दिल्ली का दिल अभी काफी बिगड़ा हुआ है, क्योंकि दिल्ली को शुद्ध हवा नहीं मिल पा रही है, जिसका सीधा असर वहां रहने वाली जनता पर हो रहा है। दिल्ली का यूं तो प्रदूषण से काफी गहरा रिश्ता है, क्योंकि कभी किसान पराली जलाने लगते हैं, तो कभी दिल्ली खुद ही धुंध की चपेट में आ जाती है।
आज जलवायु परिवर्तन भी प्रदूषण का एक सबसे बड़ा कारण है। इसके इतर जिन लोगों को हर रोज़ अपने काम के लिए घर से बाहर निकलना पड़ता है, उनके लिए तो स्थिति और भी बद्तर है, क्योंकि इससे बाहर की ज़हरीली हवा का सीधा असर उनके शरीर पर होगा और वह कई बीमारियों से घिर जाएंगे।
मिले वर्क फ्रॉम होम की सुविधा
बहरहाल जिन लोगों को घर पर रहना है, उन्हें तो कोई परेशानी नहीं है लेकिन जिन्हें हर रोज़ अपने काम के लिए ऑफिस निकलना है, उनके लिए यह बढ़ता प्रदूषण काफी घातक है। इसे गंभीरता से लेते हुए सीपीसीबी ने सुझाव दिया है कि कॉर्पोरेट और आईटी सेल के कर्मचारियों को घर से कार्य (वर्क फ्रॉर्म होम) करने की सुविधा प्रदान की जाए।
इससे ना केवल लोगों को आसानी होगी बल्कि सड़कों पर भीड़ भी घटेगी, जिससे गाड़ियों की आवाज़ाही कम होगी और प्रदूषण को नियंत्रित करने में सुविधा होगी। इसके साथ ही सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारियों को कार पूल करने एवं सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करने के लिए कहा गया है। इसके अलावा स्कूलों को गाड़ियों की संख्या बढ़ाने के लिए कहा गया है ताकि अभिभावक अपने बच्चों को निजी गाड़ियों से लाने से बचे।
सीपीसीबी की बैठक में आया सुझाव
वायु प्रदूषण की बद्तर स्थिति को देखते हुए सीपीसीबी ने टास्क फाॅर्स के साथ एक बैठक की थी, जिसमें उक्त बातों को सुझावों के तौर पर पेश किया गया था। अब इसकी स्वीकृति के लिए इसे पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण को भेजा गया है।
सीपीसीबी के सदस्य सचिव डॉ. प्रशांत गार्गवा ने बताया था कि सफर और मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि आने वाले दिनों में वायु प्रदूषण की स्थिति और खराब होगी। 23 अक्टूबर तक हवा की दिशा और गति पर्यावरण के अनुकूल नहीं है और इस दौरान हवा खराब या बहुत खराब श्रेणी में रहेगी।
उन्होंने आगे बताया कि प्रदूषण को नियंत्रण करने और इससे निपटने के लिए 13 हॉट स्पॉट बनाए गए हैं, जिसके लिए लोकल प्लान के नज़रिए से कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही मौसम के पूर्वानुमान के लिए आईआईटी दिल्ली से करार भी किया गया है ताकि प्रदूषण की मात्रा का अनुमान लगाया जाता रहे क्योंकि गाड़ियों से निकलने वाली हवा वातावरण को बेहद प्रदूषित करती है।
कार्बन मोनोऑक्साइड ज़्यादा खतरनाक
जब तेल पूरी मात्रा में नहीं जल पाता है, तब वह कार्बन मोनोऑक्साइड को हवा में घोलने लगता है और यह कार्बन डाइऑक्साइड से भी जल्दी शरीर में मौजूद लाल रक्त कण अर्थात रेड ब्लड सेल्स में घुलने लगता है।
कार्बन मोनोऑक्साइड शरीर में मौजूद ऑक्सीजन से आसानी से बाइंडिंग कर लेता है, जो हम सबके लिए बेहद खतरनाक है।
इसलिए बेहतर है कि ज़्यादा से ज़्यादा सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग किया जाए ताकि सड़क पर प्रदूषण की मात्रा कम हो। साथ ही साथ गाड़ियों में इस्तेमाल किए जाने वाला तेल भी शुद्ध हो ताकि वह पूर्ण रूप से जल सके।
प्रदूषण की बड़ी वजह डीज़ल जनरेटर
साथ ही एनसीआर के शहरों में डीज़ल जनरेटर पर लगी रोक और इस विषय पर प्रदूषण के स्तर को देखते हुए फैसला 22 अक्टूबर को लिया गया।
ईपीसीए ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार से चार दिनों में इस विषय में पूरा एक्शन प्लान देने को कहा था। इस बीच सीपीसीबी का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में डीज़ल जनरेटर प्रदूषण की एक बहुत बड़ी वजह है।
वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेप लागू होने के साथ ही 15 अक्टूबर से दिल्ली-एनसीआर में डीज़ल जेनरेटर पर भी प्रतिबंध लग गया है। पिछले दो साल से एनसीआर के शहरों को छूट दे दी जाती थी लेकिन इस साल प्रदूषण को देखते हुए पहली बार उन्हें भी शामिल कर लिया गया।
हालांकि इसे लागू करने में हरियाणा सरकार ने असमर्थता जताई है क्योंकि इससे वहां की बिजली सप्लाई में परेशानी हो रही है मगर ईपीसीए ने किसी भी तरह की छूट या राहत देने से इंकार कर दिया है।
प्रदूषण से लड़ने के लिए तैयारी
इसके साथ ही प्रदूषण से लड़ने के लिए टीमों का निर्धारण किया गया है, जिसमें 46 टीम हैं। इस बार पहली बार सोनीपत, मेरठ और पानीपत जैसे शहरों की भी वायु गुणवत्ता मापने का निर्णय लिया गया है।
सीपीसीबी ने सभी नोडल कंपनियों से यह भी कहा है कि प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सोशल मीडिया अकाउंट भी बनाए जाएं ताकि लोग सीधे अपनी शिकायत दर्ज़ कर सकें और उस पर निर्धारित कार्यवाही हो सके।
दिल्ली के दिल को साफ करने के लिए कई प्रयास तो किए जा रहे हैं, उम्मीद है लोग भी अपना भरपूर सहयोग देंगे ताकि दिल्ली फिर से खुली और स्वच्छ हवा में सांस ले सके।