1990 का दशक जब टीवी आ चुका था और घर के बड़े बुज़ुर्गों ने रामायण देख कर ये मान लिया था कि उसमें जो कलाकार थे वो असल में राम, सीता, रावण आदि थे। इस बात का अंदाज़ा इस बात लगाया जा सकता है कि सीता का पात्र निभाने वाली एक्ट्रेस दीपिका जब असल ज़िंदगी में जींस पहनती या हाथ में सिगरेट पकड़ती तो लोग दंगे कर देते। अब सीता मैया को इस तरह थोड़े देखा जा सकता था।
उसी दौर में उदित नारायण और कुमार सानू को टक्कर देने आई एक मासूम सी मीठी आवाज़। जिसका नाम था सोनू निगम। आज के दौर में तो किसी भी सेलिब का चेहरा किसी से नहीं छुपा लेकिन उस दौर में अपने पसंदीदा कलाकार या गायक को देखना किसी सपने से कम ना था। ऐसा ही सोनू के साथ हुआ। हम उनकी आवाज़ के दीवाने थे, जहां कहीं उनकी फोटो मिलती उसे सहेजते थे। ऐसी कई यादें हैं जो आज उनके जन्मदिन पर याद आती है। तो चलिए 90 के दशक के उस नोस्टैलजिया को जिएं जिसमें सोनू की आवाज़ का अहम रोल है।
टेप रिकॉर्डर का रिवाइंड बटन खराब हुआ
यह वही दौर था जब रियेलिटी शोज़ के नाम पर बूगी वूगी आता था और बच्चे-बच्चे को गुलज़ार का लिखा गीत “चड्डी पहन के फूल खिला है” याद था। रंगीन टीवी और फ्रिज घरों में प्रवेश कर ही चुका था कि अचानक रफी जैसी सुकून भरी आवाज़ टेप रिकॉर्डर पर सुनाई दी। गाना था “क्या हुआ तेरा वादा”। रफी के अलावा वो गीत मुझे कभी किसी और की आवाज़ में पसंद नहीं आया लेकिन सोनू निगम नाम के इस नई आवाज़ में कुछ जादू था।
रफी की याद में गाए उनके गीत इतने सुंदर थे कि हम उसे बार-बार सुनते थे और इसी दीवानेपन में हमने अपने फिलिप्स के टेप रिकॉर्डर का रिवाइंड बटन खराब कर दिया।
अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का
कहते हैं सबसे ज़्यादा दर्द इश्क में होता है। खासकर तब जब आपका दिल टूट जाए। यूं तो इंडस्ट्री में बहुत सारे गम के गीत बने जिन्हें सुनकर लोगों की आंखों से आंसू बहे लेकिन सोनू के इस गाने की बात ही कुछ और थी। 1995 में आए इस गीत के एक-एक लफ्ज़ में दर्द था जिसे सोनू ने पूरे अहसास के साथ गाया। दिल टूटने के लिहाज़ से हम उस वक्त बहुत छोटे थे लेकिन वो सोनू निगम की आवाज़ का नशा था कि ये गीत हमें लाईन बाई लाईन याद था।
हम कोशिश करते कि हम भी सोनू की तरह उस दर्द को फील करके गाएं लेकिन हम सब फेल हो जाते। हम भले ही इस गीत को सोनू की वजह से सुनते लेकिन हमारे गली मोहल्ले या आस-पास के भैया लोगों के लिए ये गीत एक एंथम बन गया था।
हम कई दफा भैया लोगों से ये सुनते काश मेरा दिल टूट जाए तब मैं इस गीत के फील को और समझ पाऊंगा।
ये कहना गलत नहीं होगा कि उस दौर में सोनू ने दिल टूटने पर इस गीत को गाने और सुनने का ट्रेंड बना दिया था।
सा रे गा मा
पहली बार था जब सोनू को हम प्लेबैक सिंगर नहीं बल्कि एक होस्ट के रूप में देखने वाले थे। हम में से कई लोगों को ये एक्साईटमेंट था कि सोनू बातें कैसी करते होंगे? हम मन में सोचते कि वो प्रतिभागी कितने लकी हैं जो सोनू के बगल में खड़े होंगे। बस फिर सा रे गा मा के सामने हमारी सब्ज़ियां चूल्हे पर जलने लगी लेकिन जली सब्ज़ी के स्वाद को सोनू निगम की आवाज़ के साथ-साथ उनका चेहरा बैलेंस कर देता।
आज सा रे गा मा का स्वरूप बदल गया है। एक से एक गायक आ गए हैं लेकिन जो सादगी और सुकून सोनू ने इस शो में रखी वो अब कभी भी वापस नहीं आ सकती।
