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“हिमा फक्र है तुमपर, दौड़ लगाकर ध्वज फहराया है तुमने हिंदुस्तान का”

थोड़ी अदाओं से भरी,

थोड़ी चंचल है वो।

बुलबुल सी चहकती

और चीते सी दौड़ती है वो।

 

बहती है मस्त नदी सी

जैसे झरनों में है बस्ती वो,

अरे जीता है जहान उसने

रहती है दिलों में, शूरवीर लड़की वो।

 

पहिए नहीं पैरों में,

बिजली है उसके तन में,

लड़ती गैरों से रोज़ पर

फिर भी साहस है उसके मन में।

 

वो है मिसाल, उसके लिए

उसका भारत देश खास है,

इतना मत सोचो दोस्तों,

उस बेटी का नाम “हिमा दास” है।

 

लड़ना तूफानों से हर दफा सीखा उसने,

गिर के उठना बार-बार ज़िन्दगी से सीखा उसने।

मानवता उसका कर्तव्य

और साहस का वो दूसरा नाम।

चट्टानों से मज़बूत है हौसले उसके

और निरंतर जीतना उसका काम।

 

‘वो’ जिसने बढ़ाया मान देश का

और किया काम सम्मान का,

हमें फक्र है उस बेटी पर

जिसने लगा दौड़,

ध्वज फहराया हिंदुस्तान का।

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