Site icon Youth Ki Awaaz

हमारा घर और शहर साफ करने वालों को ही हम असभ्य और गंदा ठहरा देते हैं

आप सोच रहे होंगे कि आज के ज़माने में पढ़े-लिखे लोग ही हमारे देश के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं लेकिन आपकी सोच गलत है। अगर आप खुद को पढ़ा-लिखा मानकर गर्व महसूस करते हैं, तो एक बार मेरी इन बातों को गौर से पढ़िएगा और सोचिएगा।

फोटो प्रतीकात्मक है। सोर्स-Getty

मैं रोज़ अपने बच्चों को बस स्टॉप पर छोड़ने जाती हूं। उसी समय नगर निगम के सफाई कर्मचारी, जिनमें ज़्यादातर बुज़ुर्ग महिलाएं कूड़े की गाड़ी को अपने हाथों से चलाकर रोड पर आपके द्वारा फैलाया हुआ कूड़ा एकत्र करती हैं। उस वक्त उन्हें देखकर ज़्यादातर माता-पिता उन कर्मचारियों पर चिल्लाते हैं कि वह धूल उड़ा रही हैं या बदबू वाली गाड़ी को उनके पास से ले जा रही हैं।

भगवान ने हम सबको सबसे पहले इंसान बनाया है, तो एक इंसान बनिए। लोगों को जाति के आधार पर मत बांटिए, क्योंकि यह लोग पढ़े-लिखे लोगों से ज़्यादा सम्मान के हकदार हैं, क्योंकि पढ़े-लिखे लोग समाज मे गंदगी फैलाते हैं मगर यह लोग गंदगी को साफ करते हैं।

फिर भी आप इन लोगों से नफरत करते हैं, आखिर क्यों? कोई भी काम छोटा नहीं होता। यह तो भुख और मजबूरी होती है, जो इंसान को ऐसे काम करने को मजबूर करती है। आप उसे काम के आधार पर जाति और धर्म में बांट देते हैं।

अगर आप अमेरिका में जाते हैं और चेकिंग के नाम पर आपके सारे कपड़े उतरवा लिए जाते हैं, तो आपको क्यों बुरा लगता है? क्योंकि वह लोग हम भारतीयों को दूसरे दर्ज़े का इंसान मानते हैं। जैसे आप अपने देश में जाति और छुआछूत को मानते हैं, ठीक वैसे ही विदेश में आपको लोग छोटा मानते हैं। फिर आप हल्ला क्यों मचाते हैं? पहले अपने देश के इंसानों से प्यार करना सीखिए, जो आपकी गंदगी साफ करते हैं। हाथ जोड़कर उन्हें प्रणाम कीजिए क्योंकि उनके बिना आप पढ़े-लिखे लोगोंं का कोई महत्व नहीं है। इंसान को इंसान समझिए। जाति के आधार पर लोगों से घृणा मत कीजिए। दोस्तों 21वीं सदी का यह एक कड़वा सच है। कुछ लोगोंं को मेरा यह ब्लॉग अच्छा ना लगे मगर यह एक सच्चाई है जो आपसे जुड़ी हुई है इसलिए ज़रा सोचिए।

Exit mobile version