मुज़फ्फरपुर में बच्चों की मौत पर पूरा भारत दहल गया है। उन गरीब परिवारों के बच्चों की हत्या के ज़िम्मेदार कौन हैं? लोकसभा चुनाव में भाजपा नेता अजय निषाद को 4 लाख से ज़्यादा वोटों से वहां की जनता ने जिताया है। तो क्या इस जन-समर्थन का यही पारिश्रमिक जनता को मिलेगा?
यह सभी लोग मौन क्यों हैं? बिहार से ही स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्वनी कुमार चौबे हैं। मुझे याद है जब वह दिल्ली में शपथ ग्रहण के दौरान शपथ पढ़ रहे थे, तब वह बोल रहे थे कि मैं संघ के राज्यमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्राद्ध पूर्वक शुद्ध अंतः करण से निर्वहन करूंगा।
तो क्या अश्वनी कुमार चौबे अपना काम शुद्ध अंतः करण से कर रहे हैं? यदि वैसी बात है तो अस्पताल में बच्चों के इलाज के दौरान क्यों लापरवाही की जाती है? स्लाइन की बोतल स्टैंड पर लटकने की बजाय हाथों में क्यों लटक रही हैं?
क्या अश्वनी कुमार चौबे भी बीमार हो गए हैं? क्या उनकी व्यवस्था बीमार हो चुकी है? बिहार से 4 बड़े बड़े मंत्री हैं। क्या मंत्री नित्यानंद राय भी बीमार हो चुके हैं या अभी केदारनाथ के दर्शन के लिए गए हैं? अगर वह नहीं गए हैं, तो कहां हैं?
क्या बिहार के बेगूसराय के हिन्दू ह्रदय सम्राट मंत्री गिरिराज सिंह भी केदारनाथ गए हैं? कितनी बार वह मुज़फ्फरपुर गए हैं? नहीं गए हैं तो क्यों नहीं गए हैं? अगर वह घर में किसी की शादी में व्यस्त हैं, तो उन्हें मंत्री पद छोड़कर दूसरा धंधा शुरू कर लेना चाहिए।
रामविलास पासवान कहा हैं? क्या वह अपने परिवार के साथ विदेशी दौरे पर गए हैं? यदि नहीं गए हैं तो कहां विलुप्त हो गए हैं? क्या भारत में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री भी युद्ध अभ्यास के लिए सेना के साथ अंतरिक्ष में जाने की तैयारी कर रहे हैं? अगर वह अंतरिक्ष जाना चाहते हैं, तो चले जाएं लेकिन उससे पहले मुज़फ्फरपुर जाकर समस्या को समझने की कोशिश तो करें। अगर वह मुज़फ्फरपुर नही जाना चाहते तो नैतिकता के आधार पर मंत्री पद से इस्तीफा दे दें।
क्या यह मामला बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नहीं संभाला जा रहा हैं? यदि ऐसी बात है तो राज्यपाल को सूचित करते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाए। देश का भविष्य अस्पतालों में तड़पकर मर रहा है और ऐसी स्थिति में सत्ता और विपक्ष के नेता गुलछर्रे उड़ा रहे हैं।
जिन बच्चों की मौत हुई है, वे सभी दलित और मुसहर समुदाय से हैं। क्या दलित और मुसहर इस देश के नागरिक नही हैं? यदि हैं तो उनकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा?
हम गाना गाते हैं, “इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के।” यह गीत सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है मगर इस देश में बच्चे ही नहीं बचेंगे तो कौन संभालेगा इस देश को?
अब इस गाने को बदल देना चाहिए। इसे इस तरह से गाना चाहिए, इस देश को रखना मेरे बुढ्ढों संभाल के।” हमारे प्यारे #मोदी जी देश के विकास के लिए विदेश गए हैं और यहां विनाश हो रहा है। क्या वह एक बार भी फोन पर मुज़फ्फरपुर के हालात को जानने का प्रयास किए हैं?
अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया है, तो वापस देश आकर केदारनाथ ही चले जाएं। वहां का मौसम भी शानदार है जहां वह अपनी उस पुरानी गुफा में ध्यान भी लगा पाएंगे। उस गुफा में एक नया हेंगर है। वहां पर वह कुछ टांग सकते हैं।
आप मुज़फ्फरपुर के बारे में पढ़िए। वहां की स्थिति और परिवार के दर्द को समझिए। आप सोचिए कि आपके घर में कोई बच्चा दवाई और इलाज के कारण मर जाता है, तो कैसा लगता है।
अगर आप नहीं सोच पा रहे हैं तो आप जाहिल हैं, जैसे मैं था। सरकार यदि सो रही है तो पिपरमिंट की खेती का सीज़न चल रहा है, उनकी आखों में पिपरमिंट का तेल डालकर जगाइए। अगर फिर भी नहीं जग रहे हैं, तो अगली बार फिर से 300 से ज़्यादा सीटों से जिताइए।