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चिदंबरम वित्त मंत्री से वित्तीय घोटाले के आरोपी कैसे बने

पी चिदंबरम

पी चिदंबरम

पूर्व वित्त मंत्री और काँग्रेस के दिग्गज नेता पी चिदंबरम की मुश्किलें फिलहाल कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। बुधवार देर रात को आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई ने उन्हें नाटकीय अंदाज़ में गिरफ्तार कर लिया था। गुरुवार को उन्हें सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया, जहां उन्हें ज़मानत नहीं मिली। कोर्ट ने उन्हें 26 अगस्त तक सीबीआई की रिमांड पर भेज दिया।

आइए एक नज़र डालते हैं उनके राजनीतिक जीवन पर-

तमिलनाडु से हार्वर्ड तक का सफर

चिदंबरम का जन्म तमिलनाडु के शिवगंगा ज़िले में हुआ था। उनके पिता का टेक्सटाइल, ट्रेडिंग और प्लांटेशन का बहुत बड़ा व्यापार था लेकिन चिदंबरम को व्यापार में रुचि नहीं थी। चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज से सांख्यिकी में स्नातक करने के बाद उन्होंने मद्रास लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल की।

इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल से एमबीए भी किया। उनके पास चेन्नई के लोयोला कॉलेज से भी एक मास्टर्स की डिग्री है। स्टूडेंट लाइफ में वह लेफ्ट पॉलिटिक्स से आकर्षित हुए।

1969 में उन्होंने एन राम और एक्टिविस्ट मैथिली शिवरमन के साथ मिलकर ‘रैडिकल रिव्यू’ नाम से एक पत्रिका शुरू की। इसके बाद उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट में वकालत शुरू की। 1984 में वह सीनियर एडवोकेट बनने में सफल हुए। सुप्रीम कोर्ट में भी उन्होंने वकालत शुरू की।

कोर्ट से संसद तक का सफर

चिदंबरम तमिलनाडु यूथ काँग्रेस के अध्यक्ष थे। उसके बाद तमिलनाडु प्रदेश काँग्रेस कमिटी के जेनरल सेक्रेट्री भी बने। 1984 के आम चुनावों में वह शिवगंगा संसदीय क्षेत्र से चुनकर लोकसभा आए। 1985 में प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने उन्हें पहली बार मंत्रिमंडल में जगह दी।

उन्हें कॉमर्स मंत्रालय का उपमंत्री बनाया गया। 1986 में उन्हें प्रोमोशन देते हुए कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया। इसी साल अक्टूबर में उन्हें गृह मंत्रालय में आंतरिक सुरक्षा का राज्य मंत्री बनाया गया।

1991 में नरसिम्हा राव की सरकार में उन्हें वाणिज्य मंत्रालय में राज्य मंत्री का स्वतंत्र प्रभार दिया गया। उन्होंने यह पद जुलाई 1992 तक संभाला। फरवरी 1995 में उन्हें वापस इस पद पर बहाल किया गया और वह अप्रैल 1996 तक इस पद पर बने रहे।

पी चिदंबरम। फोटो साभार: Getty Images

1996 में चिदंबरम ने काँग्रेस पार्टी छोड़कर तमिलनाडु काँग्रेस से टूटकर बनी तमिल मानिला काँग्रेस का दामन थाम लिया। 1996 में हुए आम चुनावों के बाद उनकी पार्टी गठबंधन सरकार का हिस्सा भी बनी। इस गठबंधन सरकार में चिदंबरम का कद बढ़ गया। उन्हें वित्त मंत्री का पद मिला। 1998 में यह गठबंधन सरकार गिर गई।

इसी बीच 2001 में चिदंबरम ने काँग्रेस जननायक पेरावाई नाम से तमिलनाडु में अपनी क्षेत्रीय पार्टी का गठन किया। चुनावों में सफलता नहीं मिलने के बाद 2004 आम चुनावों से ठीक पहले उन्होंने काँग्रेस में अपनी पार्टी का विलय कर लिया। 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार में उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया।

26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के बाद देश के गृहमंत्री शिवराज पाटिल पर चारों ओर से इस्तीफा देने का दबाव था। शिवराज पाटिल के इस्तीफे के बाद चिदंबरम को देश का गृहमंत्री बनाया गया। 2009 के आम चुनावों में चिदंबरम फिर से शिवगंगा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा में चुनकर आए, जिसके बाद गृहमंत्री का उनका पद बना रहा।

जुलाई 2012 से मई 2014 तक उन्होंने एक बार फिर देश के वित्त मंत्री का पद संभाला। 2014 के आम चुनावों में उन्होंने अपनी शिवगंगा की सीट अपने बेटे कार्ति चिदंबरम को दे दी लेकिन कार्ति चिदंबरम अपने पिता की सीट नहीं बचा पाए और उनकी हार हुई। 

