झारखंड में जल संकट की स्थिति उतनी भयावह नहीं है, क्योंकि यहां काफी संख्या में झरना, नदी और नाले हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी पानी की समस्या अब तक उतनी गंभीर नहीं है मगर प्रकृति के दोहन की वजह से शायद आने वाले दिनों में जल संकट की स्थिति यहां भी उत्पन्न हो जाए। इन सबके बीच सरकार की ओर से ‘सुजलाम सुफलाम योजना‘ की शुरुआत की गई है।
झारखंड सरकार ने जल शक्ति अभियान को प्रयास तेज़ किए हैं। वर्षा जल संचयन और भू-जल संरक्षण के लिए जुलाई माह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर जल शक्ति अभियान का खाका तैयार किया गया है। जल शक्ति मंत्रालय की ओर से शुरू किए इस अभियान में पूरे देश में धनबाद ज़िले को प्रथम स्थान मिला है।
दूसरे नंबर पर तेलांगना का महबुब नगर है। प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात के ज़रिये जल संरक्षण के लिए रांची के ओरमांझी प्रखंड के आरा-केरम गाँव का उदाहरण पूरे देश के सामने रखते हुए ग्रामवासियों को बधाई भी दी थी।
रेन वॉटर हार्वेस्टिंग और वॉटर कंज़र्वेशन पर दिया जा रहा है ज़ोर
केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने रांची में जल शक्ति मंत्रालय की समीक्षात्मक बैठक में झारखंड सरकार को आश्वासन दिया है कि जल संरक्षण और संचयन के लिए योजनाओं को वित्तीय सहायता केन्द्र देगी।
सूखती धरा को वर्षा जल से भरने का प्रयास किया गया है। वहीं, भू-जल के अति दोहन ने अनेक समस्याओं को जन्म दिया है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सभी ज़िले में इस अभियान के लिए प्रयास तेज़ करने को कहा है। राज्य में संचित जल और बेहतर कल के लिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, वॉटर कंज़र्वेशन और वॉटर मैनेजमेंट को बढ़ावा दिया है।
राज्य की 44 नदियों के किनारे 1366 किलोमीटर के दायरे में वृक्षारोपण किया जा रहा है। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के बेहतर क्रियान्वयन पर भी सरकार का ज़ोर है। सभी सरकारी भवन और विद्यालयों में जल संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार ने भू-गर्भ जल वृद्धि के लिए प्रयास तेज़ की है।
वर्षा जल को संचय के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। ग्रामीण स्तर पर वर्षा जल को रोकने हेतु गाँव में खेत की ज़मीन पर मेढ़ की चौड़ाई बढ़ाई जा रही है। राज्य के 24 जिलों के 263 प्रखंडों में जल शक्ति अभियान चल रहा है। ग्रामीण इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
ग्रामीण स्तर पर चलाए जा रहे हैं जागरूकता अभियान
जल शक्ति अभियान को जन आंदोलन बनाने के लिए ग्रामीण स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। ‘संचित जल और बेहतर कल’ थीम के साथ परंपरागत तालाबों और जलाशयों का संरक्षण, भू-जल रिचार्ज, वॉटर शेड डेवलपमेंट और वृक्षारोपण पर ज़ोर दिया जा रहा है।
जल का एक-एक बुंद जीवनदायिनी है। झारखंड में पानी की बर्बादी कम करने की ओर कदम उठाए जा रहे हैं। पानी के किफायती इस्तेमाल पर ज़ोर दिया जा रहा है। जल संरक्षण और जल संचयन कार्यक्रम पर केन्द्र सरकार का ज़ोर है। इसके लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं।
जल संचयन योजना की शुरुआत से पहले विभागों में समन्वय स्थापित किए गए और छोटी-छोटी योजनाओं के क्रियान्वयन पर ज़ोर दिया गया।जल संरक्षण आंदोलन का रूप ले रहा है। ग्राम स्तर पर पानी के रिचार्ज को लेकर ट्रेंच सह बंड़ (बारिश के पानी को बहाल करने के लिए बड़ा तालाब) का काम बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसके अलावा नदियों के किनारे वृक्षारोपण का कार्य भी जारी है।
प्रखंड स्तर पर तालाब जीर्णोद्धार, पानी के दोबारा उपयोग, रिचार्ज, जल छाजन और वृक्षारोपण बड़े पैमाने पर किए जा रहे हैं, जिसमें केन्द्र सरकार सहयोग कर रही है। राज्य के समग्र विकास एवं पानी की समस्या को लेकर सरकार गंभीर प्रयास कर रही है। ग्रामीण इलाकों में पेयजल सुनिश्चित करने के लिए सोलर सिस्टम से भी पानी दिया जा रहा है।
जल शक्ति अभियान में जनभागीदारी बढ़ रही है। ‘संचित जल और बेहतर कल’ को लेकर ग्रामीण भी सरकार की योजना से जुड़ रहे हैं। ‘सुजलाम सुफलाम योजना’ के ज़रिये जल संकट से लड़ने की तैयारी हो रही है।
वर्तमान में भूमि के अंदर जल कम संग्रहित हो रहा है। संभव है कि झारखंड में सरकार के प्रयासों से आने वाले दिनों में पानी की समस्या कम होगी और लोगों का जीवन खुशहाल होगा।