Site icon Youth Ki Awaaz

“जब मोहब्बत और मर्ज़ी की वर्कशॉप एक मज़ेदार पार्टी में तब्दील हो गई”

वर्कशॉप

वर्कशॉप

उमंग सबरवाल द्वारा कुछ हफ्ते पहले जवान लड़कियों के एक समूह से मोहब्बत, मर्ज़ी, रिश्ते और दिल टूटने जैसे विषयों पर चर्चा करने के लिए हम मुंबई से करीब दो घंटे की दूरी पर स्थित एक छोटे से गाँव टिटवाला गए। जब हम वहां पहुंचे तो हमारे सामने एक चुनौती थी।

वर्कशॉप एक बड़े कमरे में आयोजित की जा रही थी, जहां स्क्रीन और गद्दे लगे हुए थे। सारी लड़कियां  दिनभर की गतिविधियों के बाद सुस्त और आगे किसी कार्य में भाग लेने के लिए अनिच्छुक थीं। वह आराम के लिए गद्दों का सहारा लेते हुए दीवारों से टेक लेकर बैठी हुई थी। हम जानते थे कि उनका ध्यान आकर्षित करना कठिन होगा।

ज़्यादातर लड़कियों का झपकी लेने का इरादा था

प्रतिभागियों में श्रीमती पी. एन. दोशी, महिला कॉलेज की एन.एस.एस. (राष्ट्रीय सेवा योजना) यूनिट से 18 से 21 वर्ष की उम्र की लगभग 200 छात्राएं शामिल थीं। सब हफ्ते भर चलने वाली सेवा शिविर में शामिल थे और वहां के स्थानीय सरकारी स्कूल की दीवारों पर चित्रकारी कर रहे थे तथा नदी के किनारे पेड़ लगा रहे थे।

हमें लगा कि हमारा वर्कशॉप उन्हें रोज़ के काम से कुछ राहत देगा मगर जब हम वहां पहुंचे तो हम समझ गए कि ज़्यादातर लड़कियों का झपकी लेने का इरादा था।

यौन संबंध के चर्चों पर कौन नहीं जागता है?

हमें बाद में पता चला कि ऐसा इसलिए था क्योंकि आमतौर पर दोपहर बाद उनसे वह बातें बिल्कुल नहीं की जाती थी, जो वाकई उनके लिए मायने रखती थी। लड़कियों ने हमें बताया कि ज़्यादातर उनसे बात करने के बजाय उन्हें लेक्चर दिए जाते थे। प्रतिभागियों में से एक ने हमें बाद में बताया, “ज़्यादातर लोग आते हैं और हमें इस पर भाषण देते हैं और हम सच में ऊब जाते हैं। यह पहली बार हुआ है कि कोई हमारे पास आया है और इन सभी चीज़ों के बारे में हमसे बात की है।”

फोटो साभार: pixabay

उनकी शुरुआती हिचकिचाहट के बावजूद कमरा जल्द ही हंसी, गीत, नाच और नयी ऊर्जा के साथ गूंज रहा था। जिसने हम सभी को बदल दिया क्योंकि जब मोहब्बत, यौन-सम्बन्ध और वासना पर ईमानदारी, बिना किसी आलोचना और बिना किसी निर्धारित निष्कर्ष के चर्चा करने की बात आती है तो कौन नहीं जागता है?

शादी का ताम-झाम

हमने वर्कशॉप की शुरुआत एक ऐसे सवाल से की जिससे भारत के सभी युवा वर्ग को सामना करना पड़ता है। काफी कुछ कहना भी है, “क्या आपका शादी करने का प्लान है? क्या आप प्रेम-विवाह करना चाहेंगे या फिर सुसंगत विवाह?”