ऐ गुज़रने वाली हवा बता
देशप्रेम हमेशा से भारतवासियों के रग-रग में दौड़ा है। सैनिकों को लेकर सम्मान हमेशा से हमारे मन में रहा लेकिन सैनिकों के दर्द, उनके बलिदान और उनके इमोशन को हमने इस गीत के माध्यम से और करीब से जाना। बार्डर फिल्म का गीत “संदेसे आते हैं” सोनू द्वारा गाया एक और मील का पत्थर था। रूप कुमार राठौड़ के साथ सोनू जब इस गाने की वो लाइन गाते हैं
ऐ गुजरने वाली हवा बता
मेरा इतना काम करेगी क्या
मेरे गाँव जा
मेरे दोस्तों को सलाम दे
तो ऐसा लगता है जैसे वो हवा सच में उनका यह काम कर देगी। उनकी आवाज़ की सच्चाई ने आज भी इस गीत को उतना ही सच्चा बनाए रखा है जितना वो तब था। आज भी इस गीत को सुनकर रौंगटे खड़े हो जाते हैं।
कोई भी गीत गा सकते हैं सोनू
सोनू निगम की खास बात ये है कि उनकी आवाज़ हर तरह के गानों में फिट बैठती है। कई लोग आज सोनू की तुलना अरिजीत से करते हैं लेकिन सोनू की तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती। फिल्म अग्निपथ में उनका गाया गीत “अभी मुझमें कहीं” अगर किसी और सिंगर द्वारा गाया जाता तो कभी उतना प्रसिद्ध नहीं होता जितना आज है।
आज के वक्त में गाने आते हैं, हम उन्हें चार दिन गुनगनाते हैं और फिर भूल जाते हैं लेकिन सोनू का गाया ये गीत आज भी लोगों की ज़ुबान पर है। यही खासियत होती है एक महान गायक की। वो गाने को अपना बना लेता है।
जब सोनू गाते हैं “हर पल यहां जी भर जियो, जो है समां कल हो ना हो” तब ज़िंदगी कि इस सिंपल सी फिलॉसफी पर यकीन करने को दिल करता है। जब वो कहते हैं कि “सूरज हुूआ मद्धम” तो एक सरसरी सी होने लगती है। 90 के दशक के कितने लोगों ने सोनू निगम के गाने सुनकर मोहब्बत को महसूस किया है।
जब सड़क पर भेष बदल कर गाना गाया
हम सोनू निगम के गाने सुनकर बड़े होते रहे। टेप रिकॉर्डर से सोनू हमारे आईपॉड पर आ गए फिर फोन पर भी गूंजने लगे। टीवी पर भी इस घुंघराले बाल वाले लड़के ने पैर जमाए। एंकर से लेकर एल्बम में फीचर होते-होते इन्होंने एक्टिंग में भी हाथ आजमाया। सच कहूं सोनू को एक्टर के रूप में देखकर बिल्कुल मज़ा नहीं आया। शायद सोनू ने जो हमारे अतर्मन में जगह बनाई उसकी तस्वीर फिल्मों में फीकी लग रही थी।
सोनू लोगों की तनहाई का साथी था। उनकी आवाज़ की सच्चाई हमें खुद से मिला देती थी। इसी तरह एक बार हमसे मिलने की कोशिश सोनू ने की। ये कोशिश कॉन्सर्ट या शो के ज़रिए नहीं बल्कि भेष बदल कर सड़क पर गाने की थी।
सोनू ने एक बुज़ुर्ग भिखारी का भेष लिया और हार्मोनियम पकड़ कर सड़क पर गाने लगे। ये कोशिश उनकी स्ट्रीट सिंगिंग को बढ़ाने और उसे उचित सम्मान देने की थी। सोनू को उस भेष में कोई पहचान नहीं पाया लेकिन आवाज़ का जादू था कि जो कोई इस बुज़ुर्ग को गाते हुए सुनता वो वहीं रुक जाता।
सोनू निगम एक ऐसा नाम है जिसने हमारे बचपन और जवानी दोनों में कई रंग भरे हैं। हमने उनके गाए गीतों की बदौलत प्यार करना सीखा, उनके गाए लफ्ज़ों की ब़दौलत ज़िंदगी के फलसफे को जाना, हमने उनको देखकर समझा कि अपने अंदर की सच्चाई क्या होती है और आज भी उनके साथ-साथ आगे बढ़ रहे हैं। टेप रिकॉर्डर से आई फोन कर के सफर को तय करने के बाद, सड़क पर किसी भी गायक का सम्मान करना सिखाने के लिए सोनू तुम्हारा शुक्रिया।