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“MP में खुले में शौच कर रहे बच्चों की हत्या की वजह उनका दलित होना तो नहीं?”

मध्यप्रदेश में हाल ही में तीन ऐसी घटनाएं हुई हैं, जो बेहद अमानवीय और सभ्य समाज के ऊपर कलंक के समान हैं। ये तीनों घटनाएं बताती हैं कि आज़ादी के सात दशक बाद भी हमारे समाज में अमानवीय विषमताएं मौजूद हैं।

इन विषमताओं की बड़ी वजह जातिवाद और वर्ग विभाजन है। इसके चलते सरकारों के कई प्रयासों और योजनाओं के बाद भी अमीर और गरीब के बीच गहरी खाई है। जिसके चलते एक बड़ा तबका अपने बुनियादी हकों को भी नहीं प्राप्त कर पा रहा है। अब हालात ऐसे हैं कि इनकी भयावह कीमत नौनिहाल अपनी जान देकर अथवा आत्मसम्मान से समझौता करके चुका रहे हैं।

मध्यप्रदेश में दलित बच्चों की हत्या

मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले के भावखेड़ी गाँव में 25 सितंबर को दो दलित बच्चों की हत्या कर दी गई। ये दोनों बच्चे रिश्ते में बुआ-भतीजे थे और वाल्मीकि समुदाय से ताल्लुक रखते थे। इन दोनों मासूमों की हत्या गाँव के ही दबंग यादव परिवार ने की थी। अब सवाल उठता है कि आखिर इन मासूमों से किसी की क्या अदावत रही होगी?

कहा गया कि बच्चे खुले में शौच कर रहे थे। क्या वास्तव में यही वजह थी? नहीं, मुझे लगता है कि असल वजह पर पर्दा डालने के लिए यह कहानी गढ़ी गई और सरकार की एक बेहतरीन योजना को बदनाम करने और आरोपियों को बचाने के लिए इस तरह की कहानी स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने बनाई है।

मध्यप्रदेश क्या दूसरे प्रदेशों में भी अभी भी ग्रामीण इलाके में एक बड़ा तबका खुले में शौच जा रहा है। भावखेड़ी गांव में भी सिर्फ वाल्मीकि समुदाय के लोग ही नहीं ऐसे कई लोग हैं जो आज भी खुले में शौच जा रहे हैं जबकि उनके घरों में शौचालय मौजूद हैं।

इसकी दो वजहें हैं एक तो भ्रष्टाचार के चलते गरीब और वंचित तबके को शौचालय मिले नहीं हैं। दूसरा जिनको मिले हैं उन्हें इसके इस्तेमाल की आदत नहीं हैं और वे अपनी आदतें बदलना भी नहीं चाहते। फिर इन हत्याओं  के पीछे क्या वजह हो सकती है? दरअसल, इन हत्याओं के पीछे समाज में व्याप्त असमानता है।

हमारे समाज में आज भी एक ऐसा तबका है जिसे बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं। इनमें प्राथमिक स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा और प्राथमिक सुरक्षा शामिल है। इसलिए जो दबंग समुदाय है, वह मनचाहे ढंग से इन पर अत्याचार करता है और इनका शोषण भी करता है।

क्या हुआ था इन बच्चों के साथ

भावखेड़ी गांव की घटना की अगर परत दर परत पड़ताल की जाए तो इसकी भयावहता समझ में आ जाएगी। एक तो वाल्मीकि समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मनोज और कल्ला को शौचालय नहीं आवंटित हो पाया था, जबकि इसकी सबसे अधिक ज़रूरत इन्हीं लोगों को है। इसकी वजह सीधे-सीधे भ्रष्टाचार से जुड़ी है।

जिन दबंगों ने बच्चों (अविनाश और रोशनी) की हत्या की, उन्हीं आरोपियों के परिवार से सरपंच भी ताल्लुक रखता है। यह भी सत्य है कि जानबूझकर एक दलित परिवार को सरकारी सहूलियत से वंचित रखा गया था। इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास की सहूलियत भी इस गरीब परिवार को नहीं दी गई, जबकि योजना के उद्देश्य के मुताबिक सबसे पहले प्रधानमंत्री आवास की सुविधा कल्ला और मनोज को मिलनी चाहिए थी।

कुछ मीडिया और अन्य लोगों ने जो पड़ताल की है उसमें सामने आ रहा है कि हत्या करने वाले आरोपियों ने 12 साल की बच्ची के साथ ज्यादती का प्रयास किया और उस 10 साल के बच्चे ने बच्ची को यानी अपनी बुआ को बचाने का प्रयास किया। इससे ही नाराज होकर दोनों बच्चों की हत्या कर दी गई।

ये वजह होना संभव है, बल्कि इसी की संभावना अधिक है क्योंकि आज भी इस तरह की विकृत मानसिकता के लोग समाज में मौजूद हैं जो बच्चियों पर अपनी कुदृष्टि रखते हैं।

वंचित और गरीब घर से ताल्लुक रखने वाली बच्चियां इनका आसान शिकार भी होती हैं क्योंकि बच्ची अगर विरोध करे भी तो उसके घर वाले विरोध करने में सक्षम नहीं होते। इस घटना में भी पीड़ित परिवार द्वारा इस तरह के आरोप लगाए गए, जैसा कि कुछ पत्रकार दावा कर रहे हैं, फिर भी पुलिस और प्रशासन ने रिपोर्ट दर्ज़ करने में कोई धारा नहीं लगाई।

