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जलवायु परिवर्तन

जल एवं वायु जीवन के लिए बहुत ही जरूरी है और आज दोनों ही विषाक्त होकर सृष्टि के लिए गंभीर ख़तरा बन चुके हैं क्योंकि आधुनिकता की अंधी दौड़ व सुरसा की भांति बढ़ती आबादी की आवश्यकता पूरी करने के लिए जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर विषय को हम भूल चुके हैं, अतः जल प्रदूषण न सिर्फ पीने योग्य पानी को कम कर रहा है बल्कि इसके परिणाम स्वरूप ग्लेशियरों पिघलना भी जारी है जो जलप्रलय

की ओर हमें तेजी से ढकेल रहा है।

वायु प्रदूषण से रोज हमरा सामना हो रहा है किन्तु अबतक कोई ठोस उपाय नही हो सका है जिसके कारण छः ऋतुओं वाले भारत देश में आज ठंढ़ी गर्मी एवं बरसात का संतुलन बिगड़ चुका है और स्थिति खरनाक हो चुकी है।

अबतक सरकार द्वारा किये गए उपाय कमतर ही साबित हुए हैं अतः सरकार को अब इस विषय पर गंभीरता से विचार करते हुए कठोर एवं कारगर उपाय करना होगा।

जलवायु परिवर्तन पर हम सबको सिर्फ सरकार के भरोसे न रहकर अपनी सामर्थ्य अनुसार सजग होना होगा, पेड़ो का संरक्षण एवं रोपण पराली व अन्य वस्तुओं को जलाने से परहेज हानिकारक पदार्थों का जल में विसर्जन बन्द करना आदि उपाय करने के साथ साथ अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करना अनावश्यक वाहन एसी फ्रिज आदि के प्रयोग में कमी करके सनातनी हवन ब्यवस्था पर बिसेष जोर देना चाहिए क्योंकि वायु प्रदूषण को कम करने के लिए यह बहुत ही कारगर उपाय है अतः हम सबको कम से कम एक पीपल का पेड़ लगाना चाहिए व हवन न कर पाने की स्थिति में गाय के सूखे गोबर को जलाकर 25ग्राम गुड़ में दो चम्मच गाय का घी हवन करना चाहिए यह सम्पूर्ण सृष्टि के लिए लाभदायक होगा।

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