कुछ लड़कियां बिना कुछ कहे सिर्फ शरमाते हुए मुस्कुरा रही थीं और कुछ ने बताया कि वे प्रेम-विवाह करेंगी। जबकि कुछ ने कहा कि वे सुसंगत विवाह करना पसंद करेंगी।

हमने पूछा, “प्रेम-विवाह क्यों? इसपर जवाब आया कि प्रेम के बगैर शादी करना तो थोड़ा लोभी-सा लगता है। एक सुसंगत विवाह में आप देखते हैं कि वह व्यक्ति कितना धनवान है? वह करता क्या है और उसकी जाति क्या है और इसी आधार पर उसे चुनते हैं।

यह जवाब एक ऐसी लड़की का था जिसके लिए प्रेम-विवाह ऐसी छोटी सोच का विरोध करने का एक तरीका है। एक और विचार यह था कि प्रेम विवाह अनुकूलता सुनिश्चित करता है।

कोने में सोए लोग भी दिलचस्पी दिखा रहे थे

कुछ लड़कियों ने कहा कि सुसंगत विवाह में स्थिरता और सुरक्षा है। कुछ लोगों ने कहा कि प्यार में डूबे लोगों को अंत में घर छोड़कर भागना पड़ता है और इससे काफी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। हमने थोड़ा और निजी होने का फैसला किया। हमने पूछा, “आपने कभी प्यार किया है?” यह पूछने भर की देरी थी कि हवा गर्म-सी हो गई और माहौल बदल गया।

फोटो साभार: pixabay

दुविधा से भरी मुस्कान और संकोच से भरी नज़रें कमरे भर में थी। कोने में सोने की कोशिश कर रहे लोग भी दिलचस्पी दिखा रहे थे। वह उत्सुक थे कि दूसरे लोग अब क्या कहने वाले हैं। कुछ हाथ ऊपर उठे और कुछ ने अपने दोस्तों को हाथ उठाने के लिए कोहनी मारी। कुछ ने अपने दोस्तों के लिए हाथ उठाया। हम वर्कशॉप के सहायक भी उनकी मदद करने के लिए अपने हाथ उठाने लगे।

कोई प्यार में था तो उसने सेक्स के बारे में सोचा होगा?

पहले हमने अपना एक हाथ उठाया फिर दूसरा, फिर बारी-बारी से दोनों हाथों को उठाया। हम सब हंस रहे थे अगर हर कोई प्यार में था तब तो उन्होंने सेक्स के बारे में भी सोचा ही होगा? हमने पूछा, “तो बताओ क्या सोचा? क्या सेक्स करना ठीक था?” उन्होंने एक-दूसरे को घबराकर देखा।

उन्होंने कहा कि सेक्स ऐसा कुछ है जो एक व्यक्ति को खुशी देता है। हमने गौर किया कि लड़कियां एक दूसरे के प्रति आलोचनात्मक नहीं थीं कि किसने कैसे, किसके साथ और कब सेक्स (जैसे विवाह से पहले या केवल विवाह के बाद) किया लेकिन साथ ही यह भी गौर किया कि लड़कियां दूसरों के बारे में एक मोटे तौर पर यूं भी कह रही थी कि क्या होना चाहिए और क्या नहीं।

जब बात उनके खुद पर आई तो वे औपचारिक हो गईं। जैसे वे बड़ी दूर से अपने बारे में बात कर रही थी। कुछ ने कहा कि जब अपने पर बात आती है तब  मर्यादाओं और सीमाओं का माप अलग होता है। आप औरों के लिए उदारता से सोच सकते हैं।

आपसी बातचीत यौन संबंध का महत्वपूर्ण हिस्सा

एक प्रतिभागी पिछली रात ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्खा’ नाम की फिल्म के कई मुख्य पात्रों में से एक के बारे में अपनी भावनाएं व्यक्त करने लगी। उसने महसूस किया कि फिल्म में वह महिला सेक्स कर रही थी लेकिन ऐसा कुछ नहीं था जिसमें उसकी इच्छा या खुशी शामिल थी।

पति उसे अपनी शारीरिक सुख के लिए इस्तेमाल कर रहा था और वह गलत था। छात्रों में यह पक्का विश्वास था कि आपसी बातचीत शारीरिक सम्बन्ध का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा था और यह भी कि बलात्कार और यौन सम्बन्ध दो अलग-अलग चीज़ें थीं।

सेक्स की प्रक्रिया से हम वाकिफ नहीं हैं

जीव विज्ञान से पहले और उसके बाद कई वर्गों, कार्यशालाओं, सम्मेलनों और प्रोजेक्ट में जो कामुकता से संबंधित होती हैं, उनपर वास्तव में सेक्स पर कोई भी चर्चा नहीं करता है। हम पॉर्न वीडियो के अवास्तविक सेक्स की आलोचना करते हैं लेकिन असलियत में हम खुद सेक्स की प्रक्रिया के विषय को छूते भी नहीं हैं।

