माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपनी बातों को रखते हुए कहा,
झारखंड में युवक की हत्या का दुख यहां सबको है, मुझे भी है। दोषियों की कड़ी से कड़ी सज़ा भी मिलनी चाहिए लेकिन क्या एक झारखंड राज्य को दोषी बता देना शोभा देता है? फिर तो हमें वहां भी अच्छा काम करने वाले लोग ही नहीं मिलेंगे। पूरे झारखंड को बदनाम करने का हममे से किसी को हक नहीं है।
नरेंद्र मोदी ने कहा,
हिंसा की घटनाओं पर, चाहे वह घटना झारखंड में होती हो, चाहे वह घटना पश्चिम बंगाल में होती हो, चाहे वह घटना केरल में होती हो, हमारा एक ही मानदंड होना चाहिए। तभी हिंसा को हम रोक पाएंगे। तभी हिंसा करने वालों को समझ आएगा कि इस मुद्दे पर पूरा देश एक है।
झारखंड को मॉब लिंचिंग (उन्मादी भीड़ की हिंसा) का फैक्ट्री बताने के गुलाम नबी आज़ाद के बयान पर प्रधानमंत्री ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा,
गुलाम नवी आज़ाद को सबकुछ धुंधला नज़र आ रहा है लेकिन जब वह राजनीतिक चश्मा उतार कर देखेंगे, तो सब धुंधला नहीं उज्जवल भविष्य नज़र आएगा।
मोदी ने इस दौरान आज़ाद को ग़ालिब का एक शेर सुनाते हुए कहा,
ताउम्र ग़ालिब भी यह भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी आईना साफ करता रहा।
झारखंड में भीड़ द्वारा हत्या का ऐसा पहला मामला नहीं है। अमर उजाला में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार,
- इस तरह का यह 11वां मामला है।
- इस साल भीड़ द्वारा हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई है, जबकि 22 लोग घायल हुए हैं।
- पिछले एक दशक में भारत में 297 घृणा अपराध के मामले सामने आए हैं, जिनमें 98 लोगों की मौत हुई और 722 लोग घायल हुए हैं।
अमर उजाला की उसी खबर में बताया गया है कि हाल के सालों में मॉब लिंचिंग के मामलों में इज़ाफा हुआ है।
- साल 2015 के बाद से पशु हत्या और चोरी के कारण मॉब लिंचिंग की 121 घटनाएं हुईं।
- जबकि 2012 से 2014 में ऐसी महज़ 6 घटनाएं हुईं।
- 2009 से 2019 के समग्र के अनुसार 59 पीड़ित मुस्लिम थे और 28 फीसदी घटनाएं कथित पशु चोरी या हत्या से संबंधित थीं, जिसमें 66 फीसदी घटनाएं भाजपा शासित राज्यों में हुईं और 16 फीसदी घटनाएं कॉंग्रेस शासित राज्यों में हुईं।
जैसा कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने कहा कि कानून और संविधान इसके खिलाफ कार्रवाई में सक्षम है, मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि अगर कानून और संविधान सक्षम होता, तो आज तबरेज़ की मौत नहीं होती। यह झारखंड का पहला, दूसरा नहीं एक 11वां मामला है। आखिर कब तक ऐसे अत्याचार होते रहेंगे?
ऐसा नहीं है कि भारत में सिर्फ मुस्लिमों की मॉब लिंचिंग होती है, कई जगहों पर हिन्दुओं को भी इसका शिकार बनाया गया है, इसलिए इसे धर्म का नाम ना देकर अपने देश पर काला धब्बा मानकर इसे सही करना आवश्यक है। धर्मनिरपेक्षता ही हमारे देश को पूरे विश्व से अलग करती है और हमें एक अलग पहचान देती है। हम जितना ज़्यादा राष्ट्रवाद के बीज बोएंगे उतनी जल्दी देश से ऐसी घटनाएं खत्म होंगी।