वर्तमान समय में नवयुवक कहीं पिछड़ रहा है हमारे देश को आजाद हुए आज इतना समय हो गया है। पर फिर भी हम लोग उन पुरानी कूप्रथाओं से बाहर नहीं आ पाए हैं या हम उन से बाहर निकलना ही नहीं चाहते। हम चाहते अपनी जिंदगी में बहुत कुछ करना है पर कुछ मजबूरियां हम लोगों को करने नहीं देती हैं हम लोग बोलना बहुत कुछ चाहते हैं पर हर चीज को अपने मन के अंदर दबा लेते हैं। समझ ही नहीं आता कि हम किस मोड पर या कौन सी जनरेशन की जिंदगी जी रहे हैं। कब तक हम अपनी ऐसी झूठी जिंदगी को जीते रहेंगे? क्यों हम लोग खुलकर नहीं बोल पाते क्यों हम समाज से डरते हैं? जो कि सिर्फ हम लोगों के द्वारा ही बनाया हुआ है क्यों हम उन लोग उन कुप्रथाओं को नहीं तोड़ सकते हैं जो हमारी नजर में गलत है। हम लोग को सिर्फ इसलिए चुप कराया जाता है कि चार लोग क्या कहेंगे? आज तक समझ नहीं आया है कि यह चार लोग हैं ?कौन चार लोग कहां से आए हैं ?जोह लोगों की जिंदगी का फैसला लेते हैं और सिर्फ हम उन चार लोगों के डर से अपनी खुशी अपने सपने सब कुछ कुर्बान कर देते हैं। और सब कुछ मजबूरी के नाम पर करते चले जाते हैं जो हम दिल से कभी नहीं करना चाहते।