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घर से बाहर घर का अहसास: “दिशा” संस्था ने मॉस्को में किया नए साल का भव्य आयोजन

जब आप अपने देश से बाहर रहते हैं तो पढ़ाई-लिखाई और काम के अलावा जीवन में एक तरह का एकाकीपन आ जाता है. उस एकाकीपन को भरने के लिए कुछ लोग अपने नए देश-भेस के अनुरूप जीवन-शैली बदल देते हैं, कुछ नए रिश्ते तलाशते हैं और कुछ अपने साथ अपना देश भी नई जगह ले आते हैं. डॉ. रामेश्वर सिंह अस्सी के दशक में सुल्तानपुर से रूस पढ़ने के लिए आये थे. पढ़ते-लिखते यहीं के हो गए, लेकिन घर-देश नहीं छूटा. उन्होंने भारत-रूस मैत्री संघ “दिशा” बनाया, और फिर देश और समाजों के बीच के अंतर को भरने के लिए लगातार काम करना शुरू कर दिया.

इसी क्रम में 21 दिसंबर को रामेश्वर जी ने नए साल का समारोह आयोजित किया था. सुशील “आज़ाद”, जो भारतीय दूतावास के स्कूल में हिंदी पढ़ाते हैं, अपनी फेसबुक वाल पर लिखते हैं- “दोस्तों कल शाम रूसी भारतीय मैत्री संघ ‘दिशा’ ने नववर्ष उल्लास कार्यक्रम किया। जिसमें महामहीम भारतीय राजदूत श्री डी बी वेंकटेश वर्मा मुख्य अतिथि रहे ड़ा रामेश्वर सिंह जी ने सभी का स्वागत किया इसमें डिप्टी चीफ़ ओफ़ मिशन साहब के साथ साथ राजदूतावास के अनेक अधिकारीगण एवं सैकड़ों रूसी-भारतीय लोगों का भी आशीर्वाद मिला। नृत्य और संगीत के बीच जहाँ संत शांताक्लोज [सैंटा क्लॉस] की मख़मली उपस्थिति का अहसास हुआ था वहीं रूस में भारतीय संस्कृति और हिंदी भाषा के विकास मे संलग्न लगभग दो दर्जन लोगों का सम्मान किया गया। इस सम्मान समारोह मे भारत (पटियाला ) से आई मेहमान संस्था “इंटरनेशनल ओरगेनाइज़ेशन फ़ोर लेंग्वेज कोर्डिनेशन” ने अपनी रूसी अंग्रेज़ी , पंजाबी के साथ रूसी भाषा एक साथ सिखाने वाली “फ़ोर इन वन मैजिक” पुस्तक का विमोचन करते हुए , सम्मान समारोह मे योगदान दिया। लेखक श्री अनिल भारती ने अपनी पुस्तक से चारों भाषाओं को सहज सीखने की कला पर प्रकाश डालते हुए दिशा का आभार व्यक्त किया । उल्लेखनीय है कि दिशा संस्था के बेनर तले यह विद्वानों का अभी तक का सबसे बड़ा समारोह था जिसमें रूस के विश्वविद्यालय के सभी नामी प्रोफ़ेसरों, विद्वानों को सम्मान दिया गया। इस अवसर पर रूस के सेनेटर महोदय भी मौजूद थे ।मेरा सौभाग्य कि मंच संचालन का दायित्व मिला।”

रूस और भारत के बहुत सारे युवाओं (उम्र और दिल दोनों से) ने इस कार्यक्रम में शिरकत की. रामेश्वर जी और उनका परिवार इस कार्यक्रम के सञ्चालन के लिए लगा रहा. अभिषेक, इवगेनी, सुशील आज़ाद जी, बीपी सिंह और उनकी पत्नी डॉ. इन्ना, श्री नीरज कुमार, तहसीन भाई जैसे कितने लोगों ने इस कार्यक्रम को आयोजित करने में हाथ बटाया. हमने देश-विदेश के तमाम प्रासंगिक मुद्दों पर खूब बातचीत की, सहमति-असहमति जताई. भारतीय राजदूत ने भारत-रूस संबंधों पर एक संजीदा भाषण भी दिया. रूसी राजनीतिज्ञ श्री मोरोज़ोव इगोर निकोलेविच सपरिवार आये. इस्कॉन और गायत्री परिवार के सदस्य भी इस उत्सव में शामिल हुए.

कुल मिलकर अच्छा अनुभव. ऐसे आयोजन जरुरी हैं. (मैं तमाम सोशियोलॉजिकल थेओरीज़ लिखकर भी उसे एक्सप्लेन कर सकता हूँ, लेकिन मुद्दा केवल देश से बाहर देश के अहसास का था, इसलिए उसी तक कलम को सीमित रखा. 🙂

 

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