दिवाली की अगली सुबह यानी कि 28 अक्टूबर को राजधानी दिल्ली की हवा में अलग तरह की धुंध नज़र आई। ज़ाहिर सी बात है यह प्रदूषण था। दिल्ली की हवा ज़हरीली तो हो गई, बावजूद इसके दिल्ली का प्रदूषण पिछले 5 सालों के मुकाबले सबसे कम मापी गई।
आपको बता दूं कि इस साल दिवाली के बाद दिल्ली की एयर क्वालिटी 368 मापी गई है जबकि पिछले साल यह 390 थी।
धरा रह गया सुप्रीम कोर्ट का आदेश
राजधानी में दिवाली पर्व पूरे धूम-धाम से मनाया गया। लोगों ने सबसे पहले अपने घर में दीप-बत्ती जला कर खुशियों की रौशनी फैलाई और लक्ष्मी-गणेश की पूजा कर अपनी आस्था का मान रखा और फिर उसके बाद रात भार पटाखे जला कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना की।
सिर्फ यही नहीं दिवाली बीत जाने के बाद कल रात भी कई इलाकों में पटाखे फोड़े गए। इस अवमानना का ही असर है कि आज आप आसमान में प्रदूषण की चादर देख रहे हैं।
हालांकि पिछले पांच सालों के मुकाबले प्रदूषण का आंकड़ा सबसे कम मापा गया लेकिन क्या फिर भी यह खुश होने लायक आंकड़ा है? अगर बीते सालों के वर्ष एयर क्वालिटी इंडेक्स के आंकड़ों की बात करें तो आप देखेंगे,
- 2015 में एयर क्वालिटी 360 मापी गई थी
- 2016 में एयर क्वालिटी 445 थी
- 2017 में एयर क्वालिटी 403 रही
- 2018 में एयर क्वालिटी 390 रही और
- 2019 यानी कि इस साल 368 का आंकड़ा दर्ज़ हुआ है।
अरविंद केजरीवाल की सराहना
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दीवाली के बाद मापे गए एयर क्वालिटी इंडेक्स पिछले पांच सालों के मुकाबले सबसे कम होने पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि वो दिल्ली की जनता से खुश हैं। उन्होंने कहा कि उनका मकसद ना केवल प्रदूषण को कम करना है बल्कि इसे खत्म करना भी है।
विभिन्न चैनलों की रिपोर्ट दिखा रही थी कि दिवाली की अगली सुबह मोर्निंग वॉक पर निकले लोगों से जब प्रदूषण पर पूछा गया तो उन्होंने दिल्ली सरकार की प्रसंशा करते हुए कहा,
उन्हें केजरीवाल पर पूरा भरोसा है। आने वाले समय में दिल्ली की प्रदूषण और कम होने वाला है।
लोगों ने यह भी कहा कि वे सरकार के साथ है और हर संभव कार्य में उनका साथ देंगे।
क्या यह आंकड़ा खुश होने लायक है?
चलिए, यह तो थी इस साल के आंकड़ों की बात लेकिन जैसा कि मैंने पहले भी कहा क्या यह आंकड़ा खुश होने लायक है? अभी भी राजधानी में लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। अगर आप आसमान की तरफ देखेंगे तो आपको प्रदूषण की धुंध दिखाई देगी। कई डॉक्टरों और विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली की हवा ज़हरीली हो गई है।
एयर क्वालिटी इंडेक्स के अलावा अगर पीएम यानी कि पार्टिकुलेट मैटर या कण प्रदूषण की बात करें तो दिल्ली के लोधी रोड इलाके में पीएम 2.5 का स्तर 500 दर्ज हुआ, वहीं मेजर ध्यान चंद नेशनल स्टेडियम में दिवाली की रात यह स्तर 784 था। वहीं गाज़ियाबाद की हवा ‘सीवियर’ यानी बहुत ही खराब स्तर पर पहुंच गई है।
पीएम यानी पार्टिकुलेट मेटर वायु में मौजूद छोटे कण होते हैं। पीएम 2.5 और पीएम 10 कण दोनों गैस के रूप में कार्य करते हैं। जब आप सांस लेते हैं तो ये कण आपके फेफड़ों में चले जाते हैं, जिससे खांसी और अस्थमा की समस्या हो सकती है।
इन कणों का इजाफे से हाई ब्लड प्रेशर, दिल का दौरा, स्ट्रोक और भी कई गंभीर बीमारियों का खतरा बन जाता है। जब पीएम 2.5 का स्तर बढ़ता है तो धुंध बढ़ती है और साफ दिखना भी कम हो जाता है। जैसा कि आजकल हो रहा है। इन कणों का हवा में स्तर बढ़ने का सबसे बुरा असर बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ता है।
पीएम 10 का सामान्य लेवल 100 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर और पीएम 2.5 का लेवल 60 माइक्रो ग्राम क्यूबिक मीटर होना चाहिए लेकिन यहां तो लेवल 500 तक छू रहा है। अब खुद सोचिए कि क्या एयर क्वालिटी इंडेक्स में 368 का आंकड़ा खुश होने वाला है।
सिर्फ पटाखे नहीं है प्रदूषण की वजह
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अगर यह आंकड़ा बाकी सालों से कम आया है तो उसकी वजह है दिवाली का समय।
दरअसल, शोधकर्ताओं का मानना है कि कई दफा दिवाली उस समय पड़ी थी जब किसान अपने खेतों में पराली जला रहे थे। ऐसे में प्रदूषण स्तर कम ज़्यादा होता रहा।
शोधकर्ताओं ने पटाखों के अलावा प्रदूषण का एक और कारक बताया है और वह है दिवाली के दौरान लगने वाला ट्रैफिक जाम। उनका मानना है कि दिवाली के दौरान लोग अपने घर से दोस्तों और प्रियजनों को तोहफे बांटने के लिए निकलते हैं। इसके लिए वे अपने निजी वाहनों का प्रयोग करते हैं। नतीजतन, लंबे जाम जो कि प्रदूषण बढ़ाने के लिए ज़िम्मेदार है।
अगर आईपीसीसी की रिपोर्ट की मानें तो रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि 2030 तक दुनिया का तापमान 1.5 डिग्री तक बढ़ जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार यदि विश्व का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ता है तो भारत को 2015 से भी बुरी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। शायद आपको याद ना हो कि 2015 में गर्म थपेड़ों से भारत में लगभग 2500 लोगों की जान चली गई थी।
ऐसे में एयर क्वालिटी इंडेक्स में 368 का आंकड़ा कहीं से भी सुकून भरा नहीं है।