मैं हिंदू हूं और तुम्हारे साथ विरोध में दिन-रात खड़ा हूं, मगर जब तुम्हारे विरोध करने का तरीका हिंसक और सांप्रदायिक रूप ले लेता है, तो मुझे तुम्हारा साथ देने में शर्म आती है।
हमारा देश शुरू से अनेको धर्मों का संगम रहा है। अपने धर्म के प्रति सम्मान, झुकाव और समर्पण ही हमें उनके इर्द-गिर्द होने वाले वाद-विवाद में संवेदनशील बनाता है।
क्या तुम्हें ॐ में भी कट्टरपंथ नज़र आता है?
आज तुम ‘Fuck Hindutva’ लिखे पोस्टर पर ‘ॐ’ को नाज़ी के चिन्ह समान बता रहे हो; वह चिन्ह जो लगभग हर हिंदू घर के द्वार पर, मंदिर पर, गले में लटकती मालाओं पर और उनके दिल में बसे अटूट भरोसे में मिलता है।
चलो तुम्हारी दलील मान भी ली जाए, जो कहती है कि हिंदुत्व एक विचारधारा है, जो कट्टरपंथ में विश्वास रखती है लेकिन क्या तुम्हें ॐ में भी कट्टरपंथ नज़र आता है? मैं यहां तुम्हें ॐ का महत्व नहीं बता रहा हूं और ना ही इस चिन्ह को पवित्रता की चोटी पर पहुंचा रहा हूं। मेरा बस इतना कहना है कि जिस चिन्ह से एक धर्म के लगभग सभी लोगों की आस्था जुड़ी हो, उसके नीचे फक जैसे शब्द देख चुप कैसे बैठा जा सकता हैं?
इस पोस्टर के द्वारा क्या तुम उन्हें तुम्हारे धर्म के खिलाफ विरोध के लिए उकसा नहीं रहे हो? फिर तो अगर वे अर्द्ध चांद और सितारे के ऊपर ‘Fuck Radical Islam’ लिख दें तो तुम्हें भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
हमारा लक्ष्य तो धर्म और उसकी बहसों से बहुता ऊंचा है
हम यह विरोध किसी एक धर्म को नीचा या ऊंचा दिखाने के लिए नहीं कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य तो धर्म और उसकी बहसों से बहुता ऊंचा है। हमें संविधान की कमज़ोर पड़ती नींव को मजबूत करना है। उसके लिए हमें एकजुट होकर इंसानियत की ताकत दिखानी होगी ना की अपने धर्म की।
एक और सवाल, क्या तुम्हें लगता है कि तुम्हारा यह हिंसक विरोध, बस-गाड़ियों को जलाना, पत्थरबाजी करना, तुम्हारे विरोध को सफल बना रहा है?
दोस्त, फिर से माफ़ करना, मगर तुम यहां भी गलत हो। तुम्हें आभास भले ही ना हो लेकिन संविधान को बचाने वाली लड़ाई, धीरे-धीरे हिंदू बनाम मुसलमान का रूप ले रही है। मुझे डर इस बात का रहता है कि जो आज मैं अपने हिंदू कट्टरपंथी साथियों से तुम्हारे हक के लिए लड़ रहा हूं, कल को मुझे खुद पर शर्मिंदा ना होना पड़े।
आपको सनद रहे, यह लड़ाई मैं- एक हिंदू अपर कास्ट ब्राम्हण सिर्फ अपने मुसलमान साथियों के लिए ही नहीं लड़ रहा, उससे भी ज़रूरी, देश के संविधान की सुरक्षा के लिए लड़ रहा हूं।
अराजकता हमारे सारे कर्मों पर पानी फेर सकती है
मुझे गर्व भी है कि संविधान के लिए हम सब अपने धर्म से ऊपर उठकर खड़े हो रहे हैं, मगर अराजकता हमारे सारे कर्मों पर पानी फेर सकती है। जब पुलिस तुम्हारे किए पर ऐक्शन लेती है तो विक्टिम कार्ड को उठाना और गलत बात है ना? पुलिस हमारे(भारतीय) संविधान में लिखे नियमों पर कदम उठाती है। तुम्हें इसपर भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए, दोस्त।
‘हम सब एक हैं’ से हटकर जब नारे ‘हिंदुत्व की कब्र खुदेगी ऐएमयू तेरी छाती पर’ आ जाते हैं, तो पता लगता है कि आज भी शिक्षा की कमी किसी भी धर्म को कितना खोखला कर सकती है।
मैं मेरे हिंदू धर्म में भी सांप्रदायिक लोगों को अशिक्षित ही मानता हूं। मैं उनके खिलाफ शुरू से हूं और मरते दम तक रहूंगा लेकिन मैं यहां ऐएमयू के छात्रों के साथ खड़ा था। मुझे उनसे ऐसे नारों की उम्मीद नहीं थी। कोई भी जब किसी का साथ सांप्रदायिकता से देश को बचाने के लिए देता है और पता लगता है कि वह जिसका साथ दे रहा था, वे खुद सांप्रदायिक हैं, तो चोट दिल पर लगती है दोस्त।
फिर भी, हस सब एक हैं।