इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (IIMC) दिल्ली के स्टूडेंट्स ट्यूशन फीस, हॉस्टल और मेस चार्ज में बढ़ोत्तरी के खिलाफ आज से (3 दिसंबर) हड़ताल पर जा रहे हैं। सरकारी संस्थान “नो प्रॉफिट नो लॉस” के आधार पर चलती है लेकिन IIMC में फीस साल दर साल बढ़ाई जा रही है। हर साल यहां 10% की दर से फीस में बढ़ोतरी होती है। इस साल हद पार करते हुए संस्थान ने फीस में 20% की बढ़ोत्तरी कर दी है।
इस हड़ताल के बारे में अंग्रेज़ी पत्रकारिता की स्टूडेंट आस्था सव्यसाची का कहना है,
दस महीने के कोर्स के लिए 1,68,500 के करीब फीस और इसके अलावा हॉस्टल व मेस चार्ज वहन करना किसी भी मध्यम वर्गीय स्टूडेंट के लिए संभव नहीं है। संस्थान में कई स्टूडेंट ऐसे हैं, जिन्हें फीस वृद्धि की वजह से पहले सेमेस्टर के बाद पाठ्यक्रम मजबूरन छोड़ना पड़ेगा।
IIMC में वर्ष 2019-20 के लिए विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए फीस संरचना कुछ इस तरह से है-
1. रेडियो और टीवी पत्रकारिता- 1,68,500
2. विज्ञापन और पीआर- 1,31,500
3. हिंदी पत्रकारिता- 95,500
4. अंग्रेजी पत्रकारिता- 95,500
5. उर्दू पत्रकारिता- 55,500
इसके अलावा, लड़कियों के हॉस्टल और मेस का शुल्क 6500 रुपए और लड़कों के लिए यह शुल्क 4800 रुपए प्रति माह है। साथ ही यहां प्रत्येक स्टूडेंट को हॉस्टल मिल भी नहीं पाता है।
IIMC में रेडियो और टीवी पत्रकारिता के छात्र हृषिकेश के अनुसार,
पिछले एक सप्ताह से हम संस्थान के साथ बातचीत के माध्यम से अपने मुद्दों के निवारण की कोशिश कर रहे हैं लेकिन प्रशासन हमारे मुद्दों पर गौर करने की बजाए चुप्पी साधे हुए है। संस्थान स्टूडेंट्स को आश्वासन के सिवाय कोई जवाब नहीं दे रहा है। हमने बातचीत के द्वारा इन मुद्दों को हल करने की पूरी कोशिश की लेकिन प्रशासन के ढुलमुल रवैये के कारण हमारे पास विरोध प्रदर्शन ही केवल एकमात्र विकल्प बचा है।
सस्ती शिक्षा देश के प्रत्येक स्टूडेंट का अधिकार है और अगर वे अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा को पास करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं तो उनकी उम्मीदों को ध्यान में रखना होगा। हम मीडिया संस्थानों को केवल उन लोगों के लिए सुलभ होने की अनुमति नहीं दे सकते हैं, जो लाखों का भुगतान कर सकते हैं। शिक्षा, एक अधिकार है, विशेषाधिकार नहीं है।
IIMC सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आता है। वर्ष 1965 में स्थापित, IIMC को देश का सर्वश्रेष्ठ मीडिया संस्थान माना जाता है।