सागर ज़िले की घटना

इसी तरह की एक घटना सागर ज़िले में सामने आई। एक गरीब घर की बच्ची ने मंदिर की दानपेटी से कुछ रुपए उठा लिए थे। उस बच्ची का पिता मज़दूर है और एक झोपड़ी में रहकर गुज़र-बसर करता है। इस गरीब परिवार को ना तो सस्ता अनाज मिलता है, ना ही आवास की सुविधा मिली है और ना ही शौचालय की।

इसकी वजह सीधी-सीधी है कि एक तो यह परिवार वंचित समुदाय से ताल्लुक रखता है और रिश्वत देने में अक्षम है।

बच्ची की मां की मौत हो चुकी है। छोटे भाई की परवरिश का ज़िम्मा उसी बच्ची पर है। बच्ची गाँव की ही चक्की पर 10 किलो गेहूं पीसने के लिए रख आई थी। जब आटा लेने गई तो चक्की वाले ने कह दिया कि उसका गेहूं यहां नहीं है।पिता के डर से बच्ची ने मंदिर की दानपेटी से रुपए उठा लिए और उससे 10 किलो गेहूं खरीद लिए। पुलिस प्रशासन ने भी इस पूरे मामले की गंभीरता और गहराई में जाने के बजाय बच्ची को सुधार गृह भेज दिया, जबकि इस मामले में मंदिर प्रबंधन और अफसरों को सामान्य मानवीय संवेदना दिखानी चाहिए थी।

इसी तरह की एक घटना सागर जिले के बीना थाना क्षेत्र में हुई। दो आदिवासी परिवारों के बीच आपसी खुन्नस के चलते झगड़ा हो गया। इसमें 18 महीने के बच्चे की मौत हो गई। इसमें भी पुलिस और अन्य लोगों ने कहा कि बच्चा खुले में पेशाब कर रहा था। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में पेशाब करना एक आम स्थिति है। इसको कोई बहुत गंभीरता से नहीं लेता, खासकर बच्चों के मामलों में तो और भी नहीं।

हालांकि डॉक्टर दावा कर रहे हैं कि बच्चे की मौत कुपोषण के चलते हुई।

भारतीय समाज में असमानता की गहरी खाई

कुल मिलाकर स्थिति ये है कि 21वीं सदी के बहुमूल्य 19 साल गुजर गए लेकिन भारतीय समाज में असमानता, अशिक्षा, गरीबी की खाई न केवल मौजूद है बल्कि ये दिन पर दिन और गहरी होती जा रही है। इस गहरी होती खाई को भ्रष्टाचार और भी भयावह बना रहा है।

सरकारों को चाहिए कि यदि हमें एक सभ्य समाज का निर्माण करना है तो प्रत्येक नागरिक के लिए बुनियादी शिक्षा, बुनियादी स्वास्थ्य और सामान्य सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था करनी पड़ेगी। इन तीनों की जब तक व्यवस्था नहीं हो जाती तब शिवपुरी के भावखेड़ी और सागर जैसी घटनाएं सामने आती रहेंगी।

समाज को भी चाहिए कि वह इन तीनों समस्याओं से निपटने के लिए सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले, जिससे एक स्वस्थ और सुंदर भारत का निर्माण हो सके।

सबके लिए बुनियादी शिक्षा-चिकित्सा की व्यवस्था करे सरकार

सरकार को सबसे पहले अभियान चलाकर प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए। दुनिया भर में जितने भी विकसित देश हैं, उन देशों ने अपने यहां वर्षों पहले प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित कर ली थी। इन देशों ने प्राथमिक शिक्षा और चिकित्सा का पहला चरण पूरा करने के बाद चमत्कारिक ढंग से तरक्की की। जबकि हमारे देश में आज तक इस पर फोकस नहीं किया गया।

प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद नागरिक कम से कम सरकार की योजनाओं को समझने लगता है और अपने हितों की पहचान भी उसको आ जाती है। जिससे स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, आर्थिक स्थिति में गुणात्मक बदलाव आता है। पढ़े-लिखे नागरिक हों तो तेज़ी से तरक्की में मदद मिलती है।

अच्छी योजनाओं को ना बनाएं निशाना

अधिकारी अपना दामन बचाने के लिए सरकार की अच्छी योजनाओं को भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से निशाना बनाते हैं। शिवपुरी जिले में हुई घटना में भी भारत सरकार के स्वच्छता अभियान पर परोक्ष रूप से उंगलियां उठीं। जबकि उसमें भ्रष्टाचार और विकृत मानसिकता के चलते एक ज़रूरतमंद व्यक्ति को शौचालय जैसी बेहद जरूरी सुविधा से वंचित रखा गया।

इस देश में अभी लाखों लोग खुले में शौच जा रहे हैं लेकिन इसके लिए किसी की हत्या की गई हो ऐसा आज तक सुनने में नहीं आया। इसलिए पुलिस और प्रशासन मामले की तह तक जाकर मामले की सही वजह जानकर कार्रवाई करे।

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