हाल ही में राजस्थान सरकार ने मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा हत्या) की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए कानून बनाया है। हालांकि पिछले सालों में जो घटनाएं देखने में आई हैं, वह मात्र भीड़ द्वारा अनायास पीट-पीटकर मार देने का मामला भर नहीं है।
ऐसे पर्याप्त तथ्य एवं प्रमाण हैं, जिनसे पता चलता है कि ये घटनाएं पूर्व नियोजित रहती हैं तथा इनके पीछे भयानक रूप से राजनीति को प्रभावित करने वाले अपराधी तत्वों के कुछ उद्देश्य निहित होते हैं। उनके यह उद्देश्य कभी भी किसी भी जातीय और धार्मिक समुदाय के लिए लाभदायक नहीं होते हैं।
मॉब लिंचिंग और सरकार
राजस्थान के अलवर में मॉब लिंचिंग की घटना हुई थी, जिसमें तथाकथित गौरक्षकों ने पहलू खां को गो तस्करी के आरोप में पीट-पीटकर मार दिया था। बहरहाल, सभी आरोपियों को ज़िला न्यायालय ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है।
सरकार ने अब इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की है। गहलोत सरकार तथा पुलिस प्रशासन पिछले तीन महीने में हुई तीन बड़ी हिंसक घटनाओं को रोकने तथा नियंत्रित करने में असफल रहे हैं।
हिंसा से लोगों में दहशत पुलिस नदारद
जयपुर के शास्त्री नगर की भी एक घटना है। जहां अल्पसंख्यक समुदाय की 7 वर्षीय लड़की के अपहरण और बलात्कार के पश्चात गुस्साई भीड़ ने रातभर शास्त्री नगर में लोगों के घरों पर पत्थर फेंके और कारों एवं बाइकों को आग लगा दी। कॉलोनी के लोग पूरी रात दहशत में रहे। लोगों ने पुलिस तथा क्षेत्रीय विधायक को फोन किया लेकिन वे घटना के समय नदारद रहे।
अचानक से दर्ज़नों लड़के लाठी-डंडे, पत्थर और धारदार हथियार लेकर आ गए और लोगों से मार-पीट करने लगे। जयपुर-दिल्ली बाईपास पर इस भीड़ ने रात भर पत्थरबाज़ी की और लोगों के वाहनों को तोड़ दिया गया। पूरी रात यह भीड़ सड़क पर उत्पात मचाती रही। इस बार भी पुलिस प्रशासन इस घटना को नियंत्रित करने में असफल रहा।
पुलिस की ढ़िलाई
तीसरी घटना अलवर की है। इस मामले में बाइक एक्सीडेंट के बाद हरीश जाटव नाम के व्यक्ति को मुस्लिम लड़कों ने पीट-पीटकर मार डाला। पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया, जिस कारण हरीश के पिता रतिराम ने पुलिस पर केस में ढ़िलाई बरतने के आरोप लगाने के बाद सल्फॉस खाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद तीन दिन तक पूरा अलवर बन्द रहा।
सरकार को उठाने चाहिए यह कदम
इन घटनाओं को सरकार, पुलिस प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों ने गंभीरता से नहीं लिया। जिससे घटनाएं हिंसक हो गईं। मॉब लिंचिंग पर कानून बना देने मात्र से इन घटनाओं को नहीं रोका जा सकता। इसके लिए बहुत सारी बातों पर ध्यान देने की ज़रूरत है, जैसे-
- सरकार और प्रशासन को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अति सक्रियता और संवेदनशीलता बरतनी होगी।
- सरकार को बहुसंख्यक समुदाय और अल्पसंख्यक समुदाय दोनों तरफ की हिंसा को रोकना होगा।
- देश के सामाजिक सद्भाव एवं सौहार्द को दोनों तरफ की सांम्प्रदायिक हिंसा से खतरा है।
- वर्तमान समय में व्हाट्सएप और फेसबुक पर दोनों तरफ धार्मिक कट्टरपंथियों द्वारा अपने सियासी फायदों के लिए युवा पीढ़ी में ज़हर घोला जा रहा है। इसलिए इन पर भी नज़र रखने की ज़रूरत है।
इस तरह दोनों तरफ के सांम्प्रदायिक ज़हर खत्म करने की आवश्यकता है। इसलिए सरकार को यह कदम उठाने चाहिए ताकि मॉब लिंचिंग की घटना को रोका जा सके।