आज के वक्त में अधिकांश महिलाएं शिक्षित हैं लेकिन महिलाओं के खिलाफ अपराध आज भी नहीं घटे और दिन प्रतिदिन इनमें बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में बलात्कार, घरेलू हिंसा, मारपीट और कार्यस्थल पर उत्पीड़न आदि जैसी चीज़ें शामिल हैं।
हाल में ही जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साल 2017 में 50 लाख 07 हज़ार 44 अपराध के मामले दर्ज़ किए गए, जिनमें से तीन लाख 59 हज़ार 849 मामले महिलाओं के खिलाफ अपराध संबंधित हैं।
वहीं, साल 2015 में महिलाओं के प्रति अपराध के तीन लाख 29 हज़ार 243 मामले दर्ज़ किए गए। 2016 में इस आंकड़े में नौ हज़ार 711 मामलों की बढ़ोतरी हुई और तीन लाख 38 हज़ार 954 मामले दर्ज़ किए गए।
साल 2017 में इस तरह के 20 हज़ार 895 मामले और बढ़ गए और इस साल तीन लाख 59 हज़ार 849 मामले दर्ज़ किए गए।
योगी राज में अपराध बढ़े
योगी के प्रदेश की बात करें तो वहां महिलाओं के प्रति अपराध के मामले सबसे ज़्यादा दर्ज़ हुए हैं और उतनी ही तेज़ी से बढ़े भी। उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराध के दर्ज़ मामलों की संख्या साल 2015 में 35 हज़ार 908 और साल 2016 में 49 हज़ार 262 थी, जबकि साल 2017 में कुल 56 हज़ार 11 मामले दर्ज़ किए गए।
वहीं, अगर लक्षद्वीप, दमन व दीव, दादरा व नगर हवेली जैसे केंद्र शासित प्रदेश और नागालैंड की बात करें तो वहां महिलाओं के प्रति अपराध के सबसे कम मामले दर्ज़ किए गए हैं। इधर दिल्ली को लेकर बेहद चौंकाने वाले आंकड़े सामने आएं हैं। दिल्ली यूं तो महिलाओं के लिए उतनी सेफ नहीं मानी जाती है मगर आंकड़ों ने बेहद सुकून देने का काम किया है।
दिल्ली में महिलाओं के प्रति अपराध के दर्ज़ मामलों की संख्या साल 2015 में 17 हज़ार 222 और साल 2016 में 15 हज़ार 310 थी। वहीं 2017 में इन आंकड़ों में कमी आई और 13 हज़ार 76 मामले दर्ज़ हुए।
राजस्थान और अन्य राज्यों के आंकड़े
राजस्थान के आंकड़ों पर गौर करें तो, वहां भी स्थिति में कुछ सुधार देखे गए हैं। राजस्थान में महिलाओं के प्रति अपराध के दर्ज़ मामलों की संख्या साल 2015 में 28 हज़ार 224 और साल 2016 में 27 हज़ार 422 थी।
वहीं, 2017 में मामलों में कमी आई और 25 हज़ार 993 मामले दर्ज़ किए गए। बिहार में साल 2015, 2016 और 2017 में क्रमश: 13 हज़ार 904, 13 हज़ार 400 और 14 हज़ार 711 मामले महिलाओं के प्रति अपराध के दर्ज़ किए गए।
वहीं, महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ दर्ज़ मामलों की संख्या साल 2015, 2016 और 2017 में क्रमशः 31 हज़ार 216, 31 हज़ार 388 और 31 हज़ार 979 है।
पुरुषों की मानसिकता कब बदलेगी?
महिलाओं के खिलाफ अपराध होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे- आज भी पुरुषों की मानसिकता में ज़्यादा बदलाव नहीं आए हैं और वे आज भी एक महिलाओं को कहीं-ना-कहीं उपभोग की वस्तु के रूप में देखते हैं।
इसके उलट कुछ पुरुष ऐसे भी हैं, जो महिलाओं की आज़ादी और उनके हक की बात करते हैं ताकि महिलाएं अपनी आवाज़ उठाने में सक्षम हो सकें।
महिलाओं के अधिकार
महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए सरकार ने महिलाओं को कई अधिकार दिए हैं, जैसे-
- वर्क प्लेस पर होने वाले अपराध को रोकने के लिए प्रिवेंशन ऑफ सेक्सुअल हरासमेंट एक्ट 2013 का उपलब्ध होना।
- घरेलू हिंसा से बचाव हेतू महिलाओं के लिए महिला संरक्षण अधिनियम का उपलब्ध होना।
- मातृत्व लाभ अधिनियम में महिलाओं को 6 महीने सरकारी अवकाश का अधिकार।
- कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार।
सरकार ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए इन अधिकारों का प्रावधान किया है मगर इसके साथ यह बेहद ज़रूरी है कि इन कानूनों का सख्ती से पालन हो, क्योंकि अधिकांश मामलों में पुलिस अपराध को ढकने का काम करती है, जिससे महिलाओं को न्याय नहीं मिल पाता।