कार्बन उत्तसर्जन से लेकर तेज़ी से तबाह होते जंगलों के खिलाफ साल 2019 में भारतीय युवाओं ने जमकर मुहिम चलाई। चाहे सरकार को घेरने की बात हो या क्लाइमेट इमरजेंसी घोषित करने की, हर स्तर पर आवाज़ें उठी हैं। जलवायु परिवर्तन के खिलाफ 106 देशों के लाखों बच्चे जब स्कूल ना जाकर हाथ में पोस्टर लेकर सरकार से सवाल कर रहे थे, तब भारत के विभिन्न शहरों में भी आवाज़ें उठ रही थीं। बच्चे चीख-चीखकर कह रहे थे कि बड़े उनकी बात सुनें।
अब तक के आंदोलनों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब बच्चे स्वच्छ हवा और पर्यावरण बचाने की मुहिम के लिए सड़कों पर उतरे। अब भी अलग-अलग शहरों में पर्यावरण बचाने की मुहिम जारी है। इसी कड़ी में आइए जानते हैं भारत के उन पांच क्लाइमेंट चैंपियन के बारे में जिन्होंने साल 2019 में इस दिशा में ज़ोर-शोर से अपनी आवाज़ बुलंद की।
ग्रेटा थनबर्ग के साथ 5 देशों के खिलाफ UN में मुकदमा दर्ज़ करने वाली रिद्धिमा पांडेय
क्लाइमेट चेंज की वजह से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के मद्देनज़र 16 बच्चों ने यूएन में सरकारों के खिलाफ शिकायत दर्ज़ करवाई है। इन 16 बच्चों द्वारा दायर की गई पिटीशन में लिखा है,
दुनिया के 5 देशों तुर्की, अर्जेंटीना, फ्रांस, जर्मनी और ब्राजील ने जलवायु संकट को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाकर मानवाधिकारों का हनन किया है।
यूएन में शिकायत दर्ज़ करने वाले 16 बच्चों में ग्रेटा थनबर्ग के साथ उत्तराखंड की रिद्धिमा पांडे भी शामिल हैं। 11 वर्षीय रिद्धिमा खुद भी एक पर्यावरण एक्टिविस्ट की बेटी हैं। रिद्धिमा पांडे 6 साल पहले अपने परिवार के साथ नैनीताल से हरिद्वार जाकर बस गईं।
रिद्धिमा पांडे ने 2017 में महज़ 9 साल की उम्र में अपने पैरेन्ट्स की मदद से जलवायु परिवर्तन और संकट से उबरने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ मामला दर्ज़ करवाया था। सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में रिद्धिमा ने कहा था, “भारत प्रतिकूल जलवायु परिवर्तन से निपटने में सबसे कमज़ोर देशों में से एक है।”
उन्होंने कोर्ट से मांग की थी कि औद्योगिक परियोजनाओं का आकलन किया जाए। कार्बन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन को सीमित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी योजना बनाने की मांग भी सरकार से वह कई दफा कर चुकी हैं।
क्लास छोड़कर पर्यावरण बचाने की मुहिम चलाने वाले अमन शर्मा
अमन शर्मा 11वीं कक्षा के स्टूडेंट हैं, जो अपनी मुहिम के ज़रिये पर्यावरण संरक्षण की दिशा में लगातार सरकार से सवाल कर रहे हैं। अमन ने क्लाइमेट इमरजेंसी घोषित करने के लिए एक ऑनलाइन कैंपेन की शुरुआत की। अमन के इस कैंपेन को अब तक तीन लाख से भी अधिक लोगों का समर्थन प्राप्त हो चुका है।
अभी हाल ही में दिल्ली के अंबेडकर इंटरनैशनल सेंटर में आयोजित YKA सम्मिट में अमन ने कहा कि मौजूदा वक्त में पानी की कमी, बढ़ते तापमान और ग्रीन हाउस गैस इफेक्ट से हम जूझ रहे हैं जिसके खिलाफ हमें मिलकर आवाज़ बुलंद करने की ज़रूरत है।
पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ अमन को वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी का भी बेहद शौक है। एक साक्षात्कार के दौरान अमन से जब पूछा गया कि पर्यावरण बचाने की मुहिम की शुरुआत कैसे हुई? इस पर वह कहते हैं,
