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“6 महीने में 24 हज़ार से ज़्यादा रेप के मामले, क्या कर रही है सरकार?”

प्रतीकात्मक तस्वीर

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बलात्कार एक ऐसा लफ्ज़ है, जिसे सुनते ही रूह कांप उठती है। दुनियाभर में होने वाली हिंसा का यह सबसे बुरा रूप है। इस शब्द को सुनने का मतलब ही मानवता को शर्मसार करना है। आजकल यह शब्द सुनना आम बात हो गई है क्योंकि बलात्कार जैसी घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं।

अगर हम संवेदनशील हैं, तो ऐसी खबरें हमें बुरी तरह से प्रभावित करती हैं, अन्यथा यह हमारे लिए सामान्य बन जाती है। इससे यह पता चलता है कि हमारे अंदर से इंसानियत खोती जा रही है।

6 महीनों में 24,212 बलात्कार

आजकल के आंकड़े बता रहे हैं कि हम एक समाज के तौर पर कितने खोखले हो चुके हैं। देखा जाए तो यह आंकड़े हमारे पढ़े-लिखे समाज के काले सच को दर्शा रहे हैं। देशभर के हाई कोर्ट से आए आंकड़ों के अनुसार सिर्फ 6 महीनों में यानि 1 जनवरी 2019 से 30 जून 2019 के बीच भारत में बच्चियों के बलात्कार के 24,212 मामले दर्ज़ किए गए हैं। इस हिसाब से 1 महीने में 4000, एक दिन में 130 और हर 5 मिनट में एक बलात्कार की घटना दर्ज़ हुई है।

Rape
फोट साभार: Twitter

यह आंकड़े हमारे समाज के घिनौने रूप को दर्शा रहे हैं, जो अपनी घिनौनी इच्छाओं को पूरी करने के लिए उम्र की सीमाओं को भी नहीं देखते। 6 महीने की बच्ची हो या 60 साल की औरत, ऐसे लोग किसी को भी नहीं छोड़ते हैं।

पिछले दिनों कुछ शर्मसार कर देने वाली घटनाएं

राजस्थान से एक शर्मसार कर देने वाली खबर सामने आई, जहां एक 15 वर्षीय नाबालिग को 9 महीने की बच्ची के साथ रेप करने के आरोप में हिरासत में लिया गया है। पुलिस ने कहा कि पीड़ित बच्ची का हिन्दौन टाउन के एक सरकारी अस्पताल में इलाज किया जा रहा है।

कुछ ही दिन पहले दिल्ली के द्वारका सेक्टर 23 में एक छह साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म की दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई। बच्ची खून से लथपथ बेसुध हालत में रोड के किनारे झाड़ियों में मिली थी। किसी राहगीर ने उसे देखा और पुलिस को सूचना दी।

हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर एक दिव्यांग युवक द्वारा पांच साल की बच्ची से रेप का मामला भी सामने आया। पुलिस के अनुसार सीसीटीवी फुटेज में आरोपी प्लेटफॉर्म संख्या 6 पर सो रही बच्ची को उसके अभिभावक के बगल से उठाकर उसे लेकर जाता दिखा।

2015 की तुलना में 2016 में बलात्कार 12.4% बढ़े

आंकड़ों के मुताबिक हमारे देश में रोज़ 130 बलात्कार होते हैं। यह सोच कर शर्म आती है कि हम कैसे समाज में रह रहे हैं। नैश्नल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में बलात्कार के मामले 2015 की तुलना में 2016 में 12.4% बढ़े। 2016 में 38,947 बलात्कार के मामले देश में दर्ज़ हुए थे।

2019 में बस इन 6 महीनों में ही बलात्कार के 24,212 मामले दर्ज़ हुए हैं, जिनमें से 11,981 मामलों में अभी जांच चल रही है, जबकि 12,231 मामलों में पुलिस आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है। इनमें से ट्रायल सिर्फ 6449 केस का ही चल रहा है, वहीं 4871 मामलों में अभी ट्रायल शुरू ही नहीं हुआ है। ट्रायल कोर्ट ने अभी तक 911 मामलों में फैसला सुनाया है, जो कि कुल संख्या का मात्र 4% है।

यह भयावह आंकड़े देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों के यौन शोषण से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए हर ज़िले में विशेष अदालतों की स्थापना करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन अदालतों में केवल बच्चों से जुड़े यौन शोषण की सुनवाई होगी और साथ ही कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया कि 60 दिन के अंदर इन अदालतों का गठन किया जाए।

आखिर लड़कियों को दोष देना कब बंद करेगा यह समाज?

मेरा मानना है कि जब तक हम अपनी सोच नहीं सुधारेंगे, तब तक कुछ नहीं होने वाला है। दिन प्रतिदिन ऐसे मामले बढ़ते जाएंगे। जो लोग प्रशासन और न्यायालय पर उंगली उठाते हैं, उन लोगों से मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि जिस दिन से तुम लोग महिलाओं को एक वस्तु नहीं, बल्कि इंसान समझना शुरू कर दोगे उस दिन से हालात अपने आप बदल जाएंगे। पुलिस हर जगह नहीं रह सकती। 

मैं उन लोगों से भी कुछ पूछना चाहती हूं, जो लोग लड़कियों के रेप का कारण उनके छोटे कपड़े और उनके चाल-चलन को बताते हैं। आप बताओ उस 6 महीने की बच्ची के कपड़े और चाल चलन में क्या कमी थी, जो उसके साथ बलात्कार किया गया? कुछ लोग तो ऐसे भी हैं जो बोलते हैं कि लड़कियां रात में निकलेंगी तो रेप होगा ही।

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बात घुम-फिर कर लड़की पर ही आ जाती है। हमारी सबसे बड़ी कमी यही है कि हम अपनी गलती स्वीकार नहीं करते हैं। हम यह मानने को तैयार ही नहीं होते हैं कि गलती हमारे समाज की है, हमारी पितृसत्तात्मक सोच की है। क्यों लड़कियों पर ही सारी बंदिशें लगाई जाती हैं, जैसे घर से अकेले बाहर मत जाओ, यह मत करो, वह मत करो?

इसके बजाय लड़कों को क्यों नहीं समझाया जाता? उन पर यह बंदिशें क्यों नहीं लगाई जाती कि तुम घर से रात को बाहर मत जाओ क्योंकि तुम लड़कियों को प्रताड़ित करते हो? अगर हर माँ-बाप बेटियों को समझाने की बजाय अपने बेटों को समझाते, तो आज यह स्थिति नहीं होती। औरत सहनशील होती है, इसका यह मतलब नहीं कि वह मर्दों का अत्याचार सहेगी।

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