एक नेता जी से मैंने पूछा कि राजनीति में बेहतर भविष्य बनाने के लिए आज के परिदृश्य में आप किन चीज़ों को ज़रूरी मानते हैं? चार चीज़ें अत्यंत आवश्यक हैं, यह कहते हुए नेता जी ने तपाक से बाएं हाथ की हथेली से दाहिने हाथ की तर्जनी पकड़ते हुए कहा, “पहला मीडिया मैनेजमेंट फिर मध्यमा घुमाते हुए बोले दूसरा, मीडिया मैनेजमेंट के लिए धन।”
मैंने जब तीसरी चीज़ के बारे में उनसे पूछा, तब उन्होंने अनामिका को ऐंठते हुए कहा कि तीसरे नंबर पर मैन पावर है और बिना रुके हुए कनिष्ठा को चेहरे के सामने ले आए और कहने लगे कि चौथा अच्छा वक्ता होना।
खैर, यह नेता जी के अपने विचार हैं लेकिन इन विचारों से निकले पहले दो सिद्धांतों को झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 2019 विधानसभा चुनाव में फतह हासिल करने के लिए अमल में लाने का बीड़ा उठा लिया है।
झारखंड के सूचना विभाग की ओर से 3 दिनों पहले जारी “पीआर-216421 आईपीआरडी (19-20) डी नंबर” से छपवाए गए विज्ञापन के अनुसार सरकार की लाभप्रदत्त योजनाओं पर लिखने में रूचि दिखाने पर सरकार पत्रकारों की जेबें भरने के लिए तैयार है।
बस शर्त यह है कि पत्रकारों द्वारा लिखा वह आलेख का किसी अखबार में छापना आवश्यक है। झारखंड के सूचना विभाग द्वारा रांची के हिंदी दैनिक में छपे इस विज्ञापन के अनुसार अखबारों में प्रकाशित आलेख की कतरन सूचना एवं जन-संपर्क विभाग में जमा करानी होगी। बस इस प्रक्रिया के पश्चात पत्रकार 15 हज़ार रुपये तक की प्राप्ति के हकदार हो जाएंगे। यही नहीं, अगर पत्रकार का आलेख सरकार की किताब में शामिल कर लिया गया, तो उसे सरकार की ओर से पांच हज़ार रुपये और मिल जाएंगे।
सरकारी योजनाओं की वाहवाही पर आलेख ‘पेड न्यूज़’ क्यों नहीं?
आईपीआरडी के निदेशक आर.एल गुप्ता ने इस विज्ञापन के बावत कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है लेकिन विज्ञापन उनके नाम से छपा है, इसलिए उसमें लिखी बातों और शर्तों को उनका आधिकारिक बयान क्यों नहीं माना जाए?
सवाल यह है कि इस विज्ञापन के तहत सरकारी लाभप्रदत्त योजनाओं की वाहवाही पर यदि एक भी आलेख लिखने वाले को एक भी रुपये दिए गए, तो इसे ‘पेड न्यूज़’ क्यों नहीं माना जाए?
सूचना एवं जन-संपर्क विभाग के अधिकारी ऐसा नहीं मानते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने दलील दी कि इसे आप पेड न्यूज़ कैसे कह सकते हैं। हमें अपनी किताब के लिए किसी ना किसी से तो आलेख लिखवाना ही है। आलेखों के बदले पैसे तो मीडिया संस्थान भी देते हैं। हम आलेखों का पैसा दे रहे हैं तो कौन सा गुनाह कर रहे हैं?
खैर, झारखंड सरकार के सूचना एवं जन-संपर्क विभाग (आईपीआरडी) के निदेशक के हवाले से जारी पीआर-216421 आईपीआरडी (19-20) डी नंबर से छपवाए गए विज्ञापन में आईपीआरडी के डायरेक्टर ने साफ-साफ कहा है कि ऐसे पत्रकारों के चयन के लिए एक कमेटी बनाई गई है, जो 16 सितंबर तक 30 चयनित पत्रकारों को उनके द्वारा सुझाये गए विषय पर लिखने के लिए एक महीने का समय देगी।
इस दौरान प्रिंट मीडिया हेतु चयनित पत्रकारों को अपना वह आलेख अपने अखबार या किसी अन्य स्थान पर प्रकाशित करवाना होगा। वहीं, इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया के रिपोर्टरों को भी इसी प्रक्रिया से गुज़रना होगा।
टीवी चैनलों के इन रिपोर्टरों द्वारा बनाई गई रिपोर्ट को प्रसारित करवाना होगा फिर पत्रकार इन प्रकाशित या प्रसारित आलेख/रिपोर्ट की कतरन 18 अक्टूबर तक सूचना एवं जन-संपर्क विभाग में जमा करा देंगे। इसके बाद इन पत्रकारों को सूचना एवं जन-संपर्क विभाग द्वारा प्रति आलेख 15 हज़ार रुपये तक का भुगतान करा दिया जाएगा।
सरकार द्वारा मीडिया से मोहब्बत ही तो है कि रघुवर सरकार ने इस बीच झारखंड के पत्रकारों के लिए पेंशन और बीमा योजना की भी शुरुआत की है। यही नहीं, अपने 5 साल के कार्यकाल के दौरान झारखंड की बीजेपी सरकार ने 400 करोड़ से भी अधिक की राशि अपने विज्ञापनों पर खर्च की है। क्या पत्रकारों को दिए ऑफर द्वारा रघुवर सरकार विधानसभा चुनाव 2019 को प्रभावित करना चाहती है?
The ruling @BJP4Jharkhand govt , it's officials & our hon'ble CM @dasraghubar have breached all norms of ethics & moraliy. Open advrt by Govt publicity wing to journalists in #Jharkhand to write on #Vikas & earn money as fees. #PressCouncil & @MIB_India should take cognizance . https://t.co/OmK8I2Io54 pic.twitter.com/o133zZmHmQ
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) September 16, 2019
वहीं, हेमंत सोरेन ने ट्वीट करते हुए कहा, “सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार में माननीय मुख्यमंत्री रघुवर दास ने नैतिकता और नैतिकता के सभी पैमानों का उल्लंघन किया है। झारखंड में पत्रकारों को सरकार द्वारा विकास पर लिखने और फीस के रूप में पैसा कमाने के लिए सरकारी विज्ञापन जारी हुआ है। प्रेस काउंसिल और @MIB_India को इस पर संज्ञान लेना चाहिए।”
ऐसे में यह समझने की बात है कि जिस सीएम रघुवर दास के 5 साल के कार्यकाल में कभी ऐसी कोई लेखन प्रतियोगिता नहीं करवाई गई, वहां अचानक जब चुनाव को दो महीने बचे हों और चुनाव से ठीक पहले गिनती के बीस-पचीस दिन पहले पत्रकारों के लेख को चुनकर उन्हें पैसे अदा कर किसका भला किया जाएगा?
ज्ञात हो कि 30 आलेखों में से 25 का चयन आईपीआरडी की पुस्तिका के लिए किया जाएगा और प्रकाशित इन आलेखों को लिखने वाले पत्रकारों को प्रति पत्रकार 5 हज़ार रुपये और दिए जाएंगे। मतलब साफ-साफ कहें तो भागयशाली पत्रकार इस ‘ऑफर’ से 20 हज़ार तक की अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं।