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“IIT में पढ़ते हुए मैं हर दूसरे-तीसरे सेमेस्टर कैंपस में आत्महत्या की खबर सुनता था”

9 नवंबर को IIT मद्रास की 19 वर्षीय छात्रा फातिमा लतीफ की आत्महत्या के बाद स्टूडेंट्स की आत्महत्या का मामला एक बार फिर ज़ोर पकड़ लिया है। देश के इन उत्कृष्ट संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं पर किस तरह का दबाव डाला जाता है कि वे आत्महत्या जैसे फैसले लेने को मजबूर हो जाते हैं।

हाल ही में रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के सांसद एन के प्रेमचंद्रन के संसद में उठाए एक सवाल के जवाब में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने सोमवार, 2 दिसंबर को कुछ आंकड़े जारी किए। इसके मुताबिक,

पिछले पांच सालों में सभी IIT में समग्र रूप से 50 आत्महत्याएं हुई हैं, जिनमें से 14 आत्महत्या की घटनाएं सिर्फ IIT गुवाहाटी में हुई हैं।

IIT गुवाहाटी के स्टूडेंट्स ने आत्महत्या के इन आंकड़ों को बताया गलत

हालांकि इस सिलसिले में IIT गुवाहाटी के स्टूडेंट्स से बात करने पर पता चला कि यह आंकड़ा सही नहीं है और इसमें पिछले पांच साल में किसी हादसे या प्राकृतिक रूप से मरने वालों को भी शामिल किया गया है। मगर उन स्टूडेंट्स ने यह भी स्वीकार किया कि आत्महत्याएं हो रही हैं।

IIT

IIT गुवाहाटी के पूर्व छात्र प्रसून रौरहा ने इस बारे में बात करते हुए बताया,

मैं 2014 से 2018 तक IIT गुवाहाटी में था। इस दौरान हर दूसरे या तीसरे सेमेस्टर में खबर आती थी कि किसी छात्र/छात्रा ने आत्महत्या कर ली। इस तरह की खबर दुख से ज़्यादा हमारे भीतर डर पैदा कर देती थी और हम उस आत्महत्या का कारण जानना चाहते थे। हम जानना चाहते थे कि जिसने भी आत्महत्या की है, वह इससे पहले क्या सोच रहा होगा, जिससे कि हम कोई ऐसी चीज़ ना सोचें या करें जिससे हमें भी आत्महत्या करनी पड़े।

पढ़ाई के साथ ही सामाजिक दबाव भी बन रही है आत्महत्या की वजह

यह महज़ पढ़ाई का दबाव नहीं है, जिसकी वजह से आत्महत्याएं हो रही हैं, बल्कि उसके अलावा कई तरह के सामाजिक दबाव होते हैं, जो स्टूडेंट्स को ऐसे कदम उठाने को मजबूर कर देते हैं।

IIT में पढ़ना देश के ना सिर्फ छात्र-छात्राओं का सपना होता है, बल्कि उनके अभिभावक इस चीज़ को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर देखते हैं। मैंने खुद दो साल तक IIT की तैयारी की है। ग्यारहवीं खत्म होते-होते ही समझ आ गया था कि मेरा नहीं होगा मगर घरवालों के डर और कोचिंग में दी जा चुकी मोटी फीस की वजह से मैं बारहवीं के पेपर तक तैयारी करता रहा।

नतीजा वही हुआ जैसा मैंने सोचा था, मैं IIT की प्रवेश परीक्षा में फेल हो गया। मगर मेरे घरवालों ने मेरी राय को गलत साबित करते हुए मुझे अपना मनचाहा विषय पढ़ने की आज़ादी दी।

मुझे पता है कि IIT तक पहुंचने वाले सभी स्टूडेंट्स के पीछे उनके सालों का कड़ा परिश्रम होता है। कॉलेज में पंहुचने के बाद एक नए परिवेश में दाखिल होता है और वह दुनियाभर के नए अनुभव महसूस करता है।

नौकरी का डर

इसी दौरान हर संस्थान की तरह यहां भी कुछ स्टूडेंट परीक्षा में फेल हो जाते हैं, तो कुछ अन्य कारणों की वजह से भी उदास महसूस करने लगते हैं। इसके अलावा IIT का सपना देखने वालों के लिए जो मुख्य आकर्षण होता है, वह है IIT से निकलने के बाद लाखों के पैकेज वाली नौकरी।

फोटो प्रतीकात्मक है।

मैं आपको यह स्पष्ट कर दूं कि ऐसा नहीं है कि IIT के हर छात्र को मोटा पैकेज मिलता है। पैकेज छोड़िए कइयों को नौकरी नसीब भी नहीं होती है और यही भ्रम जब टूटता है, तो स्टूडेंट ठगा हुआ महसूस करते हैं। इन्हीं में से कुछ अवसाद के शिकार भी हो जाते हैं। यही अवसाद जब स्टूडेंट्स पर हावी हो जाता है, तो कुछ स्टूडेंट आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं।

काउंसलिंग के लिए है काउंसलर की व्यवस्था

अगर बात करें इसके उपचार और काउंसलिंग की तो हर IIT कैंपस में स्टूडेंट्स के लिए काउंसलर्स की व्यवस्था है मगर एक समाज के तौर पर अभी हम उतने समझदार नहीं हुए हैं, जो अवसाद और पागलपन में भेद समझ सके।

ज़्यादातर स्टूडेंट काउंसलर्स के पास जाने से महज़ इसलिए कतराते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके दोस्त, परिवार उनके बारे में क्या सोचेंगे। इसके अलावा एक और चीज़ जो स्टूडेंट्स से पता चली, वह यह थी कि काउंसलिंग का वक्त दिन में होता है, जिस दौरान क्लासेज़ चलती हैं।

अवसाद सबसे ज़्यादा किसी भी इंसान पर रात को हावी होती है, जब वह अकेले अपने कमरे में लेटकर दुनिया जहान की बातें सोच रहा होता है। वही वक्त होता है जब उसे किसी से बात करने की ज़रूरत होती है मगर वह कर नहीं पाता इसलिए ज़्यादातर आत्महत्या की खबरें लोगों को अहले सुबह मिलती है कि रात को इस स्टूडेंट ने आत्महत्या कर ली।

संस्थानों को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि स्टूडेंट जब चाहें तब काउंसलर्स की मदद ले सकें और उन स्टूडेंट्स की पहचान गोपनीय रखी जाए। सामाजिक तौर पर हमें पुरातनपंथी विचारों से बाहर आकर हर तरह की समस्याओं को अपनाना होगा और मदद नहीं मांग पा रहे हर व्यक्ति की मदद करनी होगी।

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