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क्या नशा मुक्ति केन्द्रों तक ड्रग एडिक्ट्स की पहुंच सहज है?

नशा मुक्ति केन्द्र

नशा मुक्ति केन्द्र

नशे से होने वाले दुष्परिणामों से शायद हर व्यक्ति वाकिफ होगा। हम सभी जानते हैं कि नशे की लत चाहे शराब, गांजा, ड्रग्स या किसी भी मादक पदार्थ की हो, सभी किसी ना किसी प्रकार से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ही हैं। हम सब इस बात को अच्छी तरह जानते हैं और उतनी ही सरलता के साथ नज़रअंदाज़ भी करते हैं।

मादक पदार्थों की बढ़ती खपत और प्रचलन राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि वैश्विक बनती जा रही है। इस समस्या की रोकथाम और निराकरण के लिए कभी हम सरकार के लचर रवैये पर आरोप लगाते हैं, जो कि पूरी तरह से ठीक नहीं है। इसके अनेक कारण हैं, कुछ लोग कानून व्यवस्था को कठोर करने का उपदेश देते हैं, इस बात से अंजान कि कानून के नियम और प्रावधान पहले से ही पर्याप्त हैं मगर उनको प्रभावी बनाने के लिए जनता का सहयोग बहुत ज़रूरी है।

मैंने खुद यह बात देखी है कि हमारे शहर भोपाल में जब भी पुलिस कोई चेकिंग अभियान चलाती है, तो हम पुलिस पर आम जनता को परेशान करने का आरोप लगाते हैं जबकि हमें इस विषय में प्रशासन का सहयोग करना चाहिए, क्योंकि इससे ड्रग पेडलिंग पर लगाम लगेगी और शराब के नशे में वाहन चलाने वालों को उचित सज़ा मिलेगी।

फिल्में नहीं हैं नशे के लिए ज़िम्मेदार

इस समस्या के लिए हम पश्चिमी सभ्यता के असर और फिल्मों पर आरोप लगाते हैं, जो बेकार की बातें हैं। हमारे देश की फिल्में हमारे ही समाज का आईना हैं। दरअसल, युवाओं में केवल जागरूकता के स्तर और उनके रवैये के प्रति बदलाव की आवश्यकता है।

मैं खासतौर पर हिंदी बोले जाने वाले राज्यों की बात करूंगा जहां सबसे बड़ा कारण यहां के रहवासियों का नज़रिया और इस विषय के प्रति गंभीरता का है। हममें से ज़्यादातर लोगों की आदत यह है कि जब तक हमारा कोई करीबी या परिवार वाला इसकी चपेट में नहीं आता, तब तक हम कभी इस विषय पर जानकारी लेने में कोई दिलचस्पी नहीं रखते।

फोटो साभार: Getty Images

मेरे शहर में नशा मुक्ति पुनर्वास केंद्र में उपचार के लिए हर उम्र का व्यक्ति आता है। यहां नशा मुक्ति पुनर्वास केंद्र के प्रबंधन की प्राथमिकता यह होती है कि मरीज़ की मादक पदार्थ पर निर्भरता खत्म की जाए और उसे शारीरिक रूप से स्वस्थ किया जाए। उसके बाद उपचार की पूरी प्रक्रिया उसकी नशे के प्रति मानसिकता बदलने पर केंद्रित होती है। नशा मुक्ति केंद्र के उपचार का ज़ोर, इच्छाशक्ति को बढ़ाने पर होता है। किसी भी व्यक्ति की नशे से स्थाई दूरी के लिए उसका नशे के प्रति मानसिक परिवर्तन ज़िम्मेदार होता है।

जवान लोग ही ज़्यादा आते हैं नशे की चपेट में

ज़्यादातर लोग नशे की चपेट में युवावस्था में आते हैं इसलिए अगर किसी भी नशे की शुरुआत में ही नशा मुक्ति पुनर्वास केंद्र की सहायता ली जाए, तो यह सर्वोत्तम रहता है क्योंकि सबसे पहले शरीर इससे होने वाली स्वास्थ्य हानि से बच जाता है। उस पर खर्च होने वाले समय और पैसे दोनों की बचत होती है। हमें नशा मुक्ति केन्द्रों तक अपनी पहुंच सहज बनानी होगी। दूसरा यह कि कम उम्र में नशे के प्रति दृष्टिकोण बदलने की संभावना ज़्यादा होती है।

इसके अलावा यह संस्थाएं नशे के प्रति जागरूकता कार्यक्रम चलाती हैं जिसके बल पर आमजन अलग-अलग नशे के लक्षण व उससे बचने के तरीकों की जानकारी ले सकते हैं। नशे की बुराई से लड़ने के लिए हमें सबसे पहले अपना नज़रिया बदलना होगा क्योंकि यह समस्या हम सभी के घरों पर दस्तक दे रही है और हम इसके अनेक पहलुओं से जब तक अनजान रहेंगे, यह समस्या बनी रहेगी। हम सभी को इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि नशे से लड़ने की कुंजी इसके प्रति जागरूकता है। हमें इसके बारे में संस्थाएं नि:शुल्क जानकारी प्रदान करती हैं।

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