हमने जवाब इकट्ठा करने की कोशिश की

मुझे लगता है कि हम इश्क के एजेंट्स ऐसे ही तो नहीं बने हैं इसलिए हमने उनसे सेक्स के बारे में पूछ लिया। शुरुआती उत्तर जो हमें प्राप्त हुए, वे काफी संक्षिप्त थे। सबसे सामने बैठी लड़कियों ने इसका बहुत मूलभूत जवाब दिया। शायद कर्त्तव्य की इस भावना में कि वह अपने ग्रुप का प्रतिनिधित्व कर रही हैं और उनके ग्रुप को हमारे हर सवाल का जवाब देना चाहिए।

फोटो साभार: एजेन्ट्स ऑफ इश्क

चूंकि सब वहां बैठे हुए थे इसलिए हमने जवाब इकट्ठा करने के लिए चारों ओर घूमने की कोशिश की तब कुछ और दिलचस्प बातें मिली। खासकर तब जब हमने आमतौर पर चुपचाप बैठी लड़कियों की बात सुनने की कोशिश की। हमने पाया कि छात्रों को काफी हद तक विषमलैंगिक यानि, योनि में लिंग सेक्स की मूलभूत बातें पता थी।

जीव विज्ञान का अध्ययन करने वाले विवरण देने में सक्षम थे

कुछ जो शायद जीव विज्ञान का अध्ययन कर रहे थे वह “फैलोपियन ट्यूब” और “गर्भाशय” जैसे शब्दों का उपयोग करके इसका अधिक स्पष्ट रूप से विवरण देने में सक्षम थे।

कुछ ने स्वीकार किया कि वह सेक्स और बच्चे पैदा करने की सही प्रक्रिया के बारे में पूरी तरह से निश्चित नहीं हैं इसलिए हमने स्नेहा के सहयोग से एजेंटस ऑफ इश्क द्वारा बनाया गया धमाकेदार बंबइया इश्टाइल का वीडियो “मैं और मेरी बॉडी” चला दिया।

उस वीडियो बताया गया था कि शरीर की संरचना कैसे होती है? बच्चे कैसे होते हैं? लिंग कैसे निर्धारित होता है? आकर्षण कैसे होता है और युवावस्था क्या है?

वीडियो फेरोमोन का ज़िक्र था

मज़ेदार संगीत और एनीमेशन ने कमरे की ऊर्जा को पूरी तरह से बदल दिया। लड़कियां हंस रही थीं और साथ गाने की भी कोशिश कर रही थीं। वीडियो में फेरोमोन (शरीर से ऐसी रासायनिक द्रव्य का स्त्राव जिस से विपरीत लिंगों में आकर्षण पैदा होता है) का ज़िक्र था, जिसके बाद हमने फेरोमोन और आकर्षण के बारे में विस्तार से बातचीत करने की कोशिश की।

अलैंगिकता इश्क के विस्तार का भाग

हमने पूछा कि क्या उनमें से कोई किसी के साथ संबंध में था? हमें इसके कई अलग-अलग जवाब मिले। कुछ लोगों ने हां कहा और कुछ ने ना कहा। एक प्रतिभागी ने तो ज़ोर से कहा कि उसने कभी प्यार महसूस नहीं किया और ना ही किसी रिश्ते में रहीं। हमने अलैंगिकता के बारे में बात की क्योंकि वह भी इश्क के इस विस्तार का एक हिस्सा है।

हमने आकर्षण के भाव पर बात की। ऐसी अनुभूति जो हमें तब महसूस होती है जब हम किसी को पसंद करते हैं। इसपर लड़कियों ने सिर हिलाते हुए अपनी स्वीकृति दी।

एक लड़की ने अपनी दोस्त की तरफ इशारा करते हुए कहा, “वह घंटों तक फोन पर बात करती है।” इतना कहते ही लड़कियों ने एक श्रृंखला में अपने दोस्तों की तरफ इशारा करते हुए उनको चिढ़ाना शुरू कर दिया। कुछ लड़कियां शर्मा गईं और अपने दोस्तों को चुप कराने लगीं जबकि कुछ लड़कियां बस हंसने लगीं।

