भारतीय चुनाव सुधार के प्रणेता टी ऐन शेषन का निधन रविवार को हो गया। चुनाव किसे कहते हैं और चुनाव आयोग की पावर क्या है ये शेषन साहब ने हिं भारतीय जनमानस को बताया।
शेषन कहते थे “मैं नाश्ते में भारतीय नेताओं को खाता हूँ”, कैबिनेट सचिव रहे हुए उन्होंने प्रधानमंत्री राजीव गांधी के मुँह से ये कहते हुए बिस्किट खींच लिया था कि भारत के प्रधानमंत्री को बिना परीक्षण किए कोई चीज नहीं खानी चाहिए। बूथ कैप्चरिंग और बोगस वोटिंग से निपटने के लिए शेषन ने कई कदम उठाए। जब मतदाता पहचान पत्र बनवाने में सरकार ने आनाकानी किया तो शेषन ने कहा “बिना पहचान पत्र के 1995 के बाद भारत में कोई चुनाव नहीं होगा”। लालू प्रसाद और नरसिंहा राव को इन्होंने बड़ा सबक दिया, और पहली बार बिहार में 4 चरण में चुनाव हुआ। शेषन ने तब कहा था “नेता डाल डाल तो मैं पात पात” । तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर द्वारा शेषन को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त करने के बाद राजीव गांधी ने कहा था “ये इस दाढ़ी वाले कि सबसे बड़ी गलती है”।
असल में शेषन भारतीय चुनाव में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करना चाहते थे, और नेताओं के मनमानी को खत्म करना चाहते थे। वे राष्ट्रपति पद का चुनाव भी लड़े, जिसमें नारायणन से उन्हें हार मिली। आज अगर भारतीय चुनावी प्रक्रिया की तारीफ विश्व भर में होती है तो इसका श्रेय शेषन को है। काँग्रेस के करीब रहे शेषन को भारतीय नेताओं से चिढ़ थी, जिसे मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के बाद उन्होनें जाहिर भी किया था। शेषन का पर कतरने के लिए हिं तीन निर्वाचन आयोग की व्यवस्था की गई, जिससे टी ऐन शेषन सहमत नहीं थे।
आज शेषन साहब तो हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके किये कार्य ने उन्हें इतनी अमरता प्रदान कर दी है जब भी भारत में चुनाव या चुनाव सम्बंधित चर्चा होगी उनमें TN शेषन का नाम जरूर आएगा।।