ये जो अफवाह फैला रहे हैं उनको शायद अल्पसंख्यक का अर्थ ही नहीं पता है।बात हो रही है तीन देशों के अल्पसंख्यकों की और ये भारत के अल्पसंख्यक समझ रहे।
कुछ राजनीतिक पार्टियां इस पर राजनीतिक रोटी सेंक रही और अल्प ज्ञान वाले शहरी नक्सलिज्म से प्रेरित युवा अपना ज्ञान बघार रहे हैै।
बिल को बिना पढ़े,समझे संविधान की दुहाई दे रहे जिस संविधान को गूढ़ रूप से वो जानते भी नहीी। जबरन भेड़ चाल में चलकर देश की प्राचीन उदारवादी संस्कृति और वैदिक संस्कृति से अनजान ये युवा दिग्भ्रमित हैं,दरअसल ये ज्यादतर वाट्सैप यूनिवर्सिटी में पढ़ते है,किताबें नहीं।
रही बात Article-14,15 की तो वह अपने देश के नागरिकों पर लागू होता है शरणार्थियों पर नहीं।
NRC घुसपैठियों के लिये है जबकी CAB या CAA शरणार्थियों के लिये..
असम,मणिपुर,मिजोरम व अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में इसे पुराने कानूनों जो 1971 के तथा अन्य किसी भी कानून का उल्लंघन कर के लागू नहीं किया जा रहा।
जो शरणार्थी सालों से बिना पहचान के रह रहें हैं यदि उन्हे पहचान मिल रही है तो क्या तकलीफ है।फिलहाल शरणार्थी के रूप में संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं आगे नागरिक के रूप में करेंगेे।
अनु.-15 में यदि धर्म जाति भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर समानता का अधिकार है तो विशेष परिस्थितियों में केंद्र द्वारा विभिन्न जातियों तथा अल्पसंख्यकों को तथा राज्यों द्वारा उनके एक भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर राज्य के नागरिकों को,बहुसंख्यक जातियों जैसे मराठा,जाट इत्यादि को,पिछड़ा वर्ग,अनुसूचित जाति व जनजाति तथा अल्पसंख्यको को आरक्षण देने का प्रावधान है।
यहां भी आर्टिकल 15 का उल्लंघन हुआ है लेकिन विशेष परिस्थितियों में यह मान्य है और सभी को स्वीकार्य है तो CAB में क्या दिक्कत हैै।
क्या आर्टिकल 15 की दुहाई देने वाले आरक्षण छोड़ेंगे ताकि पूरा समाज किसी धर्म,जाति से न पहचाना जाये।
इन्हे बस प्रौपगैंडा चलाना है,खुद को शोषित बताना है,हिंसा किसी मुद्दे का हल नहीं है महात्मा गांधी ने कहा था।अगर कोई असहमत है तो बात करे हिंसा करने से क्या समाधान मिल जायेगा।
सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाकर जो स्वयं को महान समझ रहे हैं वो भूल रहें हैं कि अप्रत्यक्ष रूप से वह सरकारी सम्पत्ति भी हमारी ही है उनकी भी है…
हिंसा छोड़ें, समझें चैन से जिये और जीने दें…
पहले बिल को पढ़ें,समझे।ज्यादे दिक्कत है तो सुप्रीम कोर्ट जायें पुुुुुुुनर्विचार याचिका दायर करें,फैसला आने तक इंतजार करें।
करन त्रिपाठी”अविचल”