हमारी चर्चा पारंपरिक सेक्स पर हो रही थी

“मैं और मेरी बॉडी” तक तो सब ठीक-ठाक ही भाग ले रहे थे लेकिन हमारी चर्चा अभी भी पारंपरिक सेक्स के क्षेत्र में ही हो पा रही थी। जब हमने ‘एजेंट्स ऑफ इश्क’ का पॉडकास्ट चलाया तो सब कुछ बदल गया। अचानक सभी लड़कियां आंखें फाड़कर उठ बैठी और विषय में अपनी रुचि दिखाने लगीं। क्यों? पॉडकास्ट “लवज़ोन फ्रेंडज़ोन” में 19 वर्षीय लुब्ना बताती हैं कि कैसे वह किसी और लड़की से डेटिंग कर रहे लड़के से प्यार कर बैठती हैं।

वह उस लड़के को किस करने पर हो रहे पछतावे की बात करती है। वह बताती है कि उसने उसे अपनी माँ से भी ज़्यादा प्यार किया था और कैसे उस लड़के ने उसे छोड़ दिया क्योंकि वह मराठी नहीं थी।

वैसी वाली भावनाएं?

लुब्ना ने बताया कि वह इसपर कितना रोई थी और उसे कोई भी भावनात्मक गीत सुनने पर उस लड़के की कितनी याद आती थी लेकिन अब वह एक दूसरे लड़के को पसंद करती है, जो उसे “वैसी वाली भावनाएं” देता है। लड़कियां जो तब तक अपने आप में ही लगातार बात कर रही थी, उन्होंने पूरे ध्यान के साथ पॉडकास्ट को सुना और साथ में गाया भी। हमने जब उनसे पूछा, “क्या उन्हें लगता है कि असल ज़िंदगी में यह कहानी संभव है?” उन्होंने एक आवाज़ में हामी भरी।

फोटो साभार: pixabay

उनमें से कई इसे जाति और समुदाय की जटिलताओं और परेशानी के साथ जोड़ रहे थे और इस बात का समर्थन कर रहे थे कि लुब्ना इस घटना को भुलाकर अब किसी और के साथ थी। उस समय लड़कियों ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों को बांटना शुरू किया जो पॉडकास्ट की कहानी से संबंधित थे। जैसे- “एक लड़के ने मेरे साथ भी ऐसा ही किया था लेकिन अब मुझे भी कोई और पसंद है।”

लड़कियों के व्यक्तिगत अनुभव सुनने से बातें आगे बढ़ी

मेरे लिए वह शुरुआती संकोच समाप्त हो जाने के बाद उन्हें अपने अनुभव बांटते देखना बहुत उत्साहजनक लगा। शायद यह अन्य लोगों की कहानियों और व्यक्तिगत अनुभवों को सुनने से हुआ था कि इन लड़कियों का स्विच भी ऑन हो गया।

एक दूसरे की कहानियों से संबंध रखने वाली लड़कियां अपने अनुभव बताने के लिए आगे आने लगी और इस तरह लड़कियों के भाग लेने पर एक मिलने-बांटने का माहौल बन गया था। उनके अंदर यह रुचि अपने जैसे लोगों के अनुभवों के बारे में सुनने से आ रही थी।

रिश्ता टूटने का कारण दूसरी जाति का होना

एक प्रतिभागी ने बताया कि उसका रिश्ता इसलिए टूटा क्योंकि उसका साथी दूसरी जाति का था। हालांकि वह अपने माता-पिता को उससे शादी करने के लिए मनाने में सक्षम थी लेकिन शादी के बाद उससे यह उम्मीद की जा रही थी कि वह घूंघट पहने। किसी भी तरह की आज़ादी की अनुमति नहीं थी।

उसने लड़के और उसके परिवार के साथ इन शर्तों पर बातचीत करने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माने  इसलिए उसने इस रिश्ते को तोड़ने का फैसला किया। हालांकि वह उससे बहुत प्यार करती थी।

जाति या वित्तीय स्थिति में मतभेदों के कारण ब्रेकअप होना उन लड़कियों के बीच एक आम अनुभव प्रतीत हो रहा था। अधिकांश प्रतिभागियों ने महसूस किया कि आप जिस व्यक्ति से प्यार करते हैं, अगर वह ही आपको छोटा महसूस कराता है तो वह आपके लायक नहीं हैं।

प्यार से परिवार को दुःख हो तो क्या प्यार करना चाहेंगे?

