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भीड़ तंत्र और तबरेज़

सोनू झारखंड के एक ग्राम में पैदा हुआ था. उस का पूरा परिवार ही खेतिहर मजदूर था. खेती के सहारे अपनाऔर अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिये गांव के सभी लोग उसी गाँव के ज़मींदारों के खेतों में खेती करते थे । सोनू जब छोटा था तो उसकी माँ का देहांत हो गया था तो उसके पिता अपने साथ ही उसे खेतों पर ले जाया करते थे । अभी सोनू कुछ बड़ा ही हुआ था की उसके बाप का भी स्वर्ग वास हो गया। अब सोनू घर में अकेला हो गया । वह खेतिहर मज़दूरी छोड़ कर काम के तलाश में पुणे चला गया और वहीं एक निजी कम्पनी में कार्य करने लगा । जहां उसी में उसके पाँच साल बीत गये अब उसके अंदर गांव जाने की इच्छा हुई तो वह पुणे से गांव वापस आगया. गाँव वालो ने सोनू को घर बसाने का मशवरा दिया तो उसने हाँमी भर दी तो उन लोगों ने पास के गांव में ही एक यतीम लड़की से उसकी शादी रचा दी। अब फ़िर से सोनू की ज़िन्दगी में खुशियां लौट रही थी लेकिन एक दिन सोनू अपने ससुराल जा रहा था उसे लेट हो गया । बीवी ने कॉल करके पूछा तो उसने कहा दस मिनट में पहुंच रहा हूँ यही कह कर अभी उसने फ़ोन रखा ही था के कुछ लोग अचानक से चोर चोर चिल्लाने लगा और सोनू को पकड़ लिया और उससे नाम पूछ तो उसने अपना नाम सोनू बताया ,तब फ़िर भीड़ ने कहा पूरा नाम बताऊ तो उसने सोनू अंसारी बताया अंसारी शब्द सुनते ही भीड़ बिगड़ गई औसोनू को खंबे में बांध कर जय श्री राम का नारा लगा कर खूब पीटा और उससे भी जबरदस्ती जय श्री राम और जय हनुमान का नारा लगवाया उसी हालत में सोनू बेहोश हो गया । और जब पुलिस को इसकी सुचना मिली तो तो उसको हॉस्पिटल ले जाने के बजाए उसको थाना ले गई और लॉकअप में बंद करके पुलिस ने भी खूब पीटा जब उसके गाँव के लोग पुलिस से इलाज के लिए शिफारिश की तो पुलिस ने उसे ही जेल में बंद करने की धमकी दे दी । लेकिन उसको पुलिस हॉस्पिटल नहीं ले गई यहां तक के चार दिन बीत गये। जब पुलिस को इस बात का एहसास हो गया के वह मरगया तो हॉस्पिटल ले गया जहाँ डॉक्टर ने सोनू को मुर्दा घोषित कर दिया लेकिन जब उसको मारने वाली वीडियो वायरल हो गया तो फिर हर तरह की राजनीति गर्मा गई

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