आप बढ़ते प्रदूषण की खबर से तो भली-भांति वाकिफ होंगे। अभी दिल्ली को गैस चैम्बर का नाम मिल गया है, क्योंकि वहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स बेहद खराब हो चुका है। इसके साथ ही देश के कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर बढ़ा हुआ है, जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
हालांकि यह आफत लोगों ने स्वयं बुलाई है, क्योंकि कहीं-ना-कहीं इस हालत के ज़िम्मेदार हम स्वयं हैं। हमने विकास के नाम पर पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में ज़रूरी है, ऊर्जा के उन स्रोतों के बारे में बात की जाए, जिससे प्रदूषण में इज़ाफा नहीं होता है।
प्रदूषण बढ़ाने वाले स्रोत
उसके पहले अगर हम ऊर्जा के उन स्रोतों के बारे में बात करते हैं, जो प्रदूषण को बढ़ाने का कार्य करते हैं।
जैसे- फॉसिल फ्यूल अर्थात जीवाश्म ईंधन के प्रयोग से भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता है। इसमें कोयला जलाकर ऊर्जा का उत्पादन करना भी शामिल है, इससे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ता है।
आज बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए विभिन्न स्तर पर कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं, इसलिए यह बेहद ज़रूरी है कि हम ऊर्जा के ऐसे स्रोतों के बारे में भी जानें, जिनसे हमारे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता है।
ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोत
1. सोलर एनर्जी अर्थात सौर ऊर्जा-
- सूरज हमेशा से हमारे लिए एक बेहतर ऊर्जा का स्रोत रहा है, जिससे हम प्राचीन काल से ही ऊर्जा का उत्पादन करते आए हैं। हम सीधे सूर्य की ऊर्जा का उपयोग नहीं कर सकते हैं, इसलिए यह ज़रूरी है कि इसे पहले विद्युत ऊर्जा में बदला जाए।
- आज कई तरह के सोलर पैनल आते हैं, जिनमें सिलिकॉन चिप लगी होती है, इसके द्वारा ही सूर्य से ऊर्जा का रूपांतरण होता है।
- साथ ही फोटो वोल्टिक प्रणाली द्वारा सूरज के प्रकाश को विद्युत रूप में रूपांतरित किया जाता है। इसमें कई सोलर बैटरी को एक साथ लगाकर बिजली उत्पादन किया जाता है। यह एक बेहतरीन तरीका है, क्योंकि इससे प्रदूषण नहीं फैलता है और पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होता है। साथ ही यह रिन्यूएबल एनर्जी है, जो कभी नहीं समाप्त होती है।
- इसके माध्यम से जल सिंचाई का काम भी किया जा सकता है।
- सौर ऊर्जा से वे सारे कार्यों को किया जा सकता है, जिसमें बिजली की ज़रूरत होती है, क्योंकि यह भी ऊर्जा का ही एक स्रोत है।
सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने भी कई कदम उठाए हैं। सौर ऊर्जा का राष्ट्रीय संस्थान गुड़गाँव-फरीदाबाद रोड में स्थित है, जो सेंट्रल गुड़गाँव से लगभग 8 किमी और इंडिया गेट से लगभग 25 किमी की दूरी पर है।
2. विंड एनर्जी अर्थात पवन ऊर्जा-
- इसमें तेज़ बहने वाली हवा से बिजली का उत्पादन किया जाता है। इस प्रक्रिया में किसी तरह का प्रदूषण नहीं होता है।
- यह रिन्यूएबल एनर्जी का स्रोत है, क्योंकि यह कभी ना समाप्त होने वाली ऊर्जा है।
- अगर बड़े पैमाने पर इसका उपयोग नहीं करना है, तो इसे संचालित करने के लिए ज़्यादा बड़े जगह की आवश्यकता नहीं होती है। यह डाइनेमो अर्थात मोटर प्रणाली द्वारा कार्य करता है।
भारत में पवन ऊर्जा के विकास का काम 1990 के दशक में शुरू हुआ था और आज भारत पवन ऊर्जा के उत्पादन में चौथे स्थान पर है। 2018 के आंकड़ें के अनुसार भारत में पवन ऊर्जा की क्षमता 34,043 मेगावाट है।
3. बायो गैस-
- बायो गैस एक प्रकार का जैव ईंधन है, जो प्राकृतिक रूप से जैविक कचरे के अपघटन से उत्पन्न होता है।
- जब कार्बनिक पदार्थ, जैसे- खाद्य और पशु अपशिष्ट ऑक्सीजन की अनुपस्थित में वातावरण में टूटते हैं, तो वह मुख्य रूप से मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड गैस का मिश्रण वातावरण में छोड़ते हैं। अगर अपशिष्ट पदार्थों का रियूज़ या बायोगैस के रूप में इसका इस्तेमाल ना किया जाए तो ये वातावरण को प्रदूषित करते हैं। इस तरह बायो गैस का इस्तेमाल पर्यावरण को बचाने की ज़रूरत भी है।
- इसका प्रयोग उन क्षेत्रों में किया जाता है, जहां गोबर की मात्रा अधिक होती है अर्थात उन क्षेत्रों में जो कृषि पर निर्भर हैं।
- यह ऐसी ऊर्जा है, जिसे पृथ्वी में संग्रहित ताप से निकाला जाता है।
- इन्हें उच्च तापमान की ज़रूरत होती है, (300 डिग्री फारेनहाइट से 700 डिग्री फारेंहाइट तक)।
- गुजरात में पहला जियोथर्मल पावर प्लांट स्थापित करने के लिए तैयारी चल रही है।
- यह भी ऊर्जा का एक बेहतर स्रोत है, क्योंकि यह भी प्रदूषण रहित है।
- इसके साथ ही यह रोज़गार बढ़ाने का कार्य भी करता है।
- 2015 तक 13 देशों ने न्यूक्लियर पावर को अपनाया है। इससे एक चौथाई बिजली का उत्पादन किया जाता है।
- इसके पूरी दुनिया में लगभग 450 प्लांट्स हैं।
6. हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर (जल विद्युत क्षमता)-
- इसमें जल द्वारा ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है।
- इससे दुनियाभर में हर साल +2700 TWH बिजली का उत्पादन किया जाता है।
- इसके ज़रिए 66 देशों में लगभग 50% बिजली का उत्पादन किया जाता है।
- भारत में अभी तक लगभग 19.9% जल विद्युत क्षमता का दोहन किया गया है।
इससे आप इस बात का अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ऊर्जा के इन स्रोतों द्वारा हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं।