हमारे देश में धर्म एक ऐसा मुद्दा है जिसपर आए दिन विवाद छिड़ा ही रहता है। अब जातिगत भेदभाव के साथ ही धार्मिक भेदभाव की घटनाएं आए दिन देखने और सुनने को मिलने लगी हैं। हिंदू-मुस्लिम विवाद तो भयावह रूप लेता जा रहा है। चाहे वह मॉब लिंचिंग का मामला हो या फिर आतंकवादी घटनाओं का मामला, हर जगह बड़ी आसानी से मुस्लिमों को दोषी ठहरा दिया जाता है।
अब तो हालत यह हो चुकी है कि खाने तक को धर्म से जोड़ा जा रहा है और हमारे समाज में ऐसा होना बेहद शर्मनाक और डराने वाली घटना है।
Zomato वाले विवाद से तो आप सभी वाकिफ होंगे ही कि एक शख्स ने सिर्फ इसलिए अपना खाना लेने से मना कर दिया क्योंकि डिलीवरी बॉय गैर-हिंदू था। उसने इसकी वजह सावन का महीना भी बताया। अब इस तरह की घटना नफरत फैलाने का ही तो काम करेंगी।
आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला
अमित शुक्ला नाम के एक आदमी ने Zomato से खाना ऑर्डर किया। फूड डिलीवर बॉय गैर-हिंदू था इसलिए अमित शुक्ला ने खाना लेने से मना कर दिया और खाना हिंदू लड़के के साथ भेजने के लिए कहा। Zomato ने ऐसा करने से मना कर दिया। इसके बाद उस आदमी ने इस बारे में ट्वीट किया, जिसके जवाब में Zomato ने ट्वीट करते हुए लिखा, “खाने का कोई धर्म नहीं होता है, खान खुद एक धर्म है”।
क्या उस व्यक्ति ने यह सोचा था कि
- जिस होटल से उसने खाना ऑर्डर किया है, उस खाने को बनाने वाला व्यक्ति क्या हिंदू था?
- जिस दुकान से होटल वाले ने सब्ज़ी, मसाले ये सारी चीज़ें खरीदी होंगी क्या वह दुकानदार हिंदू था?
- क्या उन सब्ज़ियों को खेतों में उगाने वाला किसान हिंदू था?
अब सिर्फ डिलीवरी बॉय का गैर-हिंदू होने पर विरोध करना तो बेफकूफी की बात है, जो उसके धार्मिक ढकोसले को दिखाती है।
खाना कैंसिल कर देना वह भी इस कारण से कि डिलीवरी बॉय मुस्लिम था, यह सारी बातें जनता के बीच में एक गलत संदेश देती हैं और धार्मिक नफरत को फैलाने का काम करती हैं। ऐसी घटनाएं देश के लिए खतरनाक हैं। जबकि हिंदू मुस्लिम एकता हमारी सभ्यता की पहचान रही हैं।
अगर देश को तरक्की की ओर ले जाना है, तो हिंदुस्तान से धर्म विवाद को खत्म करना होगा। अंतरधार्मिक विवाह को बढ़ावा देना होगा, जिसे हमारा समाज गलत मानता है।