Site icon Youth Ki Awaaz

“क्या भारतीय राजनीति के विपक्षी दल पूर्ण रूप से ट्रंप की चाल में फंस गए हैं?”

डोनाल्ड ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप

मैंने पूर्व में भी एक लेख लिखा था, जिसमें मैंने टाईम मैगज़ीन पत्रिका में देश के प्रधानमंत्री के प्रति नकारात्मक टिप्पणी को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। उस पत्रिका के संदर्भ में मैंने अमेरिका को लेकर अपने विचार दिए थे।

अमेरिका पर टिप्पणी करता मेरा लेख

मैं इसे लेकर बिल्कुल भी अचंभित नहीं हूं। भारत के बढ़ते प्रभुत्व के आगे अमेरिका का व्याकुल होना स्वाभाविक है। अभी दो दिन पहले ही फ्रांस ने भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थायी सदस्यता देने की सार्वजनिक रूप से वकालत की थी। ऐसा ही समर्थन पिछले कुछ महीनों में रूस और जापान जैसे देशों की ओर से भी प्राप्त हुआ है। पूरे विश्व के प्रमुख देश मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के लिए भारत के समर्थन में खड़े हैं। यह सारी बातें भारत के बढ़ते प्रभुत्व को ही इंगित करती हैं।

डोनाल्ड ट्रंप और नरेन्द्र मोदी। फोटो साभार: Getty Images

इस प्रभुत्व के आगे अमेरिका की बेचैनी बढ़ना स्वाभाविक है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अक्सर भारत पर दबाव डालने का प्रयास करते हैं। कर बढ़ोतरी या ईरान से सीधे कच्चा तेल लेने का मामला हो, अमेरिका पीठ पीछे सदैव भारत को अस्थिर करने का प्रयास करता रहा है। टाईम पत्रिका के माध्यम से पूर्व में भी भारतीय प्रधानमंत्री को निशाना बनाया गया है।

पहले इस पत्रिका के माध्यम से उनकी तारीफ करना और उनको अपनी शरण में लेने का प्रयास करना अमेरिका की कुटिलता रही है। जब वह इसमें असफल रहे, तो वह भारतीय प्रधानमंत्री के प्रति नफरत फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे प्रयास इंदिरा गांधी जी के समय भी हुए थे। जब भारत शिखरता की ओर अग्रसर था तब भी अमेरिका को यह खटक रहा था और आज भी जब भारत का प्रभुत्व पूरे विश्व में गूंज रहा है तो अमेरिका का चिंतित होना लाज़िमी है।”

ट्रंप का हालिया बयान अमेरिका की चाल

मेरा यह वक्तव्य आज भी सटीक बैठता है। अमेरिका कभी नहीं चाहता कि भारत आतंकवाद के दंश से निकलकर विश्व शक्ति के रूप में संपूर्ण विश्व का प्रतिनिधित्व करे। वह यह कभी नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान से शुरू हुआ वर्षो का विवाद थम जाए। वह सदैव पाकिस्तान के नफरत को हवा दिए जाने का प्रयास करता रहा है। कभी उसने पीछे से आकर पूर्ण सहयोग दिया है तो कभी उसने सामने से आकर दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने का प्रस्ताव रखा है। विचारणीय यह है कि जो अमेरिका इतने वर्षों में ईरान से चली आ रही लड़ाई नहीं निपटा सका, वह भारत और पाकिस्तान के बीच क्या मध्यस्थता करेगा।

डोनाल्ड ट्रंप। फोटो साभार: Getty Images

गत दिवस ट्रंप ने यह बयान दिया है कि नरेंद्र मोदी ने कश्मीर मसले पर अमेरिका से मध्यस्थता किए जाने की अपील की है। बयान देने से पूर्व उनको यह ध्यान रखना चाहिए था कि गत वर्षो में यूएनओ की बैठकों में निवर्तमान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जी पूरे आत्मविश्वास से कहती रही हैं कि कश्मीर भारत का महत्वपूर्ण अंग है और इस मसले पर हम किसी भी देश की मध्यस्थता का समर्थन व हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करेंगे।

भारतीय राजनीति के विपक्षी दल पूर्ण रूप से ट्रंप की चाल में फंस गए हैं। ट्रंप भारत को पुनः कश्मीर विषय पर उलझाने में सफल होते दिखाई दे रहे हैं। यह समय बताएगा कि भारतीय प्रधानमंत्री इस संदर्भ में अपना क्या रुख रखते हैं मगर संसद में आज विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपना मत पूर्व की भांति स्पष्ट कर दिया है। आशा है कि विपक्ष इस संदर्भ में सरकार के साथ मज़बूती से खड़ा होकर एकता का परिचय अवश्य देगा।

Exit mobile version