एक और लोकप्रिय भावना यह थी कि अपने प्यार के लिए अगर आपको कुछ ऐसा करना पड़े जिससे आपके परिवार को दु:ख पहुंचे तो क्या आपको वह काम करना चाहिए?

इस सवाल पर सबके विचार अलग थे। हर कोई परिवार को प्राथमिकता देने की बात से सहमत नहीं था लेकिन इस बात से सहमत ज़रूर था कि किसी से प्यार करना तो अच्छी बात है लेकिन हमें हमेशा अपने आप से थोड़ा ज़्यादा प्यार करना चाहिए।

फोटो साभार: pixabay

वह लड़की जिसने अपने प्रेमी को छोड़ने वाली कहानी बताई थी, जिसके परिवार ने उससे घूंघट में रहने की उम्मीद की थी। वह इस बात का एक बड़ा उदाहरण थी। जब वह बात कर रही थी तब उसे अपने सपनों और महत्वाकांक्षाओं पर चर्चा करते देखना प्रभावपूर्ण था।

उसकी यह समझ कि लड़के के परिवार में रहने के लिए उसे अपने सपनों को छोड़ना पड़ता और उसकी खुद को इन सबके ऊपर रखने की भावना। किसी को अपने प्रेमी की अनुचित उम्मीदों के मुकाबले अपने सपने चुनते देखना हम सब के लिए सीख जैसा था।

कार्यशाला में यह एक महत्वपूर्ण पल था जब उस लड़की ने खुलकर अपने अनुभव बांटे तो अन्य लड़कियां भी अपनी कहानियां बांटने के लिए प्रोत्साहित हुईं।

कायनात का रोमांसनामा

डांस पार्टी ‘लवज़ोन फ्रेंडज़ोन’ पॉडकास्ट के बाद हवा में एक बिजली-सी दौड़ गई। ऐसा लगा कि हमारा सत्र कार्यशाला की बजाय एक पार्टी में परिवर्तित हो गया था। हमने ‘कायनात का रोमांसनामा’ भी चलाया। इस पॉडकास्ट में एक युवा लड़की कायनात‌ अपनी रोमांचक कहानी के बारे में बताती है, जो उसके प्रेमी पर खत्म नहीं होती है।

वह बताती है कि किस तरह उसके प्रेमी ने आखिरकार किसी और से शादी कर ली लेकिन वह इस बात से आज भी खुश है कि वह उस प्यार को अनुभव कर पाई। पॉडकास्ट में सभी लोग पूरी तरह से शामिल थे। इतने उत्साहजनक रूप से कि वह रुकना ही नहीं चाहते थे और नए पॉडकास्ट की शुरुआत उनके इस हलचल में डूब-सी गई। यह सब कुछ मिनटों तक चलता रहा।

आखिरकार जब वे शांत हुए तो हमने उनसे पूछा कि उस पॉडकास्ट से उन्हें कैसा महसूस हुआ? कई ने कहा कि उन्हें लगा कि कायनात ने सही किया। उसने अपने माता-पिता के बारे में सोचा और खुद को चुना, खुद को ऊपर रखा।

क्या संबंधो में अस्वीकृति से कोई आगे बढ़ सकता है?

हमने अस्वीकृति के बारे में कुछ और बात की और इस विचार को पेश किया कि कोई भी व्यक्ति संबंधों में मिली अस्वीकृति से उसी तरह आगे बढ़ सकता है, जैसे कि हम अक्सर किसी और सपने या उम्मीद के पूरा ना हो पाने पर आगे बढ़ जाते हैं।

तब हमने लड़कियों से पूछा कि क्या वे कभी ऐसी परिस्थिति में आई हैं, जहां वे अपनी भावनाओं के बारे में निश्चित नहीं रही हैं? क्या उन्होंने कभी किसी ऐसी चीज़ के लिए हां कहा है, जिसके लिए वे तैयार नहीं थीं। जिसे कई ने स्वीकार किया।

