23 दिसंबर को झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों के शरुआती रुझान आने के बाद ही 44 वर्षीय हेमंत सोरेन को बधाइयां देने का सिलसिला आम था। होता भी क्यों नहीं, उन्हें राजनीति विरासत में मिली है। राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के गठबंधन की सरकार है।
एक बार फिर वह मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। शिबू सोरेन के दूसरे बेटे हेमंत सोरेन ने अपने बड़े भाई दुर्गा सोरेन की असामयिक मौत के बाद सियासत में कदम रखा था। कभी राज्यसभा के सदस्य रहे हेमंत सोरेन विधायक बने फिर साल 2013 में वह पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने।
हेमंत सोरेन के परिवार के बारे में
झारखंड आंदोलन का नेतृत्व करने वाले हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन ने बिहार से जल, जंगल, ज़मीन हेतु संघर्ष करते हुए आदिवासियों को अलग राज्य झारखंड का तोहफा दिलवाने में अहम भूमिका निभाई।
शिबू सोरेन के 3 पुत्रों में सबसे बड़े दुर्गा सोरेन थे। दुर्गा सोरेन की मौत सड़क दुर्घटना में हो गई थी। दुर्गा सोरेन के बाद हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन हैं। हेमंत सोरेन की एक बहन भी हैं, जिनका नाम अंजलि सोरेन है।
सरना धर्म के अनुयाई हेमंत सोरेन की पत्नी का नाम कल्पना सोरेन है जिनके दो बेटे हैं। हेमंत सोरेन के बेटों का नाम निखिल और अंश है। उनकी पत्नी कल्पना सोरेन निजी स्कूल का संचालन करती हैं।
हेमंत सोरेन का जन्म 10 अगस्त 1975 को रामगढ़ ज़िले में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा बोकारो से हुई। 1994 में उन्होंने इंटर बिहार बोर्ड से विज्ञान संकाय में पास किया। माँ रूपी सोरेन उन्हें इंजीनियर बनाना चाहती थीं। BIT मेसरा से आगे की शिक्षा प्राप्त करने वाले हेमंत सोरेन के भाग्य में मुख्यमंत्री बनना लिखा था।
राजनीति में हेमंत सोरेन का पदार्पण
2003 में हेमंत सोरेन ने छात्र राजनीति में कदम रखा। उस दौरान वह झारखंड छात्र मोर्चा के अध्यक्ष बनें। उन्होंने पिता शिबू सोरेन को केन्द्र की सरकार में शामिल होते हुए ना सिर्फ मंत्री, बल्कि झारखंड में तीन बार मुख्यमंत्री भी बनते देखा। शिबू सोरेन द्वारा किए गए संघर्ष के तप में हेमंत सोरेन का राजनीतिक अनुभव खूब निखरा।
हेमंत सोरेन 24 जून 2009 से 4 जनवरी 2010 तक राज्यसभा सांसद रहे। पहली बार 23 दिसंबर 2009 को दुमका से वर्तमान विधानसभा के लिए विधायक चुने गए। 11 सितंबर 2010 को राज्य में अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में बनी सरकार में हेमंत को उपमुख्यमंत्री का पद भी मिला।
जनवरी 2013 को झामुमो द्वारा समर्थन वापसी के चलते बीजेपी की अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार गिर गई थी और 13 जुलाई 2013 को हेमंत सोरेन ने झारखंड के 9वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की।
2014 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन ने दुमका और बरहेट विधानसभा की सीट से चुनाव लड़ा था। दुमका सीट से बीजेपी की प्रत्याशी लुईस मरांडी के हाथों हेमंत सोरेन को शिकस्त झेलनी पड़ी लेकिन वह बरहेट से जीत दर्ज़ करने में कामयाब रहे।
और हेमंत सोरेन बन गए झारखंड के 11वें मुख्यमंत्री
81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा में झामुमो ने 30 सीट पर ज़बरदस्त जीत दर्ज की है। वहीं, JMM के गठबंधन सहयोगी काँग्रेस ने 16 और राजद ने एक सीट पर जीत हासिल की है। सरकार गठन हेतु 29 दिसंबर को काँग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया।
इस अवसर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल काँग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी, डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन, आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह और राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने भी अपनी उपथिति दर्ज़ कर NDA के समक्ष विपक्ष की एकजुटता का परिचय दिया।
सोरेन के अलावा काँग्रेस नेता आलमगीर आलम, रामेश्वर उरांव और आरजेडी के सत्यानंद भोक्ता ने भी मंत्री पद की शपथ ली।