भारत और पाकिस्तान के राजनेताओं का शायद ही कोई दिन ऐसा जाता होगा, जब वे एक दूसरे को धमकी ना देते हों। अभी कुछ एक दिन पहले ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने फटाफट नई स्क्रिप्ट तैयार करवाई और कैमरा रोल हुआ। पीछे दो झंडे लगाए और कश्मीर मसले पर कहा कि वे कश्मीर के लिए किसी भी हद तक चले जाएंगे। साथ ही इमरान ने एक बार फिर आरएसएस को जमकर कोसा।
अनुच्छेद 370 से पाकिस्तान को झटका
दरअसल, अनुच्छेद 370 हटाना पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है। भारत की केंद्र सरकार ने जब से कश्मीर को हिन्दुस्तान बना डाला है, तब से पाकिस्तान के कप्तान दबाव में राजनितिक बयानबाजी दे रहे हैं।
पाकिस्तान के लिए भी कश्मीर किसी सुपर मार्केट से कम नहीं है। आज इस बाज़ार का नुकसान हुआ तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पर उसका भी दबाव है।
पाकिस्तान की कूटनीति या गुस्सा?
अब किसी को क्या कहना, अलग-अलग देशों के अलग-अलग रिवाज़ होते हैं। इमरान खान ने भले ही हमारे स्वतंत्रता दिवस पर काला दिवस मनाया हो लेकिन हम भारतीय किसी की भी खुशी में मातम नहीं मनाते।
जब उनका पाकिस्तान दिवस मनाया जा रहा था तब हमारे प्रधानमंत्री ने इमरान को संदेश भेजकर पाकिस्तान के लोगों को “पाकिस्तान दिवस” की बधाई दी थी।
खैर, अब मुद्दा यह है कि पाकिस्तान अब क्या-क्या कर सकता है? तो मैं बता दूं कि ये फॉर्मूला इतना फिल्मी हो चुका है कि अब दोनों ओर के बच्चों को भी यह स्टोरी रट चुकी है।
एक बार फिर हमेशा की तरह समझौता और थार एक्सप्रेस को बंद कर दिया गया है। पाकिस्तान ने एक बार फिर अपने यहां बॉलीवुड की फिल्मों के प्रदर्शन को प्रतिबंधित कर दिया, व्यापारिक रिश्ते समाप्त कर दिए, भारतीय उच्चायुक्त को लौट जाने के लिए कह दिया और पाकिस्तान ने अपने हवाई क्षेत्र का एक कॉरिडोर बंद कर दिया।
इससे ज़्यादा इमरान खान और कर भी क्या सकते हैं।
हां, जितना इमरान खान ने प्रधानमंत्री बनकर किया इतना तो हमारे यहां के फेसबुकिया कर देते हैं। याद होगा डोकलाम में चीन को टक्कर इन लोगों ने ही दी थी। चीन के बने सामान का इतना बहिष्कार किया कि वे लोग लड़ी-फूलझड़ी बनाना भूल गए और डोकलाम से झोला उठाकर चले गये थे।
जब इमरान खान ने धमकी दी कि पाकिस्तान किसी भी हद तक जाने को तैयार है, तो मेरे ज़ेहन में यह बात आई कि हथियारों से तो पाकिस्तान अभी युद्ध करेगा नहीं क्योंकि इमरान ने अपनी आवाम से नया पाकिस्तान बनाने का वादा किया है और वह युद्ध करके इसे खंडहर नहीं बनाएगा।
बाकि इमरान ने अपनी आवाम का वोट लिया है, उनका मन रखने के लिए कुछ ना कुछ तो बयान देना ही था। किस्मत कुर्सी दिला सकती है लेकिन पाकिस्तान में प्रधानमंत्री बने रहना आसान नहीं है। बस चिंता इस बात की है कि पाकिस्तान की किसी भी हद तक जाने की बात, दोनों देशों के बीच और ज़्यादा नफरत के ज़हर ना घोल दे।