आप-हम झाड़ू मारना तो जानते ही हैं लेकिन यहां मैं उस कचरे को झाड़ू मारने के लिए नहीं कर रही हूं, जिसे आप रोज़ना साफ करते हैं। मैं उस कचरे की बात कर रही हूं जिसे आपने फैलाया है, जो आपके पूर्वजों ने फैलाया है, आपके पिछड़े विचारों पर झाड़ू मारने की बात कर रही हूं मैं।
मैं आपकी उस सोच पर झाड़ू मारती हूं,
- जो ज़िन्दगी मुझे मेरे हिसाब से नहीं जीने देती, जहां मेरी 2 फुट की टांग दिखने से आपकी इज्ज़त चली जाती है।
- मैं आपकी उस बेवकूफी पर झाड़ू मारती हूं, जिसके चलते आप ज़िन्दगी भर मुझे पढ़ा-लिखाकर सक्षम करने के बाद भी, अपनी खुशियों और मेरी ज़रूरतों को नज़रअंदाज़ करते हुए मेरे दहेज के लिए पैसा जोड़ते हैं और मुझे दान कर देते हैं।
- मैं आपकी ऐसी नकली इज्ज़त पर झाड़ू मारती हूं, जो मुझसे मेरे पसन्द के जीवनसाथी चुनने का हक छीन लेती है। हम किसी भी प्लैनिंग से किसी को अपनी ज़िन्दगी में नहीं लाते वो खुद आ जाते हैं और अजीज़ हो जाते हैं और वैसे भी आप तो खुद कहते हैं, जोड़ियां ऊपर से बनती है फिर हमारी पसन्द की जोड़ी पर ऐतराज़ क्यों?
मैं आपके उन विचारों पर झाड़ू मारती हूं, जो तय कर देते हैं लड़की के रहन-सहन का हिसाब-किताब और लड़की के अपने ही घर में उसके सपने पल-पल घुटते हैं।
मेरे बहुत सपने थे पर ना जाने किस-किस डर से और अनेक कारणों से, आपकी पाबन्दियों से वो घर के किसी कोने में सिसकियों के साथ हर रोज़ रोते हैं। कभी घर में आप भी झाड़ू मारियेगा वो दिखेंगे आपको गर्भ में मरे बच्चे की तरह। मैं झाड़ू मारती हूं आपके उन चार लोगों पर जो हर समय टिकाये रखते हैं, निगाह मुझ पर, जो तय कर लेते हैं मेरे खुलकर हंसने, बात करने पर मेरा चरित्र। पापा, आपको इनकी दूर से उठती उंगलियां तो दिख गईं पर रात भींगा मेरा तकिया नहीं दिखा।
- मैं झाड़ू मारती हूं आपके बचपन से दिए उस ज्ञान पर जिसमें लड़के हमेशा कमीने होते हैं, मैं आपकी इस अज्ञानता के कारण लड़कों के गुट को देख कांप जाती थी और आज भी काफी हद तक विश्वास नहीं कर पाती। माँ लड़के सिर्फ कमीने ही नहीं होते क्योंकि पाले जाते हैं, वो भी एक मॉं द्वारा, क्योंकि लड़के बेहतर पिता भी होते हैं।
- मैं झाड़ू मारती आपके दिए उन संस्कारों पर जिनके हिसाब से लड़की की छाती, कमर, योनि तिजोरी में रखा कीमती सामान होती है। माँ, काश आप समझती ये सिर्फ शरीर के बाकी हिस्सों जैसे ही हिस्से हैं तो शायद मुझे इनको लेकर इतनी असहजता महसूस नहीं होती, जितनी मैं आज होती हूं।
शराब, सिगरेट, डिस्क बिगड़ैल औलादों के शौक होते हैं और मंदिर मस्ज़िद के नाम पर आप खून बहाते हो, मैं ऐसी आतंकी सोच को झाड़ू मारती हूं। सेक्स को लेकर आपकी छुपन छुपाई और मुझे दिए आपके अधूरे ज्ञान को मैं झाड़ू मारती हूं। पापा, काश आप समझ पाते बढ़ती उम्र के साथ सेक्स के बारे में सही जानकारी देना आपका फर्ज़ और मेरी ज़रूरत है।
मैं झाड़ू ही नहीं पोछा भी मारना चाहती हूं, हर उस सीख पर जो आपने संस्कार के नाम पर मुझमें भर दिए हैं। मैं भेजूंगी अपनी औलाद को स्कूल झाड़ू मारना सीखने के लिए क्योंकि अभी बहुत कुछ है, आपका मुझमें जिस तक झाड़ू पहुंच नहीं पा रहा है।