.2 लाख एकड़) जंगल जल गएं, जबकि 2018 में यह आंकड़ा 529,267 हेक्टेयर था।

इंडोनेशिया के जंगलों में बढ़ती आग से सबसे ज़्यादा नुकसान ओरंगुटान को हो रहा है, जो एक विलुप्तप्राय प्रजाति है। जंगल में आग के वक्त ओरंगुटान की कई ऐसी तस्वीरें वायरल हुई थीं, जिनसे इस भयावह स्थिति का पता चल सकता है। इस साल आग में कई ओरंगुटान मारे गएं। रिपोर्ट्स के अनुसार, 2019 में इस अवधि में करीब 70 करोड़ टन कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ।

दुनिया का सबसे बड़ा उष्णकटिबंधीय वेटलैंड पेंटानल में भी लगी आग

पेंटानल दुनिया का सबसे बड़ा उष्णकटिबंधीय वेटलैंड है, जो ब्राज़ील, बोलीविया और पराग्वे में फैला हुआ है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 2019 (30 अक्टूबर तक) में यहां रिकॉर्ड 8000 से अधिक आग की घटनाएं सामने आईं, जो पिछले साल से 462% अधिक है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, आग से 50,000 हेक्टेयर से ज़्यादा जंगल नष्ट हो गएं।

कैलीफॉर्निया के जंगल की आग

आंकड़ों के मुताबिक, कैलफॉर्निया में 22 दिसंबर 2019 तक 6,876 आग की घटनाएं रिपोर्ट हो चुकी हैं और अब तक 253,214 एकड़ ज़मीन जल चुकी है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब कैलफॉर्निया में इतने बड़े स्तर पर आग लगी हो।

2019 में आर्कटिक सर्कल भी आग से अछूता नहीं रहा

द गार्डियन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2019 में आर्कटिक सर्किल में वाइल्डफायर का सबसे खराब सीज़न रहा और इस साल ग्रीनलैंड, साइबेरिया और अलास्का में आग लगने की कई घटनाएं हुईं, जिन्हें स्पेस से भी देखा जा सकता था। आर्कटिक रीज़न में इस बार जून का महीना सबसे गर्म साबित हुआ।

डॉयचे वेले की रिपोर्ट के मुताबिक,

साइबेरिया में तीन महीने में आग की हज़ारों घटनाएं सामने आईं, जिसकी वजह से करीब 40 लाख हेक्टेयर जंगल जल गएं।

ऑस्ट्रेलिया में कोआला बियर के लिए हत्यारी बनी आग, सैंकड़ों कोआला बियर जलकर ज़िंदा मर गएं

ऑस्ट्रेलिया में अब भी कई क्षेत्रों में आग लगी हुई है और ऑस्ट्रेलिया के पर्यावरण मंत्री ने बताया है कि न्यू साउथ वेल्स मिड-नार्थ तट में 30% तक कोआला बियर जंगलों में लगी आग के कारण मर गएं।

इस इलाके में कोआला बियर की आबादी 15,000 से 28,000 है। इस आग का इतना अधिक प्रभाव पड़ा कि आग के धुएं के कारण ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में बीबीएल मैच रद्द हो गया। ऑस्ट्रलिया के कई हिस्से अब भी रेड अलर्ट पर हैं, क्योंकि लू बढ़ने से जंगलों में आग लगने की संभावनाएं काफी बढ़ गई हैं।

ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच फायर्स के आंकड़ों के अनुसार, 2019 के आठ महीनों में अब तक दुनियाभर में जंगलों में आग के 1.6 करोड़ मामले दर्ज किए गए हैं। वन में लगी आग की गंभीरता का इस बात से पता लगाया जा सकता है कि अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से भी यह दिखती है।

जैसे-जैसे पेड़ और वन्य क्षेत्र कम होंगे, हम सभी जलवायु परिवर्तन के कुचक्र में धंसते चले जाएंगे। इसका असर हिमालय, रॉकी और एंडीज पर्वतमालाओं की बर्फ पर दिख भी रहा है, वहां के ग्लेशियर्स पिघल रहे हैं।

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सोर्स- Factly.in, indiatoday, smsalerts/index, timesofindi, gulftoday, downtoearth, dw.com, dw.com, reuters.com
dw.com, bbc.com, dw.com

 

This post has been written by a YKA Climate Correspondent as part of #WhyOnEarth. Join the conversation by adding a post here.
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