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भारत को ‘अखंड भारत’ बनाने वाले सच्चे राष्ट्रंवादी थे सरदार पटेल

15 अगस्‍त 1947, वो दिन जब अग्रेजी हुकूमत ने भारत को आजाद करने का ऐलान कर दिया. अग्रेजी हुकूमत के इस ऐलान के बाद देशभर में आशा की एक नई किरण ने जन्‍म लिया. दौ सौ सालों से भी अधिक समय तक अग्रेजों की गुलामी में रहने के बाद मिल रही ये आजादी अपने साथ तमाम तरह की चुनौतियां भी लेकर आई. उस वक्‍त का भारत आज के भारत से काफी अलग था. उस वक्‍त ये देश 566 से भी अधिक देसी रियासतो में बट़ा हुआ था. अग्रेजों ने भारत को आजाद करने के साथ साथ ये ऐलान भी कर दिया था कि देसी रिसासते भी अपने भविष्‍य को लेकर खुद ही फैसला कर सकती है. वो चाहे तो हिन्‍दुस्‍तान में शामिल हो जाये या पाकिस्‍तान में. इसके अलावा अग्रेजों ने देशी रियासतों को लेकर ये भी ऐलान कर दिया कि अगर देसी रियासत के राजा या नवाब चाहे तो खुद को एक अलग देश भी घोषित कर सकते हैं.
अग्रेजो के इस ऐलान के बाद अग्रेजी हुकूमत के अधीन रहने वाले कई देशी रियासतों के राजा या नवाब अपनी रियासत को एक अलग मुल्‍क बनाने के ख्‍वाब देखने लगे थे. इन रियासतों में से कई रियासते ऐसी भी थी जो पाकिस्‍तान में शामिल होना चाहती थी. इन रियासतों को किस तरह से आजाद भारत का हिस्‍सा बनाकर एक अखंड भारत की स्‍थापना की जाये. ये एक ऐसा सवाल था जिसको हल करना बेहद जरूरी था. अगर इस सवाल को हल नही किया जाता तो एक आजाद भारत बनाने का ख्‍वाब पूरा होकर भी अधूरा ही रहता.

भारत को अखंड भारत बनाने की जिम्‍मेदारी सरदार पटेल ने अपने कंधों पर ले ली. जब भारत आजाद हुआ तो उन्‍हे देसी रियासत विभाग का मंत्री और भारत का उपप्रधानमंत्री बनाया गया. सरदार पटेल में अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर एक एक कर सभी देसी रियासतो को भारत में मिला लिया. ये पटेल की कूटनीति और सियासी समझबूझ का नतीजा है कि आज भारत कश्‍मीर से लेकर कन्‍याकुमारी तक एक सूत्र में बंधा हुआ दिखाई देता है.

 

 

 

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