माँ जब मैं छोटी थी तो आप कहती थीं, “बेटा जब कोई गलत तरीके से टच करे तो ज़ोर से हल्ला मचाना, चुप मत रहना”। आपने ही मुझे गुड टच और बैड टच के बारे में सिखाया था और एनीमेटेड फिल्में दिखाई थीं, जिसमें अपने आपको कैसे सुरक्षित रखा जाए यह बताया गया था। जब मैं छोटी थी तो स्कूल जाते वक्त आप ही मुझे बताती थीं कि बस वाले अंकल और स्कूल में कोई भी आदमी तुम्हें छुए तो तुम मुझे आकर बताना, चुप मत रहना। मेरी बेटी निडर बनना, तुम कमज़ोर नहीं हो। ज़ोर से चिल्लाना और हल्ला मचाना।
कितनी कविताएं आपने मुझे “बेटी हूं कमज़ोर नहीं” पर सिखाकर स्कूल में सुनाने को कहा था। कितना खुश होती थीं आप, जब मैं इन कविताओं को मंच पर सुनाकर मर्दों को ललकारती थी। आप मुझे गोद में उठाकर प्यार से गले लगा लेती थीं।
क्यों आप यह कह रही हैं कि बेटी तू चुप रहती तो अच्छा था?
माँ आज जब मैंने अपने ऊपर हुए शारीरिक शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाई है, तो क्यों आप मेरे साथ नहीं हैं? क्यों आप यह कह रही हैं कि बेटी तू चुप रहती तो अच्छा था। आखिर क्यों माँ, अब मैं चुपचाप सब क्यों सहूं? सिर्फ इसलिए कि आपको लगता है कि अगर यह बातें समाज और सोसाइटी को पता चलेगी तो आपकी बदनामी होगी लेकिन माँ क्या आप जानती हैं कि यह हिम्मत मेरे अंदर कहां से आई?
मैंने तो चुप रहने का फैसला कर लिया था, क्योंकि मैं दुविधा में थी कि लोग क्या कहेंगे? मुझे ही गलत समझकर मुझपर कीचड़ उछाला जाएगा। मैंने बहुत सोचा मगर मुझे आपकी बचपन की सीख ने बोलने पर मजबूर कर दिया। मुझे बहुत दुख हुआ कि जो सीख आपने मुझे दी वह आज आप स्वयं भूल गईं। क्यों माँ? क्या बड़े होने पर सबको शारीरिक शोषण करने का अधिकार मिल जाता है?
माँ अब जब मैंने अपने ऊपर हुए शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाई है तो सिर्फ आप ही नहीं बल्कि सब लोग यही कह रहे हैं कि मैंने हल्ला क्यों मचाया? आपके यह वाक्य “बेटा यह सब तो चलता रहता है, इग्नोर करना सीखो” मुझे अंदर तक हिला गए। क्यों माँ? बचपन की सीख अब इतनी छोटी और बेमानी कैसे हो गई कि मैं अपने साथ हुए गलत व्यवहार पर चुप रहूं और कुछ ना बोलूं? क्यों चुप रहने को कहा जा रहा है?
कुछ लोगों का कहना है कि मैंने तब क्यों नहीं बोला जब मुझे मेरे अपने ही परिचित ने गलत तरीके से छुआ था, तो माँ उस वक्त मैं समझ ही नहीं पाई कि कोई अपना भी मेरे साथ ऐसी घिनौनी हरकत कर सकता है। मैं डर गई थी कि मैंने उनके खिलाफ कुछ बोला तो सब लोग मुझपर ही उंगली उठाएंगे।
माँ इतने सालों में आपकी बचपन की सीख “बेटी कोई तुम्हें टच करे तो हल्ला मचाना” मुझे बार-बार याद आ रही थी। उसी सीख ने आज मुझे हिम्मत दी कि मैं उस आदमी को बेनकाब करूं जो समाज में शराफत का चेहरा ओढ़े हुए है।
आपकी बेटी गलत के खिलाफ आवाज़ उठाएगी
आज मैंने हल्ला मचाया है माँ, अपने ऊपर हुए शोषण के खिलाफ नहीं बल्कि उन लोगों के खिलाफ, जो समाज की नज़रों में इज्ज़तदार बने बैठे हैं। मुझे पता है माँ कि उन लोगों के समर्थन में कई लोग खड़े होंगे लेकिन मुझे गर्व है अपने इस फैसले पर कि मैंने हल्ला मचाया।
क्या हमें सब कुछ सहते हुए सिर्फ इसलिए चुप रहना चाहिए कि इससे आपकी बदनामी होगी या फिर इसलिए कि बोलने से क्या फायदा? बड़े लोगों का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता लेकिन माँ आपकी यह बेटी अब चुप नहीं रहेगी। हर उस इंसान के खिलाफ आवाज़ उठाएगी जिन्होंने उसे गलत तरीके से छूने और उसका फायदा उठाने की कोशिश की है। माँ, मैं एक बात पूछना चाहती हूं कि मैं अब सब कुछ क्यों सहूं? मैं अब हल्ला क्यों ना मचाऊं?
दोस्तों सिर्फ हमारे चुप रहने से ही समाज में ऐसे लोगों के हौसले बढ़ रहे हैं, जो लड़कियों का शोषण करते हैं तो फिर हम क्यों चुप हैं? हम हल्ला क्यों नहीं मचाते? आपको भी अगर किसी अपने ने गलत तरीके से छूने की कोशिश की है या आपका शारीरिक शोषण किया है तो उठिए, बोलिए और हल्ला मचाइए।