आमतौर पर देखा जाए तो सैनिटरी पैड्स की कीमत ज़्यादा होती है, जिस कारण अनेक महिलाओं को उसे खरीदने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सच्चाई तो यह है कि अधिकांश महिलाएं पैड्स खरीदती ही नहीं हैं। पीरियड्स के दौरान कई महिलाएं पैसों की तंगी की वजह से एक ही सैनिटरी पैड को लंबे वक्त तक यूज़ करती हैं, जिस कारण उन्हें बीमारियां भी हो जाती हैं।
पैड्स में मौजूद क्लोरीन डाइऑक्साइड (ClO2) महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। हालांकि पैड्स में इसका इस्तेमाल माइक्रोबियल इन्फेक्शन से बचने के लिए किया जाता है, क्योंकि पीरियड्स के वक्त आने वाले ब्लड में एक महक होती है, जिसे पैड्स में मौजूद सुगन्ध कम कर देती है। यह महक बल्ड में मौजूद बैक्टीरिया और खून के कारण होती है।
कुछ महिलाओं में यह मछली की महक जैसी होती है, जिसे बिना नज़रअंदाज़ किए डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।
कुछ बेहतर विकल्प
आज महिलाओं की इन समस्याओं और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए बाज़ार में कई तरह के प्रोडक्ट्स मौजूद हैं, जिनके इस्तेमाल से महिलाओं को पीरियड्स के वक्त परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह बिल्कुल इको-फ्रेंडली है।
यह सिलिकॉन से बना एक फनल होता है, जिसे वजाइना के अंदर डाला जाता है। हालांकि इसे किस तरह से इन्सर्ट करना है, इसकी जानकारी महिलाओं को होनी चाहिए। यह वजाइना से निकलने वाले खून को एक जगह इकट्ठा करता है। यह कप लगभग 25-30 मिली लीटर खून को कलेक्ट कर सकता है और इसे आप 12 घंटे तक इस्तेमाल कर सकती हैं, क्योंकि इसे बार-बार बदलने की नौबत नहीं आती है।
आप इसे गरम पानी से धोकर साफ कर सकती हैं, जिससे यह लंबे समय तक यूज़ किया जा सकता है। यह हर तरह के केमिकल और महक से दूर होता है, जिस कारण यह एक सेफ प्रोडक्ट है।
टैम्पून- 41 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के लिए यह एक सेफ प्रोडक्ट है, क्योंकि इसके इस्तेमाल से शारीरिक गतिविधियों में कोई रूकावट नहीं होती है। इसे हर 4 से 8 घंटे में बदलने की सलाह दी जाती है। इसके उपयोग में कुछ बातें ध्यान देने योग्य हैं, वो यह कि सिंथेटिक टैम्पून का इस्तेमाल करने से यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन होने का डर रहता है।
क्लॉथ पैड- रि-यूज़ेबल क्लॉथ पैड सैनिटरी पैड्स और टैम्पून से बेहतर विकल्प होते हैं, क्योंकि यह ईको-फ्रेंडली होने के साथ स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अच्छा होता है।
जिन महिलाओं को एलर्जी की समस्या है, वे इसका इस्तेमाल कर सकती हैं क्योंकि आराम और स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहिए। इसकी कीमत, साइज़, सोखने की प्रवृति आदि पर निर्भर करती है।
महत्वपूर्ण बातें
- लगभग 16,000 महिलाएं डिस्पोज़ेबल पैड्स और टैम्पून का इस्तेमाल करती हैं, जिससे पर्यावरण तो दूषित होता ही है और साथ कहीं ना कहीं महिलाओं का स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है।
- एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि रि-यूज़ होने वाले प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने में समझदारी है, क्योंकि प्लास्टिक पैड्स 100 साल तक का समय डिस्पोज़ होने में लगाते हैं।
- हर महिला जो सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करती है, वह अपने पूरे वर्षों के पीरियड्स के दौरान 125 किलोग्राम तक गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरे का उत्पादन कर सकती है।
- हालांकि इसका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है लेकिन 2011 में किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक 9000 टन पीरियड्स अपशिष्ट मुख्य रूप से सैनिटरी नैपकिन के प्रयोग से उत्पन्न होता है।
इन सभी गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरे को पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले लैंडफिल में फेंक दिया जाता है। बेहतर यही है कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण को ध्यान में रखकर निर्णय लें।