मर्ज़ी की वादियों में इश्क की बातें

हमें एजेंट्स ऑफ इश्क के लोकप्रिय गाने वाले वीडियो “द अमौरोस एडवेंचर्स ऑफ शक्कू एंड मेघा इन द वैली ऑफ कंसेंट” यानि मर्ज़ी की वादियों में शक्कू और मेघा के जोखिम चलाने का मौका मिला। इस वीडियो में दो लावणी डांसर सहमति की बारीकियों के बारे में सोचती हैं। चूंकि वीडियो मराठी में था इसलिए हमने महसूस किया कि हमें हमारी बात पहुंचाने में काफी हद तक मदद मिली।

उन्होंने ज़ोर से चीयर किया जब वीडियो में किसी व्यक्ति के प्रस्ताव पर शककू ने प्रतिक्रिया में हां या नहीं ना कहकर “शायद” कहा। वह लड़का कहता है, “बेशक, मैं तुम्हारे लिए इंतज़ार कर सकता हूं।”

अंतरंग बातों से आनंद फैल गया

लड़कियां अभी भी पार्टी के मूड में थी। हम कार्यशाला की शुरुआत से तब तक में एक स्पष्ट बदलाव देख रहे थे। जब प्रेम, लिंग और रोमांस के बारे में बात करना या उसमें रूचि दिखाना एक धीमी गति से बढ़ते हुए अब काफी हद तक मज़ेदार हो चुका था। सबको गले लगाता, आनंद फैलाता हुआ।

कुछ लड़कियों ने एक-एक करके हमसे अपनी दुविधाएं बांटी। हमसे बात करने वाली ज़्यादातर लड़कियां कॉलेज के तुरंत बाद या फिर कुछ सालों में शादी करने वाली थी फिर भी उन्होंने अपनी शिक्षा और अपने करियर सम्बन्धित महत्वाकांक्षाओं को महत्व दिया था। 

फोटो साभार: pixabay

कुछ लड़कियां यह कहने लगी कि इस प्रयोगशाला में उन्हें बात करने का मौका मिला और हमेशा की तरह ऐसे विषयों पर लेक्चर नहीं सुनने पड़े। जिनमें उनकी कोई रुचि नहीं थी। इस कार्यशाला में वे उन मुद्दों पर बात कर पाईं जो उनके दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।

उन्होंने बताया कि आम तौर पर रोज़मर्रा की बातचीत में यह मुद्दे नहीं उठाए जाते हैं। यह कार्यशाला सिर्फ उन लड़कियों के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे लिए भी कभी ना भूल पाने वाला अनुभव था‌, जिसमें हमने खुद भी बहुत कुछ सीखा।

अनुभव से शर्म के पर्दे हटते गए

घर लौटते समय हम पूरे दिन की चर्चा कर रहे थे। अक्सर हम सभी इच्छाओं, प्रेम और दिल टूटने के बारे में ऐसे सोचते हैं। जैसे- वह सीखने-समझने की चीज़ों के अनुक्रम में बहुत नीचे हैं, जबकि वास्तव में वह युवा लोगों के जीवन का अहम हिस्सा है।

सेक्स की इच्छा मान्यता, प्रेम, लगाव और अंतरंगता की इच्छा के साथ मिली बंधी होती है। हमें यह स्वीकार करने की आवश्यकता है कि यह भावनाएं और अनुभव मान्य हैं और शायद बहुत आम भी हैं। लड़कियों के अनुभव में शर्म के परदे को हटाने से उन्हें कार्यशाला के मुद्दों पर खुलकर भाग लेने का प्रोत्साहन मिला।

शायद उस दिन का उत्साह और गर्मजोशी भरी विदाई अपने आप में इस बात का प्रमाण थी कि हमारी वर्कशॉप कामयाब रही और हमें यह भी बताया गया कि यह पहली कार्यशाला थी जिसमें लड़कियां सोई नहीं।

हम उम्मीद करते हैं कि हम ऐसे और कार्यक्रम आयोजित कर सकें जो दोनों पक्षों के लिए उपयोगी हो और सबकी आंखें खोल दें। विशेष रूप से ऐसी वर्कशॉप जिसमें डांस भी शामिल हो।

Exit mobile version