जब मैंने अपने ऑनलाइन कैंपेन की शुरुआत की, तब आम लोगों को इसके बारे में बताने के साथ-साथ अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स के ज़रिये बॉलीवुड और हॉलीवुड के एक्टर्स से भी संपर्क साधना शुरू किया। धीरे-धीरे मैंने देखा कि तमाम एक्टर्स और एक्ट्रेसेज़ ना सिर्फ पिटिशन को साइन कर रहे हैं, बल्कि वे अपने सोशल मीडिया पर शेयर भी कर रहे हैं। इससे मेरे कैंपेन को काफी ज़्यादा सपोर्ट मिला।
आरे फॉरेस्ट की कटाई पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालने वाले ऋषभ रंजन
ऋषभ रंजन एक लॉ स्टूडेंट हैं, जो तब काफी सुर्खियों में आए जब सुप्रीम ने उनके द्वारा डाली गई याचिका पर सुनवाई करते हुए पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी गई। ऋषभ को जब खबर मिली कि मुंबई में आरे फॉरेस्ट की कटाई शुरू कर दी गई है, तब उन्होंने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के नाम एक खत लिखते हुए यह कहा था कि आरे फॉरेस्ट में जिस तरीके से पेड़ों की कटाई हो रही है, उस पर रोक लगाई जाए।
गौरतलब है कि मुंबई हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में आरे को फॉरेस्ट मानने से इंकार करते हुए सभी याचिकाओं को खारिज़ कर दिया था। आरे फॉरेस्ट में पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए ऋषभ के कुछ दोस्तों को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया था।
जब आरे फॉरेस्ट में पेड़ों की कटाई हो रही थी, तब ऋषभ अपने घर में थे। दोस्तों की गिरफ्तारी और धड़ल्ले से पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए वह दिल्ली पहुंचे और मुख्य न्यायाधीश को एक चिट्ठी लिखते हुए कहा, “एपिस्टोलेरी ज्यूरिडिक्शन को एक्सरसाइज़ करते हुए आप इसको याचिका बनाएं और इस पर कार्रवाई करते हुए तुरन्त प्रभाव से इस पर स्टे लगाएं।”
अरावली रेंज को बचाने की मुहिम चलाने वाले गुरुग्राम के स्टूडेंट वीर ओजस
वीर ओजस ने अपनी बहन मान्या के साथ मिलकर क्लाइमेट एक्शन गुड़गॉंव की शुरुआत की है, जिसके माध्यम से उन्होंने भारत के अब तक के सबसे व्यापक बच्चों के आंदोलन का आयोजन किया। अरावली रेंज को बचाने की वीर ओजस की कोशिशें लगातार जारी हैं।
अभी हाल ही में Youth Ki Awaaz सम्मिट के दौरान वीर ने कहा, “विश्व की सबसे पुरानी अरावली रेंज खतरे में है जिसे बचाने की ज़रूरत है। भारत में हरियाणा के पास सबसे कम (3.59%) जंगल क्षेत्र हैं। यह आंकड़ा डराने वाला है। 3.59% जंगल क्षेत्र हरियाणा के शिवालिक और अरावली में सीमित हैं।”
गौरतलब है कि वीर ने अभी हाल ही में ‘Walks to Aravallis’ नामक एक खास पहल भी शुरू की है जिसके ज़रिये वह लोगों को अरावली से जोड़ना चाहते हैं। इस मुहिम के माध्यम से वीर अरावली के महत्व के बारे में लोगों को बता रहे हैं।
5 लाख से भी अधिक पेड़ लगाने वाले विष्णु लांबा
विष्णु लांबा बिना सरकारी सहयोग के अब तक करीब पांच लाख से भी अधिक पौधे लगा चुके हैं। उन्होंने अपनी जान पर खेलकर लगभग 13 लाख पेड़ों को बचाया है और 11 लाख पौधे निःशुल्क लोगों में वितरित भी किए हैं। विष्णु लांबा का कहना है कि अगर कोई अपने जीवन में 5 पेड़ नहीं लगाता है, तो उसे चिता पर जलने का कोई अधिकार नहीं है।
पौधे लगाने के साथ ही विष्णु पिछले 11 सालों से गर्मियों में पक्षियों के लिए ‘परिंदों के लिए परिंडा’ अभियान चलाकर लाखों परिंडे लगा चुके हैं। वह एक कल्पतरु नामक संस्था भी चलाते हैं, जिसके ज़रिये पिछले 15 साल से कहीं ना कहीं एक पौधा लगाने का काम किया जा रहा है।
लाखों पेड़ों को बचाने वाले विष्णु पक्षियों और खनन के खिलाफ भी काम करते हैं। राजस्थान में कई खनन माफियाओं के खिलाफ उन्होंने आवाज़ बुलंद की है, जिसकी वजह से उन्हें परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। विष्णु लांबा को वृक्ष मित्र के नाम से भी जाना जाता है।