देश के अलग-अलग इलाकों में 6ठे दौर का मतदान समाप्त हो चुका है, अब 7वें और अंतिक चरण की वोटिंग के बाद सभी की निगाहें चुनाव परिणाम पर टिकी होगी। इस समय सरकार की सफलता और असफलता पर विश्लेषण करना ज़रूरी है। 2014 में जब मोदी सरकार आई, उस समय देश के सामने समस्याओं और चुनौतियों का अंबार था और उनसे निपटना एक चुनौती।
चुनौतियों के अंबार से निकलना मुश्किल
चुनौतियां कई थीं, जैसे- बेरोज़गारी, गरीबी, आतंकवाद और अशिक्षा। उनकी अगर लिस्ट बनाने बैठे तो शायद फेहरिस्त बहुत अधिक लंबी हो जाए लेकिन सबसे भयावह और प्रतिदिन बढ़ती समस्या थी बेरोज़गारी। देश की जनसंख्या जिस रफ्तार से बढ़ रही है, उस हिसाब से हम जल्द ही चीन को पछाड़ कर जनसंख्या के मामले में प्रथम स्थान पर होंगे। ऐसे में यह स्वाभाविक है कि सभी तरह के स्रोत कम पड़ेंगे।
उद्यमिता और व्यापार पर बल
बेरोज़गारी से निपटने के लिए मोदी सरकार ने नौकरी के अवसर बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने उद्यमिता और व्यापार पर बल दिया, जो मुझे सबसे सही तरीका लगा बेरोज़गारी से निपटने का। इसके लिए उन्होंने सरकार बनते ही प्रयास शुरू कर दिए थे।
हम समझ सकते हैं कि अगर 1000 लोग किसी उद्यम या व्यापार को शुरू करते है तो ज़रूरी नहीं कि सभी उसमें सफल होंगे मगर 50 लोग भी यदि उसमें सफल हुए, तो शायद वे बाकी के 950 लोगों को अच्छा रोज़गार देने में मदद कर सकते हैं।
ज़िम्मेदारियां नागरिकों की भी
दूसरी बात हमें हर एक समस्या के लिए सरकार को दोषी नहीं मानना चाहिए। कुछ ज़िम्मेदारियां नागरिकों की भी होती है। सरकार कह कर थक गई कि बच्चे दो ही अच्छे लेकिन हमें तो तब तक बच्चे पैदा करने हैं, जब तक कि लड़का ना हो जाए।
हमें अपने देश और आने वाले कल के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों को समझना होगा, नहीं तो समस्याएं विकट रूप लेते हुए नियंत्रण से बाहर हो जाएंगी फिर कोई विकल्प नहीं बचेगा।
बेरोज़गारी दूर करने के लिए कुछ ज़रूरी सुझाव
- ज़िले और तहसील स्तर पर सरकार को रोज़गार सृजन करने की ज़रूरत है ताकि लोग अन्य शहरों का रूख ना करें।
- स्किल डेवलपमेंट जैसे कार्यक्रमों के ज़रिये लोगों को आत्म-निर्भर बनाने की भी आवश्यकता है। ऐसा करने से वे जॉब क्रिएटर बन सकते हैं।
- प्राइवेट विद्यालयों में ऊंची फीस की वजह से गरीब तबके के बच्चे वहां नहीं पढ़ पाते हैं। इसलिए यह ज़रूरी है कि सरकारी गरीबों को अच्छी शिक्षा मुहैया कराने के उद्देश्य से सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाए।
- स्टूडेंट्स कई दफा बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि उनकी शिक्षा में बिल्कुल भी बाधा ना हो। हर स्तर पर सरकार यर सुनिश्चित करे कि कोई भी स्टूडेंट बीच में पढ़ाई ना ड्रॉप करे।
- शहरों में इम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज की हालत काफी खराब है। इस संदर्भ में सरकार को जान करने की ज़रूरत है।
मैं समझता हूं कि इन आसान उपायों के ज़रिये ना सिर्फ बेरोज़गारी की दिशा में अच्छे दिन की उम्मीद की जा सकती है, बल्कि भारत देश को तरक्की की राह पर ले जाने के लिए भी यह एक क्रांतिकारी कदम हो सकता है।