सरहदें,
जो खिंचती हैं भूमि पर
देशांतर और अक्षांश रेखाओं के आधार पर,
तो कभी जाति, धर्म, भाषा, संप्रदाय के आधार पर,
कभी प्रजाति के आधार पर
लेकिन ज़मीन पर खींची सरहदें
दूर कर देती हैं कभी-कभी
सरहदों के बीच रहने वालों को भी।
आदम जब निष्कासित किए गए थे
स्वर्ग से तो पृथ्वी पर पहुंचे थे
लेकिन आज वहां श्रीलंका है,
हवा जब निष्कासित की गई थी
स्वर्ग से तो पृथ्वी पर पहुंची थी
लेकिन आज वहां सऊदी है।
लोकतंत्र के शांति दूत समझते हैं
सरहदें रोकती हैं साम्राज्यवाद को,
वास्तव में सरहदें हैं प्रतीक साम्राज्यवाद का,
पृथ्वी के हिस्सों पर कब्ज़ा कर लिया
और बना लिया अपना राज्य,
खिंच दिया चारों ओर लोहे के बाड़
जिसमें दौड़ रही है विद्युत,
खड़े कर दिए अपने सैनिक सरहदों पर।
सरहदें प्रतीक हैं पूंजीवाद का,
इन्हीं के कारण होता है शस्त्रीकरण
जिनसे भरती हैं, जेब पूंजीवादियों की,
लगती हैं हथियारों की होड़
लेकिन इनसे मरते हैं सरहदों पर सैनिक
और सरहदों के बीच जनता भूख से,
जनता की इसी भूख
और सैनिकों की मृत्यु से
पैसे कमाते हैं पूंजीवादी राज्य
राष्ट्रवाद की आड़ में।
सोचो अगर ये सरहदें नहीं होती
तो मैं और तुम कितने पास होते,
हमारे बीच कोई तीसरा या चौथा नहीं होता
लेकिन एक दिन मेरा और तुम्हारा प्रेम
भूल जायेगा सभी सरहदें,
हम बढ़ेंगे एक दूसरे की ओर
बिना किसी बाड़ में दौड़ते करंट के भय से,
बिना किसी बंदूक के डर से,
जब हम बढ़ेंगे एक दूसरे की ओर
झुक जाएंगी बंदूकें हमारे प्रेम के आगे,
तेज़ चलती हवा से टूट जाएंगे लोहे के बाड़,
जब मैं तुम्हें आलिंगन करूंगा तब
सारी सरहदें मिट जाएंगी स्वतः ही।