आईएनएक्स मीडिया मामले से चिदंबरम का कनेक्शन

यह पूरा मामला 2007 का है, जब चिदंबरम देश के वित्त मंत्री हुआ करते थे। यह आरोप है कि उस दौरान आईएनएक्स मीडिया ग्रुप को 305 करोड़ रुपए के विदेशी फंड लेने के लिए फॉरेन इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंज़ूरी में कई तरह की अनियमितताएं बरती गई। इस संबंध में सीबीआई ने 15 मई, 2017 को आईएनएक्स मीडिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।

इस पूरे मामले में चिदंबरम का नाम तब सामने आया जब आईएनएक्स मीडिया के प्रमोटर इंद्राणी मुखर्जी और उनके पति पीटर मुखर्जी से ईडी ने पूछताछ की। ईडी ने अपने आरोप पत्र में लिखा है, “इंद्राणी मुखर्जी ने जांच अधिकारियों को बताया कि चिदंबरम ने एफआईपीबी मंज़ूरी के बदले अपने बेटे कार्ति चिदंबरम को विदेशी धन के मामले में मदद करने की बात कही थी।”

पी चिदंबरम। फोटो साभार: Getty Images

पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम भी ज़्यादा वक्त तक जांच एजेंसियों के रडार से बच नहीं पाए और सीबीआई ने फरवरी 2018 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। सीबीआई के मुताबिक आईएनएक्स मीडिया की पूर्व प्रमोटर इंद्राणी मुखर्जी ने पूछताछ में यह कुबूल किया है कि कार्ति चिदंबरम ने आईएनएक्स मीडिया के खिलाफ हो रही जांच को रूकवाने के लिए उनसे 10 लाख डॉलर की मांग की। बाद में कार्ति चिदंबरम को ज़मानत मिल गई।

इंद्राणी मुखर्जी अपनी बेटी शीना बोरा की हत्या के आरोप में जेल में हैं और इस मामले में सरकारी गवाह भी हैं। इसे देखते हुए कार्ति चिदंबरम ने उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।

नाटकीय अंदाज़ में हुई चिदंबरम की गिरफ्तारी

चिदंबरम ने दिल्ली हाई कोर्ट में अग्रिम ज़मानत याचिका दाखिल की थी, जिसे 20 अगस्त यानि मंगलवार को हाई कोर्ट ने खारिज़ कर दिया। हाई कोर्ट से अपील खारिज़ होने के बाद चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया।

इसी बीच सीबीआई और ईडी की टीम ने मंगलवार देर रात चिदंबरम के घर पर नोटिस लगा दिया और उन्हें दो घंटे के अंदर हाज़िर होने को कहा। उस वक्त चिदंबरम अपने घर पर नहीं थे। अगले दिन बुधवार को पूरे मीडिया में यह खबर चलती रही कि चिदंबरम जांच एजेंसियों के डर से फरार हैं। इन सबके बीच बुधवार को चिदंबरम के वकील सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम ज़मानत लेने की लगातार कोशिश करते रहे।

आखिरकार चिदंबरम के वकीलों की मेहनत रंग लाई और बुधवार शाम 5 बजे सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अपील स्वीकार कर ली। दिक्कत यह थी कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई दो दिनों बाद यानि शुक्रवार को करने का फैसला किया।

अब सबके सामने यही सवाल था कि क्या सीबीआई और ईडी दो दिन तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतज़ार करेगी या बीच में ही चिदंबरम को गिरफ्तार कर लेगी।

बुधवार को दिन भर मीडिया यह कयास लगाती रही कि चिदंबरम फरार हो चुके हैं लेकिन बुधवार को रात 8 बजे चिदंबरम काँग्रेस मुख्यालय पहुंचे। उनके साथ उनके वकील और पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और सलमान खुर्शीद भी मौजूद थे। चिदंबरम ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि वह कानून से भागे नहीं हैं, बल्कि अपने हितों की रक्षा के लिए कानून की शरण में गए हैं।

फोटो साभार: सोशल मीडिया

चिदंबरम ने सिर्फ अपना बयान पढ़ा और पत्रकारों के किसी सवाल का जवाब नहीं दिया। इसके बाद वह अपने घर पहुंचे। उनके घर पहुंचने के कुछ ही देर बाद सीबीआई की टीम उनके घर पहुंची। घर का दरवाज़ा बंद होने के कारण सीबीआई की टीम नाटकीय अंदाज़ में दरवाज़ा फांदकर अंदर घुस गई और चिदंबरम को गिरफ्तार कर लिया गया। 

क्या कहा सीबीआई कोर्ट ने?

गुरुवार को उन्हें सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया, जहां उन्हें ज़मानत नहीं मिली। करीब डेढ़ घंटे तक चली बहस के बाद कोर्ट ने चिदंबरम को 26 अगस्त तक सीबीआई रिमांड पर भेज दिया।

विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहाड़ ने अपने फैसले में कहा कि हिरासत में पूछताछ न्यायोचित है। उन्होंने साथ ही सीबीआई को यह सुनिश्चित करने को कहा कि चिदंबरम की व्यक्तिगत गरिमा का किसी भी तरीके से हनन नहीं हो।

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