Site icon Youth Ki Awaaz

आरक्षण पर मोहन भागवत के हालिया बयान के मायने

मोहन भागवत

मोहन भागवत

अभी हाल ही में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण को लेकर एक बयान दिया है, जो सुर्खियों में है। उन्होंने कहा है कि जो आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं, उन लोगों के बीच इस पर सद्भावपूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए।

मोहन भागवत का यह पहली बार आरक्षण पर दिया गया बयान नहीं है। वह बिहार विधानसभा चुनाव 2015 से ठीक पहले भी ऐसे बयान दे चुके हैं।

उस समय उन्होंने कहा था कि आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए, जिसे लेकर आरक्षण के समर्थक नेता इस पर भड़क गए थे। हालांकि बाद में संघ प्रमुख समेत आरएसएस के तमाम पदाधिकारियों ने सफाई भी दी कि उनका मकसद आरक्षण को हटाना नहीं है।

गौरतलब है कि एक  चुनाव प्रचार के दौरान नवादा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि यदि पिछड़ों का आरक्षण खत्म हुआ तो वह फांसी लगा लेंगे। लालू का इशारा संघ प्रमुख मोहन भागवत पर भी था।

खैर, अभी 3 प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिससे पहले संघ प्रमुख का इस तरह का बयान आना और वह भी तब जब बीजेपी लगातार बहुमत की भावना को राष्ट्रवाद के नाम पर भड़काकर विस्फोटक निर्णय लेने पर आमादा हो, विचारणीय ज़रूर है।

चाहे वह तीन तलाक हो या आर्टिकल 370 के हटाने का फैसला। इससे ज़रूर आरक्षण एवं सामाजिक न्याय की पक्षधर पार्टियों एवं नेताओं को सतर्क हो जाना चाहिए कि यह बहुमत की सरकार अपने वोटर्स को रिझाने के लिए कुछ भी कर सकती है।

नेताओं ने लिया संघ प्रमुख को आड़े हाथ

हालांकि कुछ नेताओं के बयान आने शुरू हो चुके हैं, जिसमें ओमप्रकाश राजभर का नाम पहले लिया जा सकता है। उन्होंने इस बात के लिए संघ प्रमुख को चुनौती भी दी है। आरजेडी के प्रवक्ता मनोज झा समेत कई अन्य लोगों ने भी संघ प्रमुख को आड़े हाथों लिया है। इसे लेकर मायावती का भी ट्वीट आया है।

काँग्रेस के भी कई नेता कह चुके हैं कि आरक्षण के मामले में बीजेपी की नियत ठीक नहीं है फिर भी एकजुटता का अभाव देखने को मिल रहा है। काश लालू बाहर होते तो मोहन भागवत इस तरह की बयान देने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाते लेकिन शेर को पिंजरे में कैद करके ही यह सब किया जा सकता है।

खैर, निराश होने की ज़रूरत नहीं है, बल्कि यह समय कुछ करने का है ताकि यह उत्तर भारत का मैदान फिर से आंदोलित हो सके और इन सांप्रदायिक, आरक्षण विरोधी, दलित-पिछड़ा, आदिवासी, किसान, गरीब, नौजवान और अल्पसंख्यक विरोधी शक्तियों से लड़ने के लिए तैयार हो।

Exit mobile version