बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था कुछ इस प्रकार है, जैसे मुर्दा को आईसीयू में रखकर उसके परिजनों से लगातार पैसों की मांग की जा रही हो और परिजन अपने मरीज़ को बचाने के लिए हर कोशिश कर रहे हैं।
बात करें पिछले कुछ महीनों की तो बिहार में चमकी बुखार के कारण मुजफ्फरपुर में लगभग 200 से ज़्यादा बच्चों की मौत हुई। इसके बाद भी मिला तो क्या मिला? सिर्फ एक शब्द कि गलती हो गई। दरअसल इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष माफी मांगी थी और स्वीकार किया था कि स्वास्थ्य व्यवस्था को सुचारू ढंग से चलाने में सरकार असफल रही है। चौंकाने वाली बात यह है की सरकार इतनी बड़ी नाकामी के बाद भी नरम गद्दे पर चैन की निंद सो गई।
नाकामी की बेशर्मी का किला इतना बड़ा हो गया हैं कि चैन की निंद नही आना चाहिए लेकिन साहब को तो भरपूर निंद आती हैं। आए भी क्यों न चेहरे की रौनक चली जाएगी। चमकी जैसे नाकामी के बाद कुछ दिन पहले बिहार के कई जिलों में लोगों ने जलजमाव का सामना किया। जिनमें मुख्य रूप से बिहार की राजधानी पटना बुरी तरह से डूब गई थ। जिससे निजात पाने से भी बिहार की सरकार नाकाम रही और लंबे वक्त के बाद पानी निकल सका और फिर एक बार स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो गया है क्योंकि जलजमाव के बाद डेंगू का प्रकोप बढ़ गया है और लोग पीएमसीएच में फर्श पर सोने को मजबूर है, क्योंकि पीएमसीएच पहुंचे मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहा है।
हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे पीएमसीएच पहुंचे लेकिन सूत्रों के अनुसार ऐसा कहा जा रहा है अश्वनी चौबे अस्पताल पहुंचे लेकिन सिर्फ अपनी हाजिरी लगाने के लिए क्योंकि अश्वनी चौबे वहां किसी मरीज से नहीं मिले, यहां तक यह भी जायजा नही लिया कि अंदर क्या कुछ है और किन चीजों की जरूरत हैं। सिर्फ चहरा दिखाए यानी चेहरा चमका कर चले गए, जैसे उनको लगा कि उनकें आंखो में चमत्कारी शक्ति हैं कि वह देखेंगे और सारे मरीजों के लिए राम बाण का काम कर जाएगा।
लोग बिलखते रहे सरकार सोती रही
चमकी बुखार में सैकड़ों बच्चों की मौत हो जाने के बाद भी अगर स्वास्थ्य व्यवस्था पर फिर से एक बार सवाल खड़ा हो रहा है तो यह कहना गलत नहीं होगा कि लोग लगातार बिलख रहे हैं और अपने दर्द को लेकर चिल्ला रहे हैं लेकिन सरकार ठंडे वार्ड में अपने आप को आराम मुद्रा में डाल दी हैं, और जनता के चेहरे पर तमाचा मार कर कह रही हैं।
मैं कुछ भी करूंगा तुम तालियां बजाओगे
इन सभी घटनाओं को देखने के बाद और विकास के नारे लगाने वाले उन नेताओं को यह महसूस होता है कि वह कुछ भी करेंगे जनता तालिया ही बजाएं बजाएं वह कुछ देख कर पाए ना कार्य कर पाए ना कार्य कर कार्य कर पाए लोग उनको वोट करते रहेंगे, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण बिहार में पहुंची आर भारत की वह एंकर एंकर एंकर भारत की वह एंकर एंकर जिसने जब नीतीश कुमार से सवाल पूछा तो नीतीश कुमार ने जवाब में अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया हालांकि उसके बाद एंकर को उनके समीप जाने से से रोक दिया गया.
क्या तस्वीर उभर के आ रही यह आप ही समझे।