हमारी इंडियन क्रिकेट टीम में सचिन तेंदुलकर का नाम लोगों की ज़ुबान पर हमेशा कायम रहता है, क्योंकि वह कई दिलों की धड़कन हैं। भले ही लोगों को क्रिकेट से जुड़ी ज़्यादा जानकारी ना हो मगर वे सचिन के नाम पर मुस्कुरा ज़रूर देते हैं।
वहीं, अगर महिला क्रिकेट की बात की जाए तो शायद ही लोगों को प्लेयर्स के बारे में जानकारी भी हो। अभी एक बेहद दिल खुश करने और गौरवांवित करने वाली खबर आई है, जिसने लड़कियों को प्रोत्साहित करने का काम किया है।
शेफाली वर्मा, यह नाम अभी चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि इस खिलाड़ी ने सचिन तेंदुलकर का 30 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़कर क्रिकेट जगत में अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज़ कराई है।
यह खबर शायद आप तक नहीं पहुंची होगी क्योंकि पुरुष प्रधान समाज में इस तरह की खबरें सामने नहीं आ पाती हैं। भारतीय महिला क्रिकेट टीम वर्ल्ड चैंपियन वेस्टइंडीज़ को उसी के घर में धो रही है लेकिन इसकी चर्चा तक नहीं हो रही है।
कम उम्र में हासिल किया मुकाम
महज़ 15 साल 285 दिनों में किसी अंतरराष्ट्रीय मैच में अर्द्ध शतक जड़ने वाली शेफाली सबसे युवा भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं। इसके साथ ही शेफाली दूसरी सबसे युवा महिला खिलाड़ी बनी हैं, जिन्होंने टी-20 में सबसे कम उम्र में अर्द्ध शतक जड़ा है।
उनसे पहले यह कारनामा यूएई की महिला क्रिकेटर ईगोडे के नाम दर्ज़ है, जिन्होंने 15 साल 267 दिनों में टी-20 में अद्ध शतक अपने नाम किया था। शनिवार देर रात वेस्टइंडीज़ के खिलाफ 5 टी-20 मैचों की सीरीज़ के पहले मैच में शेफाली ने यह उपलब्धि हासिल करते हुए मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के कीर्तिमान को ध्वस्त कर दिया।।
सेंट लुसिया में खेले गए इस मैच में शेफाली की बेहतरीन पारी की बदौलत टीम इंडिया ने 185 रन बनाए और 84 रनों से शानदार जीत हासिल की।
सचिन का रिकॉर्ड हुआ ध्वस्त
अपने पांचवें टी-20 मैच में शेफाली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे जल्दी अद्ध शतक मारने के सचिन तेंदुलकर के 30 साल पुराने रिकॉर्ड को भी ध्वस्त कर दिया है। शेफाली ने 15 साल 285 दिनों में पहली फिफ्टी मारी जबकि सचिन ने 16 साल 214 दिनों में पहली फिफ्टी मारी थी।
हरियाणा की इस छोरी ने अपने करियर की शुरुआत पिछले महीने ही की है। उन्होंने टी-20 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 46 रनों की पारी खेली थी।
कम नहीं हैं हरियाणा की लड़कियां
हरियाणा के रोहतक की रहने वाली शेफाली ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि वहां की लड़कियां छोरे से कम नहीं हैं। किसी भी खिलाड़ी को केवल खिलाड़ी कहकर ही संबोधित करना चाहिए मगर यहां तो स्पोर्ट्स मेन ओर स्पोर्ट्स वीमेन जैसी संज्ञा दी जाती है, जिसे बदलना भी ज़रूरी है।
उम्मीद तो यही है कि यह खबर भी लोगों तक पहुंचे और लड़कियों के प्रति लोगों की सोच में सुधार हो ताकि खेलों की दुनिया में लड़कियां भी शानदार प्रदर्शन के ज़रिये यूं ही देशवासियों का दिल जीतती रहें।