सावन का महीना त्याग, समर्पण, संयम और सात्विकता का महीना होता है। शिव की भक्ति में लीन भक्त शिव जी की तरह ही सादा जीवन का अनुसरण करते हैं। कुछ लोगों को तो मैंने पूरे महीने सिर्फ कंद-मूल खाते देखा है।
आत्मज्ञानं समारम्भस्तितिक्षा धर्मनित्यता।
समर्था नापकर्षन्ति स वै पण्डित उच्यते।।1।।
(श्लोक सन्दर्भः महाभारत उद्योगपर्व विदुरप्रजागर अ0 33 श्लोक 15)
श्लोकार्थः- जिसको परमात्मा और जीवात्मा का यथार्थ ज्ञान हो, जो आलस्य को छोड़कर सदा उद्योगी हो, सुख-दुःख खादि का सहन, धर्म का नित्य सेवन करने वाला हो तथा जिसको कोई पदार्थ धर्म से छुड़ाकर अधर्म की ओर आकर्षित ना कर सके वह ‘पंडित’ कहलाता है।
ऊपर वर्णित श्लोक तो ग्रंथ में लिखा है लेकिन अचानक एक तथाकथित पंडित जी आते हैं सावन का महीना बताने और जिनका पांडित्य इतना कमज़ोर है कि वह सावन के महीने में Zomato से खाना ऑर्डर करते हैं। जबकि असली पंडित जी तो कहते हैं कि सावन में बाहरी खाना ही निषेध होता है।
विरोध इस बात का नहीं है कि उनकी पृष्ठभूमि क्या है, विरोध इस बात का है कि उन्होंने अपनी हीरोपंथी साबित करने के लिए सावन के महीने का सहारा लिया।
क्या है मुद्दा
अपने नाम के आगे पंडित लगाने वाले एक भाईसाहब अमित शुक्ला जी ने Zomato से खाना ऑर्डर किया। सॉफ्टवेयर बनाने वाला शायद इतना ज्ञानी नहीं रहा होगा कि हिंदू कस्टमर के लिए हिंदू डिलीवरी बॉय वाला इंस्ट्रक्शन डाल सके या फिर मुस्लिम कस्टमर के लिए मुस्लिम डिलीवरी बॉय वाला इंस्ट्रक्शन डाल सके।
बहरहाल, उन्होंने पाप किया या पुण्य इसका फैसला तो भगवान कर लेंगे लेकिन शुक्ला जी ने फौरन अपना पांडित्य प्रदर्शन किया धुंआधार कट्टरपंथी विचार के साथ। फूड ऑर्डर को हिंदू लड़के के साथ भेजने के लिए कहा। Zomato ने ऐसा करने से मना कर दिया। शुक्ला जी इतने दिलदार निकले कि रिफंड भी नहीं लिए और दान समझकर सावन का पुण्य कमा लिया।
इससे पहले भी शुक्ला जी ने अपने ज्ञानतंत्र से मंत्र पढ़कर एक ट्वीट किया था तसलीमा नसरीम पर। शुक्ला जी अपनी ट्वीटर वाली चिड़िया उड़ाते हुए उनके स्तनों पर टिप्पणी कर दी थी। अब शुक्ला जी ने किस गुरुकुल से शिक्षा-दिक्षा ली है यह तो वे स्वयं ही जाने।
शुक्ला जी की पत्नी का पक्ष
मीडिया रिपोर्ट में छपी खबर के मुताबिक पत्नी जी का कहना है कि उनके पति ने कुछ गलत नहीं किया है। उन्होंने कहा कि मैं घर पर नहीं थी इसलिए मेरे पति ने वेज खाने का ऑर्डर दिया था। उन्होंने डिलीवरी बॉय बदलने के लिए कहा मगर Zomato ने ऐसा नहीं किया।
हकीकत क्या है
पिछले कुछ वक्त से देश में अजीब सा कट्टरपंंथ छाया हुआ दिख रहा है। एक भीड़ दिखती है, जो फूहड़ता के सहारे धर्म को बदनाम करने पर कार्यरत है।
इस भीड़ ने ना जाने कौन से हिंदुत्व का संपूर्ण शास्त्रार्थ कर लिया है, जो ये हमेशा तैयार रहते हैं किसी से भी भीर जाने के लिए। यह भीड़ किसी भी धर्म की हो सकती है लेकिन जिस भी मज़हब से हो बहुत अधर्मी है, जो खुद के ही धर्म को बदनाम करने पर लगी है।
डिलीवरी बॉय और Zomato का जवाब
एक न्यूज़ चैनल के पूछने पर डिलीवर बॉय का जवाब था,
इस घटना से मुझे काफी दु:ख पहुंचा है लेकिन मैं क्या कर सकता हूं। हम काफी गरीब लोग हैं और हमारे साथ ऐसा होता रहता है।
Zomato का जवाब –
Food doesn’t have any religion, It is a religion.
इन दोनों जवाबों के पीछे छिपे मर्म को तलाशने का ज़िम्मा मैं आपके विवेक पर छोडता हूं।
यह ट्वीटर अटैक एक सुनियोजित वाहवाही की प्राप्ति के लिए रचा गया सा लगता है लेकिन ज्ञान और समझ के अभाव में शुक्ला जी ही इंसानियत के तराजू में बौने सिद्ध हो गए।
समाज में फ्री बिक रही ऐसी घृणित और खोखली विचारधारा से हमें भी बचकर रहना चाहिए और ज्ञान के अभाव में अपना अल्पज्ञान कभी ज़ाहिर नहीं करना चाहिए।