आप सोच रहे होंगे कि आज के ज़माने में पढ़े-लिखे लोग ही हमारे देश के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं लेकिन आपकी सोच गलत है। अगर आप खुद को पढ़ा-लिखा मानकर गर्व महसूस करते हैं, तो एक बार मेरी इन बातों को गौर से पढ़िएगा और सोचिएगा।
मैं रोज़ अपने बच्चों को बस स्टॉप पर छोड़ने जाती हूं। उसी समय नगर निगम के सफाई कर्मचारी, जिनमें ज़्यादातर बुज़ुर्ग महिलाएं कूड़े की गाड़ी को अपने हाथों से चलाकर रोड पर आपके द्वारा फैलाया हुआ कूड़ा एकत्र करती हैं। उस वक्त उन्हें देखकर ज़्यादातर माता-पिता उन कर्मचारियों पर चिल्लाते हैं कि वह धूल उड़ा रही हैं या बदबू वाली गाड़ी को उनके पास से ले जा रही हैं।
- ज़रा सोचिए कि पढ़े-लिखे लोग ही उन्हें घृणा की दृष्टि से देखते हैं, जो आपके शहर को साफ कर रहे हैं। क्या आपका उनके प्रति नफरत और छुआछूत का यह व्यवहार उचित है? ज़रा सोचिए।
- आप पढ़े-लिखे लोग अपने पालतू कुत्ते को सुबह-शाम रोड पर ले जाकर खुले में शौच कराते हैं, जिससे बहुत सारी बीमारियां फैलती हैं। अगर आपको जानवरों से इतना ही प्रेम है, तो आप अपने घर में ही अपने जानवरों को शौच क्यों नहीं कराते? ज़रा सोचिए जो लोग आपके जानवरों की गंदगी को अपने हाथों से साफ करते हैं, उन्हें आप एक गिलास पानी देने में ही मुंह बनाते हैं। ज़रा सोचिए क्या आप पढ़े-लिखे हैं?
- आपकी हाउस हेल्पर आपके घर को साफ-सुथरा बनाती है और झूठे बर्तन साफ करती है, जिससे आपका किचन खाना बनाने लायक होता है मगर जब उसका बच्चा बीमार होता है और वह आपसे एक हफ्ते की छुट्टी मांगती है, तो आप उसपर चिल्ला पड़ती हैं। ज़रा सोचिए कि आप पढ़े-लिखे लोग सही हैं या वह हाउस हेल्पर?
- जब भी आप पढ़े-लिखे लोगों के घरों में शादी का आयोजन या अन्य प्रोग्राम होता है, तो आप महंगे कपड़े पहनकर पूरी रात हंगामा करते हैं लेकिन आपके द्वारा फैलाई गई गंदगी को साफ करके जब कोई सफाईकर्मी अपनी मेहनत के पैसे मांगता है, तो आप उससे कहते हैं, “क्या लूट मचा रखी है?” ज़रा सोचिए क्या यह व्यवहार उचित है?
- जब भी आप पढ़े-लिखे लोग ट्रेन, बस या मेट्रो में सफर करते हैं और कोई बीमार या बुज़ुर्ग आप जैसा साफ सुथरा नहीं होता तो आप उसे ऐसे देखते हैं जैसे वह कोई गंदी चीज़ है। ज़रा सोचिए क्या लोगों का यह व्यवहार सही है?
- आपके गंदे कपड़े धोने और प्रेस करने वालों को आप नीची जाति का कहते हैं जबकि वह आपके द्वारा फैलाई गंदगी को साफ करते हैं और आपको इस काबिल बनाते हैं कि आप साफ सुथरे इंसान लग सकें लेकिन फिर भी आप उसे घृणा की नज़र से देखते हैं।
भगवान ने हम सबको सबसे पहले इंसान बनाया है, तो एक इंसान बनिए। लोगों को जाति के आधार पर मत बांटिए, क्योंकि यह लोग पढ़े-लिखे लोगों से ज़्यादा सम्मान के हकदार हैं, क्योंकि पढ़े-लिखे लोग समाज मे गंदगी फैलाते हैं मगर यह लोग गंदगी को साफ करते हैं।
- अगर आपके घर कूड़ा उठाने वाला एक दिन ना आए या आपके घर की नाली रुक जाए तो क्या आप अपने घर में रह पाएंगे?
- अगर ये लोग आपके घर का कूड़ा ना उठाए या आपके कुत्ते के शौच को साफ ना करे तो क्या आप अपने घर में रह पाएंगे?
फिर भी आप इन लोगों से नफरत करते हैं, आखिर क्यों? कोई भी काम छोटा नहीं होता। यह तो भुख और मजबूरी होती है, जो इंसान को ऐसे काम करने को मजबूर करती है। आप उसे काम के आधार पर जाति और धर्म में बांट देते हैं।
अगर आप अमेरिका में जाते हैं और चेकिंग के नाम पर आपके सारे कपड़े उतरवा लिए जाते हैं, तो आपको क्यों बुरा लगता है? क्योंकि वह लोग हम भारतीयों को दूसरे दर्ज़े का इंसान मानते हैं। जैसे आप अपने देश में जाति और छुआछूत को मानते हैं, ठीक वैसे ही विदेश में आपको लोग छोटा मानते हैं। फिर आप हल्ला क्यों मचाते हैं? पहले अपने देश के इंसानों से प्यार करना सीखिए, जो आपकी गंदगी साफ करते हैं। हाथ जोड़कर उन्हें प्रणाम कीजिए क्योंकि उनके बिना आप पढ़े-लिखे लोगोंं का कोई महत्व नहीं है। इंसान को इंसान समझिए। जाति के आधार पर लोगों से घृणा मत कीजिए। दोस्तों 21वीं सदी का यह एक कड़वा सच है। कुछ लोगोंं को मेरा यह ब्लॉग अच्छा ना लगे मगर यह एक सच्चाई है जो आपसे जुड़ी हुई है इसलिए ज़रा सोचिए।