आत्महत्या या सुसाइड यानी ज़िन्दगी से हार मानकर मौत को गले लगाना। आजकल आत्महत्या की घटनाएं तेज़ी से समाज में फैलती जा रही हैं। यह एक प्रकार की मानसिक बीमारी है, जिसमें व्यक्ति अवसाद, निराशा और तनाव के कारण अपनी ज़िन्दगी को समाप्त कर लेता है।
आत्महत्या के मुख्य कारण हैं, आज की भागती ज़िन्दगी में खुद को औरों से बेहतर साबित करने की होड़, अनगिनत ख्वाहिशें और ज़्यादा पैसों की महत्वकांक्षा जैसी परिस्थितियां। ये परिस्थितियां व्यक्ति की मानसिक स्थिति को इस प्रकार जकड़ लेती हैं कि इनके हासिल ना होने पर व्यक्ति इतना निराश हो जाता है कि मौत के सिवाय उसको कोई रास्ता नज़र ही नहीं आता।
इस तरह की बढ़ती घटनाओं को हमें नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए। अपने आसपास घर-परिवार और अपने बच्चों की हर गतिविधियों पर नज़र रखनी चाहिए।
अगर घर का कोई भी सदस्य ज़्यादा बात नहीं कर रहा है या फिर कुछ ज़्यादा ही सोशल मीडिया में व्यस्त रहता है और छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करता है तो यह आपके लिए खतरे की घंटी है, समय रहते ही आपको सतर्क हो जाना चाहिए।
आत्महत्या को दूर करने के उपाय-
- अपने परिवार के साथ (पति, पत्नी, बच्चे) समय व्यतीत करें, किसी भी समस्या पर खुलकर बाते करें।
- बच्चों पर पढ़ाई और नौकरी को लेकर अत्यधिक प्रेशर ना डालें।
- सोशल मीडिया की आभासी दुनिया से प्रभावित होकर एक दूसरे को बदलने की कोशिश ना करें, खुद के लिए वक्त निकालें।
- ज़िन्दगी के प्रति हमेशा पॉज़िटिव सोच रखें। अपनी महत्वकांक्षाओं और ज़रूरतों को कम करें। हर परिस्थिति में खुश रहने की कोशिश करें।
- अच्छे और मोटिवेशनल लोगों के संपर्क में रहें।
- किताबें पढ़ें, योग और मेडिटेशन भी आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
- अगर आपके घर में किसी व्यक्ति या बच्चे को कोई मानसिक समस्या है तो तुरंत उसका निवारण करें। अच्छे मनोचिकित्सक से मिलकर उसकी काउंसलिंग करवाएं। ऐसे व्यक्ति का मज़ाक ना उड़ाए, क्योंकि हर बीमारी का इलाज संभव है। बस थोड़ी जागरूकता की ज़रूरत है।
- डिप्रेशन और तनाव पर खुलकर चर्चा करें, क्योंकि ज़िन्दगी बहुत अनमोल है।
- घर के सभी सदस्यों के साथ संवाद बनाएं रखें, एक दूसरे की समस्याओं को मिलजुल कर सुलझाएं। अकेलापन और ज़िन्दगी से निराशा भी आत्महत्या का प्रमुख कारण है।
हमें ही मिलजुलकर समाज से इन समस्याओं को दूर हटाना होगा बस एक संकल्प और जागरूता की ज़रूरत है।