हैदराबाद में पशु चिकित्सक के साथ रेप के बाद हत्या के मामले में पुलिस ने जिन चार आरोरियों को गिरफ्तार किया था, शुक्रवार की सुबह घटनास्थल पर ही उनका एनकाउंटर कर दिया गया। यह खबर राजनीतिक दलों और देश की जनता के लिए सकारात्मक ज़रूर है मगर आगे चलकर इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे।
इस घटनाक्रम को जिस तरीके से पुलिस द्वारा अंजाम दिया गया है, वह पूर्ण रूप से असंवैधानिक और गैरकानूनी है। इस घटना को जिस तरीके से मीडिया द्वारा प्रचारित किया जा रहा है, वह भी शर्मनाक है।
देश के कई इलाकों में एक तरफ जहां महिलाएं पुलिसवालों को राखी बांध रही हैं, तो वहीं कई जगहों पर उनकी आरती उतारी जा रही है। इस तरीके से हैदराबाद पुलिस का महिमामंडन करना सरकारी विफलता और लचर कानून व्यवस्था को छुपाने तथा फेक एनकाउंटर को बढ़ावा देने जैसा है।
पूरे देश के नागरिकों की यह मांग होती है कि बलात्कार के आरोपी को तुरन्त सज़ा मिलनी चाहिए मगर हैदराबाद की घटना के बाद जिस तरीके से लोग पुलिसवालों की आरती उतार रहे हैं, वह कहीं ना कहीं भारतीय कानून व्यवस्था और संविधान को कमज़ोर करने की कोशिश दिखाई पड़ती है।
निर्भया कांड के बाद पूरे देश में फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की गई मगर कोई फायदा नहीं हुआ। फास्ट ट्रैक कोर्ट की कार्यप्रणाली ही कई बड़े सवाल खड़े करती है।
आंकड़े बताते हैं कि मामले की सुनवाई होने में फास्ट ट्रैक कोर्ट में 3 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक का समय लगता है। ऐसे में पीड़ितों को न्याय कैसे मिलेगा? जो लोग इस फर्ज़ी एनकाउंटर पर खुशी मना रहे हैं, उनको सरकारों से सवाल पूछना चाहिए कि देश में हर 6 घंटे में जहा एक लड़की का बलात्कार होता है, वहां न्याय के नाम पर सिर्फ तारीख क्यों मिलती है?
2008 एनकाउंटर मामला
हैदराबाद रेप केस की अगुवाई करने वाले सायबराबाद के पुलिस कमिश्नर वीसी सज्जनार द्वारा इससे पहले भी इस तरह के एनकाउंटर को अंजाम दिया जा चुका है। इससे पहले साल 2008 में भी पुलिस प्रमुख सज्जनार एक एनकांउटर में शामिल थे।
वांरगल में लड़की पर तेजाब फेंकने के आरोप में तीन लोगों का उन्होंने एनकाउंटर कर दिया था। उस वक्त सज्जनार एसपी के पद पर कार्यरत थे। उस दौरान भी यह दावा किया गया था कि आरोपियों ने पुलिस पर हमला किया था।
उदाहरण के तौर पर मैं आपको एक घटना के बारे में बता सकता हूं जिसकी स्टोरी मैंने खुद कवर की थी। बिहार के सुपौल ज़िले के एक कथित बाबा पर साध्वी बहनों ने रेप का आरोप लगाया था। पुलिस ने जांच करते हुए बाबा के खिलाफ चार्जशीट दायर की मगर बाबा के लोगों ने लगातार सर्वाइवर की बहनों को धमकाना शुरू किया जिससे उन्होंने कोर्ट में अपना बयान ही बदल दिया। इस प्रकार बाबा को कोर्ट से ज़मानत मिल गई।