पृथ्वी एक अनोखा ग्रह है, जहां जीवन संभव है। अब बात आती है कि हम मनुष्य जीवन को किस रूप में देखते हैं, एक बच्चे का पैदा होना, फिर उसके लिए मूलभूत सुविधाएं प्राप्त होना जैसे-पानी, हवा और भोजन। इसी प्रक्रिया को मूलत: जीवन समझ लिया जाता है। ये सारी चीज़ें कहां से आएंगी और कौन से चीज़ें इन तीन वस्तुओं के निर्माण में मददगार हैं, इसके बारे में हम शायद ही सोचते हैं।
हम पृथ्वी पर अन्य जीव-जन्तुओं के जीवन के मुद्दे को अकसर नज़रअंदाज़ कर देते हैं, साथ ही इस बात को भी नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है कि ये हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करते हैं, मनुष्य की मूलभूलत ज़रूरतों की चीज़ों के निर्माण में इनकी भूमिका को भी हम भूल जाते हैं।
हज़ारों की संख्या में पक्षियों की मौत
हमारी इसी नज़रअंदाज़ करने की प्रवृति के बीच एक चिंता करने वाली खबर आई है। 19 नवंबर 2019 की रिपोर्ट के अनुसार मात्र 10 दिनों में 18,000 से ज़्यादा पक्षी राजस्थान के सांभर झील के पास मृत पाए गए हैं। इन मृत पाए गए पक्षियों में 25-30 प्रजाति के प्रवासी पक्षी शामिल हैं। बता दें कि सांभर झील झील प्रवासी पक्षियों के आकर्षण का केंद्र माना जाता है, यहां हर साल हज़ारों की संख्या में करीब 83 प्रजाति के प्रवासी पक्षी आते हैं।
पक्षियों की इतनी बड़ी संख्या में मरने पर आसपास बीमारियों के फैलने का भी खतरा उत्पन्न हो गया है, जिससे बचने के लिए राजस्थान सरकार ने पक्षियों को दफनाने के लिए विभिन्न एजेंसियों की मदद ली है।
क्या है मौत की वजह
यह बात हुई पक्षियों की मौत से मनुष्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव की मगर मुख्य बात यह है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत हुई कैसे? इस सवाल को नज़रअंदाज़ करना बेवकूफी ही होगी।
बहुत सारे सरकारी और गैर सरकारी संगठन इस दिशा में खोज कर रहे हैं और अभी पूरी रिपोर्ट आनी बाकी है। मगर वहां के प्रारंभिक अवस्था से यही प्रतीत हो रहा है कि इतनी बड़ी संख्या में मौत की वजह वहां के पानी और जैव विविधता में परिवर्तन आना है। इतनी बड़ी संख्या में इन पक्षियों के मरने की कई वजहें हो सकती हैं, जिनमें वायरल इन्फेक्शन, जीवाणुतत्व-संबंधी इन्फेक्शन जैसी चीज़ें शामिल हो सकती हैं लेकिन इसमें एक बड़ी संभावना क्लाइमेट चेंज के प्रभाव की भी है, जैसे-
- कचड़े और मानवीय किर्याकलापों से झीलों का प्रदूषित होना।
- दूसरी वजह मौसम में हो रहे परिवर्तन से तापमान का असमान्य तरीके से बढ़ना और घटना। इससे शायद पक्षियों को भोजन की उपलब्धता में परेशानी, सफर में थकान, बदलते मौसम की वजह से उनकी शारीरिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव जैसे कारण हो सकते हैं।
पक्षियों की मौत की यह संख्या काफी डराने वाली है। यह संख्या साफ दर्शाती है कि हमारा पूरा पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में है। हम सब शांत हैं, क्योंकि मौतों का यह आंकड़ा पक्षियों का है ना कि किसी इंसान का। ये पक्षी कर भी क्या सकते हैं, ना वे किसी पुलिस स्टेशन, मीडिया हाउस, सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं और ना ही खुद अपनी आवाज़ उठा सकते हैं।
जब हम किसी पक्षी को देखते हैं तो उनके पंखों, उनके रंगों को निहारते हैं, उनके ऊपर कविताएं और गाने तक लिखते हैं मगर किसी भी जगह की जैव विविधता को पूर्ण और विवध बनाने में अपनी मुख्य भूमिका निभाने वाले इन पक्षियों के जीवन के बारे में कोई नहीं सोचता है। हमारे देश में हज़ारों की संख्या में पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं और इन पक्षियों का हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन में महत्वपूर्ण योगदान है।
बहुत सारी पक्षी हर वर्ष 5000 से 10000 किलोमीटर की दूरियां तय करते हैं। अपने रास्ते में चलते हुए उन जगहों की जैव विविधता बनाए रखने में मदद करते हैं। इन पक्षियों के मरने से उनके भ्रमण के उन सारे जगहों की परिस्थितिक तंत्र खतरे में पहुंच जाएगी। चलिए एक बार को आप अपना खाना, पानी यहां तक की हवा भी पैसे से खरीद लेंगे लेकिन इन पक्षियों को कैसे लाएंगे, इनके द्वारा बनाए गए पारिस्थितिकी तंत्र को कैसे वापस लाएंगे क्या इस बारे में आपने सोचा है?
अगर हम इन मौतों के प्रति जागरूक और थोड़े भी सजग होना चाहते हैं तो हमें अपनी रोज़मर्रा की आदतों को बदलान होगा। आज हर एक मनुष्य का उत्तरदायित्व बनता है कि पहले तो अपने और अपने घर में सुधार करे, फिर आसपास हो रही गतिविधियों के प्रति सजग हो। प्रकृति सदैव अपने आपमें बदलती और बढ़ती रहती है। उसने इतने सारे सजीव और निर्जीव वस्तुएं बनाए हैं, जिसकी हम सिर्फ कल्पना कर सकते हैं। मैं यह इसलिए बोल रहा हूं क्योंकि जब हम एक मिलीमीटर वर्ग मीटर के मिट्टी या जल या हवा के सैंपल का अवलोकन करते हैं, तो उसमें लाखों प्रकार के जीवित और निर्जीव प्राणी मौजूद होते हैं, तो सोचिए उन जीवित और निर्जीव प्राणी का हमारे जीवन पर क्या असर होता होगा। सोचिए और जल्द ही उनके और अपने लिए सजग होइए।